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गणपति बाप्पा का कल हर्षोल्लास के साथ आगमन

उत्साह लबालब, मंडलों ने की शोभायात्रा की तैयारी

* एक से बढकर एक झांकियां होगी प्रस्तुत
* आमजनों ने शुरु की घर-घर स्थापना की सजावट
अमरावती/दि.30 – कोरोना के 2 वर्षों बाद गणेशोत्सव इस बार सभी रुप से अभूतपूर्व होने जा रहा है. अगस्त का आखरी दिन गणपति स्थापना का श्रीगणेश होगा. सर्वत्र उत्साह का नजारा है. आमजन बडा उल्लासमय महसूस कर रहा है. गाजे-बाजे से गणपति का आगमन करने हर कोई तैयार है. सार्वजनिक मंडलों में भी जोरदार तैयारी हो गई है. भव्य शोभायात्रा के साथ नगर के प्रमुख मंडल बुद्धि के देवता गणपति की स्थापना करने जा रहे है. पुलिस प्रशासन ने भी गणेशोत्सव में शांती व सुव्यवस्था बनाये रखने कमर कस ली है. अनेक गुंडा तत्व पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जा रही है. दूसरी ओर राज्य की नई शिंदे-फडणवीस सरकार ने पूरी छूट दे दी है. इससे भी जन-जन के उल्लास और उत्साह में बढोत्तरी हुई है.
* घर-घर सजे मखर और रोशनाई
गणपति को महाराष्ट्र का आराध्य देव कहा जाता है. घर-घर गणपति की पूर्ण श्रद्धा और परंपरा से स्थापना की जाती है. इसके लिए साफ-सफाई कर सुंदर मंडप, मखर और विद्युत रोशनाई से सजावट हो गई है. बुधवार सबेरे शुभ मुहूर्त में गणपति बाप्पा के गाजे-बाजे से आगमन का इंतजार भर है. बालगोपालों का उत्साह देखते ही बनता है. बीते 2 वर्ष यह बालगोपाल कोरोना के कारण उत्सवों का आनंद नहीं ले सके थे. इस बार सभी पाबंदियां दूर हो जाने से हर कोई दोगुणा जोश से अपने प्रिय विघ्नविनाशक का स्वागत करने आतुर है.
* नीलकंठ और आजाद की शोभायात्रा
शहर के प्रमुख मंडलों मेें श्रीकृष्ण पेठ, आजाद हिंद, न्यू आजाद, नीलकंठ, रुख्मिणी, अनंत, लक्ष्मीकांत, जिला स्वर्णकार संघ, अनाज मंडी, पंचशील आदि में गाजे-बाजे से श्री की स्थापना बुधवार को होने जा रही है. आजाद और नीलकंठ मंडल परकोटे के भीतर से परंपरागत लेझिम पथक और ढोल-ताशे तथा लोकनृत्य के साथ भव्य शोभायात्रा निकालते है. इनकी शोभायात्रा को देखने पब्लिक उमडती है. ऐसे ही पंडालों में एक से बढकर एक झांकियां सजाई गई है. अगले 10 दिनों तक गणपति की आराधना और अर्चना होगी. उसी प्रकार झांकीयां देखने लोग उमडेंगे.
* मूर्तियां लेने भारी भीड
गणपति की अपनी मनपसंद मूर्ति लेने के लिए बालगोपालों के साथ शहरवासी उमड पडे है. नगर के प्रमुख चौरास्तों और स्टॉल सजने वाले एरिया रवि नगर, नेहरु मैदान, गांधी चौक, राजापेठ में भारी भीड उमडी है. एक बार फिर बता दें कि, अधिकांश शहरवासी मिट्टी की मूर्ति को प्राधान्य दे रहे है. उसी प्रकार सजावट में भी पर्यावरण पूरक वस्तुओं का उपयोग कर रहे है. बच्चों में विशेष उमंग है. वे गणपति बाप्पा मोरय्या के नारे लगाकर एक-दूसरे से अपनी पसंद की मूर्ति की प्रशंसा करते नहीं अघा रहे.

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