अमरावती

‘गुपी गाईन बाघा बाईन’ नाटिका का नौनिहालों ने किया मंचन

सत्यजीत रे को दिया ट्रीब्यूट, नीवम द स्कूल का वार्षिकोत्सव

अमरावती /दि. १३– नीवम द स्कूल के नौनिहालों ने ‘गुपी गाईन बाघा बाईन’ को नाटिका के माध्यम से मंच पर साकार कर सभी नौनिहालों ने सत्यजीत रे को वार्षिकोत्सव में ट्रीब्यूट दिया. बंगाली फिल्म जगत का एक जाना- माना नाम सत्यजीत रे, जिन्होंने आम जिंदगी को अपनी लेखन शैली द्वारा फिल्मों के जरिये दर्शकों तक पहुंचाया. जीवन में चित्रकारी और लेखन शैली के माध्यम से विविध नाटिकाओं का बंगाली भाषा में मंचन करने वाले सत्यजीत रे की कई किताबों को फिल्मों का रुप दिया गया. उनके द्वारा दिग्दर्शित ३६ फिल्मों से एक गुपी गाईन बाघा बाईन को नाटिका के माध्यम से मंच पर साकार किया. ‘अहा की आनंद आकाशे बटुसेस, शाखे शाखे पाखी दके…’ इस गीत के साथ कार्यक्रम का संगीतमय रुप से समापन किया गया.
उल्लेखनीय है कि, यह गीत १९८० में आये बंगाली अल्बम ‘हीरक राजार देश’ का है. जिसका लेखन व संगीत सत्यजीत रे ने दिया और इस गीत को आवाज अनूप घोषाल ने दी है. स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में रविवार की सुबह १०.३० बजे नीवम द स्कूल का वार्षिक उत्सव आयोजित किया गया. नीवम द स्कूल की ओर से हर साल वार्षिक उत्सव का बड़े उत्साह से आयोजन किया जाता है. स्कूल ने इससे पूर्व ‘जंगल बुक, मैरी पॉपिंस, सोहम उत्सव मेला, निर्मिती और संस्कृत भाषा में चाणक्य नीति’ इन विषयों पर नाटिकाओं की प्रस्तुति दी है. नीवम के सभी शिक्षकों को पौंडिचेरी स्थित अरविंदो आश्रम से प्रशिक्षण दिया जाता है. ‘नया संकल्प नया उपक्रम’ के तहत विद्यार्थियों को समग्र शिक्षा प्रदान करना स्कूल का उद्देश्य है. ‘गुपी गाईन बाघा बाईन’ नाटक के माध्यम से विद्यार्थियों को नयी भाषा नयी संस्कृति से अवगत कराना मुख्य उद्देश्य रहा है. केजी के लेकर कक्षा ५ वीं तक के विद्यार्थियों का नाटिका में सहभाग रहा. सभी ने अपने अपने पात्रों को बखूबी निभाया. ‘गुपी गाईन बाघा बाईन’ इस बंगाली नाटक की मराठी भाषा में प्रस्तुति की गई. इस नाटिका को देकर उपस्थित अभिभावक अपने बच्चों की तालियों के साथ सराहना करने में आगे रहे. स्कूल प्रशासन की ओर से इस नाटिका को बखूबी ढंग से मंच पर साकार करने कई दिनों से तैयारियां करनी पडी थीं. साथ ही पुरानी वस्तु से अन्य आर्ट कैसे किया जा सकता है, इसका प्रशिक्षण कला शिक्षक जगदीश गुप्ता ने शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को दिया. उल्लेखनीय है कि, सत्यजीत रे का जन्म कोलकाता में २ मई १९२१ को हुआ. उनका परिवार प्रतिभावन होने के साथ ही बंगाली कला व साहित्य क्षेत्र में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा. १९४० में कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से पदवी प्राप्त करने के बाद सत्यजीत रे ने बंगाल स्थित शांतिनिकेतन रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय से कला का अध्ययन किया. उन्होंने व्यवसायिक विज्ञापन सिग्नेट प्रेस की किताबों के लिए चित्र तैयार किये. इन किताबों में से एक किताब विभूति भूषण बंदोपाध्याय की ‘पाथेर पांचाली’ थी. इस किताब से सत्यजीत रे को फिल्म की कल्पना मिली. फिल्म निर्माण की तकनीक सीखने के साथ ही उन्होंने सन १९४७ में कोलकाता फिल्म सोसायटी की स्थापना की. हास्य, व्यंग, कल्पनारम्य कहानियों को वास्तववादी पद्धति से चित्रित किया. जिसके कारण उनकी कहानियों को दर्शकों की भरपूर सराहना मिली. उनके द्वारा किए कार्योर्ं ने बंगाली समाज के साथ साहित्य व कला क्षेत्र को प्रभावित किया था. मोशन पिक्चर के माध्यम से बंगाल में लेखक और चित्रकार की समांतर भूमिका निभाई. १९१३ में उनके दादाजी द्वारा शुरु किये ‘संदेश’ को पुनर्जीवित किया और १९९२ में उनके निधन तक वह इसके संपादक रहे. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और ‘हिच अमूचि प्रार्थना…’ गीत से की गयी. सत्यजीत रे व ‘गुपी गाईन बघा बाईन’ इस कथा के बारे में स्कूल की प्रमुख नीता कक्कड ने संक्षिप्त जानकारी दी. इसके पश्चात प्ले ग्रुप व नर्सरी के विद्यार्थियों ने ‘कोताइ रंगो देखी दुनिया’ इस गीत पर मनभावन नृत्य प्रस्तुत किया. कक्षा चौथी व ५ वीं के विद्यार्थियों ने नाटक प्रस्तुत किया. नाटक में केजी १, केजी २ और कक्षा १ ली के विद्यार्थियों ने नृत्य प्रस्तुत किया. स्कूल के सभी विद्यार्थियों का नाटिका में उत्स्फूर्त सहभाग रहा. कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों ने अहवाल प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में डागा सफायर के राजेश डागा, सीए अनुपमा लढ्ढा, मधुर लढ्ढा, वीरेंद्र गावंडे, सोना मैडम, मुक्तांगन स्कूल के शिक्षक, पूर्व शिक्षणाधिकारी पंडित पंडागले, मंगेश बक्शी समेत बड़ी संख्या में अभिभावकों तथा उनके दादा-दादी, नाना- नानी की भी उपस्थिति रही.

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