अमरावती

वर्धा नदी के किनारे साकारी जा रही लाल मिट्टी की गणेशमूर्तियां

लाल मिट्टी से गणेश मूर्तियों को दिया जा रहा नया स्वरुप

धामणगांव रेल्वे/प्रतिनिधि दि.२८ – प्लास्टर ऑफ पेरिस तथा शाडू मिट्टी से बनी मूर्तियां अब तक देखी गई. किंतु अब लाल मिट्टी से गणेश मूर्तियों को नया स्वरुप देने का कार्य तहसील स्थित दिघी महल्ले के कुंभार बंधुओं व्दारा दिया जा रहा है. कुंभार बंधुओ की तीसरी पीढी इन मूर्तियों को नया रुप नया स्वरुप देने का कार्य कर रही है.
धामणगांव तहसील अंतर्गत वर्धा नदी के किनारे दिघी महल्ले यहां ढाई हजार लोगों की बस्ती है. यहां कुंभार बंधुओं के 20 परिवार रह रहे है. जिसमें से 10 परिवारों का पिछली तीन पीढियों से गणेश मूर्तियां बनाने का व्यवसाय है. वझे परिवार व्दारा पिछली तीन पीढियों से गणपति की मूर्तियां को बनाने का कार्य किया जा रहा है. ओंकार वझे के भाई श्रीकृष्ण के पश्चात तीसरी पीढी के ओमेश वझे मिट्टी की गणेश मूर्तियां बनाने का कार्य कर रहे है. इस साल गणेश उत्सव के लिए सभी नियमों का पालन कर वझे परिवार व्दारा गणेश मूर्तियों को साकार करने का काम शुरु कर दिया गया है.

  • गांव के लिए गर्व की बात

तीन पीढियो से हमारे गांव के कुंभार बंधु गणेश मूर्तियां तैयार कर रहे है. इस साल लाल मिट्टी से बनी मूर्तियां इन मूर्तिकारों व्दारा बनायी जा रही है यह हमारे गांव के लिए गर्व की बात है.
– गोपिका चावरे, सरपंचा दिघी महल्ले

  • इन गणेश मूर्तियों की विशेषता

लाल मिट्टी से निर्मित गणेश मूर्तियों की यह विशेषता है कि यह जल्द ही पानी में घुल जाती है और इससे पानी में प्रदूषण भी नहीं होता और इस मिट्टी का पुन: इस्तेमाल किया जा सकता है.

  • वर्धा-अमरावती जिले में मांग

लाल मिट्टी से पहली बार घरेलू गणेशजी की मूर्तियां साकार किए जाने का नया ट्रैंड स्थानीय कुंभार बंधुओं ने शुरु किया है. यह मूर्तियां पर्यावरण पूरक है. इन मूर्तियों की मांग वर्धा व अमरावती जिले में सर्वाधिक की जा रही है.

  • इस प्रकार होती है लाल मिट्टी की मूर्तियां साकार

प्लास्टर ऑफ पेरिस की गणेश मूर्तियोंं के विपरित परिणाम मानव जीवन शैली पर होते है. शाडू मिट्टी के दाम अधिक है जिसकी वजह से कुंभार परिवार व्दारा काटोल तहसील के सावरगांव से लाल मिट्टी मार्च महीने में लायी जाती है. 100 फुट का लाल मिट्टी का ट्रक 9 हजार रुपए में आता है इसमें 10 हजार रुपए का रंग लगता है. मूर्तियां बनाने की प्रक्रिया मार्च महीने से रक्षाबंधन तक चलती है. बारिश में मिट्टी का बचाव करने हेतु मूर्तिकारों को बडी कसरत करनी पडती है इस साल ऑरेंज रंग की मूर्तियां बनायी गई है. मूर्तिकारों व्दारा बनाई गई सभी गणेश मुर्तियां सुंदर व आकर्षक है.

 

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