अमरावती

अनोखे फ्युजन शो व कला स्पर्धाओं से मनाया गणेशोत्सव

एनिमेशन महाविद्यालय का आयोजन

* विद्यार्थियोें का उत्स्फूर्त सहभाग, सांस्कृतिक उपक्रमों ने लायी रंगत
अमरावती/दि.2– अपने अनोखे व नाविण्यपूर्ण एवं कलात्मक उपक्रमों के लिए सुपरिचित यहां के कॉलेज ऑफ एनिमेशन बायोइंजिनिअरिंग एंड रिसर्च महाविद्यालय में गणेशोत्सव निमित्त हाल ही में फ्युजन शो व विविध कला स्पर्धा तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. गणेशोत्सव निमित्त विद्यार्थियों के कलागुणों को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसे उपक्रमों का आयोजन हम करते हैं, ऐसा प्रतिपादन प्राचार्य विजय राऊत ने इस समय किया.
सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु अमरावती विद्यापीठ के प्र-कुलगुरु प्रसाद वाडेगावकर, समाज कल्याण अम. विभाग के समाज कल्याण उपायुक्त सुनील वारे, नील फिल्म के निर्माता संजय सिंगलवार, आर्ट ऑफ लिंविंग के अध्यात्मिक गुरु नाना कुकडे आदि मान्यवर उपस्थित थे. इस समय उपस्थित प्रेक्षकों को यहां के विद्यार्थियों द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त ‘ दी स्पायडर नेस्ट’ यह शॉर्ट फिल्म दिखाई गई व एनिमेशन फिल्म मेकिंग की स्पर्धा अंतर्गत ‘गणपति’ विषय पर कुछ पुरस्कार पात्र विद्यार्थियों की एनिमेटेड क्लिप का भी प्रदर्शन किया गया.
उत्सव निमित्त यहां के शिक्षकों ने विद्यार्थियों से संपूर्ण दस दिन उनके अभ्यासक्रम पूरक वाली एनिमेेटेड कला स्पर्धा का व विविध खेलों का नियोजन कर ‘गणपति बाप्पा मोरया’ यह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया था. सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने नृत्य, गायन व विविध वेशभूषा कर हॉरर शो, कांतारा व अंतर्राष्ट्रीय फिल्म के कुछ पात्र प्रेक्षकों के सामने प्रस्तुत कर अपने अनोखे फ्युजन शो का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम के सफल आयोजन का श्रेय महाविद्यालय के प्राध्यापक अजय इंदुरकर, प्रतीक दोषी, राजेश वानखडे, सुरेश लायभर, कुणाल कुदले, तुषार पाटील, चेतन राऊत, अनिता चव्हाण, राखी मेश्राम व अन्य शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं विद्यार्थियों को देेते हुए उन सभी का आभार उपप्राचार्य निखिल राऊत ने माना.

* विद्यार्थियों ने तैयार की गणराया की मूर्ति
एनिमेशन महाविद्यालय में हर साल यहां के विद्यार्थी स्वयं विविध प्रकार की विविध आकार की गणपति बाप्पा की मूर्तियों की निर्मिति महाविद्यालय में ही करते हैं. प्रा. सुरेश लायबर के मार्गदर्शन में विद्यार्थी अपने एनिमेशन की कला का उपयोग कर अत्यंत सुंदर मूर्तियां साकारते हैं. महाविद्यालय से सभी विद्यार्थी इन्हीं मूर्तियों को अपने घरों में स्थापित करते हैं. अन्य महाविद्यालयों के विद्यार्थी भी मूर्ति बनाने की कला सीखने हेतु महाविद्यालय में आते हैं.

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