अमरावती

विजिया स्कूल में इकोफ्रेंडली मनाया गया गणेशोत्सव

स्कूल प्रशासन व छात्रों ने मिलकर तैयार की पर्यावरण पूरक गणेश प्रतिमा

* मंडप को पत्तल और द्रोण से तैयार किया गया.
अमरावती/दि.27– शहर की विजया स्कूल फॉर एक्सीलेंस ने गणेश चतुर्थी हर्षोल्लास तथा धूमधाम से मनाई गई. पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मनाकर पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. स्कूल के प्रशासन और छात्रों ने मिलकर श्री गणेश जी की मूर्ति को पर्यावरण की दृष्टि से बनाया और गणेश मंडप को आकर्षक ढंग से सजाया गया. इसके साथ ही गणेश-मंडप को प्लास्टिक-आभूषणों से नहीं, बल्कि पत्तल-दोना से तैयार किया गया.
विद्यालय के गणेशोत्सव का केंद्रबिंदु शाडू मिट्टी से बनी खूबसूरती से तैयार की गई गणपति की मूर्ति थी. मूर्ति, जिसे स्कूल के प्रतिभाशाली कलाकारों ने बड़े प्यार से गढ़ा था, उन्होने न केवल उनके कलात्मक कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों के उपयोग के महत्व पर भी जोर दिया. प्राकृतिक मिट्टी से बनी मूर्तियाँ बायोडिग्रेडेबल होती हैं और उत्सव के बाद जल निकायों में विसर्जित करने पर जलीय जीवन को नुकसान नहीं पहुँचाती हैं. विद्यालय द्वारा शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरणीय जिम्मेदारी के संदेश को जनमानस तक पहुंचने का प्रयास किया गया. छात्रों और शिक्षकों ने पर्यावरण-अनुकूल समारोहों के महत्व और हमारे ग्रह की रक्षा की आवश्यकता को अपनाने के लिए इको-फ्रेंडली गणेश मेकिंग कार्यशालाओं का आयोजन किया. ऐसे युग में जहां पर्यावरण संबंधी चिंताएं सर्वोपरि हैं, विजया स्कूल फॉर एक्सीलेंस ने दिखाया है कि सदियों पुरानी परंपराओं को भी स्थिरता और पर्यावरण-चेतना के मूल्यों के साथ जोड़ा जा सकता है. निदेशक दिग्विजय देशमुख, प्रिंसिपल पद्मश्री देशमुख के साथ-साथ सभी स्टाफ सदस्य और छात्रों ने एक उल्लेखनीय पहल शुरू की है जो एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करती है कि हमारे ग्रह की रक्षा के लिए हर छोटा कदम लंबे समय में महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है.विद्यालय में इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को अपने देश की संस्कृति, सभ्यता तथा परंपरा से पूर्ण रूप से अवगत कराना है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस तकनीक तथा प्रौद्यौगिकी के युग में भी अपनी परंपरा को जीवित रखना हमारा परम धर्म है. इस अवसर पर सभी अध्यापक व अध्यापिकाओं ने सामूहिक रूप से भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की वह मोदक का भोग लगाया. गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाकर अंत में आरती की गई.

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