अमरावती

हिंदू स्मशान भूमि की गैस दाहिनी आठ दिनों से बंद

कोरोना मृतकों के अंत्यसंस्कार भी लकडियों पर ही

अमरावती/दि.16 – स्थानीय हिंदू स्मशान भूमि में 8 दिनों से तकनीकी कारणों के चलते गैस दाहिनी बंद पडी है. जिससे अंत्यसंस्कार के लिए लकडियों का इस्तेमाल बढ चुका है. किंतु स्मशान भूमि में एक ही हिस्से में अंत्यविधि निपटाया जा रहा है. इस कारण अंत्यसस्कार के लिए आने वालों में कोरोना बाबत भय का माहौल दिखाई दें रहा है.
हिंदू स्मशान भूमि संस्था ने लोकवर्गणी, मनपा निधि, जनप्रतिनिधियों का फंड आदि उपक्रम से मृतकों के अंत्यसंस्कार के लिए प्रदूषण रहित गैस दाहिनी प्रकल्प खडा किया है. मार्च महिने से कोरोना विषाणु के प्रादूर्भाव के बाद मृतकों की संख्या भी बढ चुकी है. जिससे हिंदू स्मशान भूमि की गैस दाहिनी प्रकल्प उपयुक्त साबित हुआ है. इतना ही नहीं तो स्मशान भूमि में अस्थी रखने के लिए लॉकर्स प्रणाली विकसीत की है. गैस दाहिनी व अस्थी लॉकर्स यह दोनों भी उपक्रम अमरावतीवासियों के लिए लाभदायक साबित हुए. किंतु बीच में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम हुई और हिंदू स्मशान भूमि की गैस दाहिनी का इस्तेमाल कम हुआ. इस कारण कुछ दिन गैस दाहिनी बंद रहने से वह अब नादूरुस्त है. जिससे कोरोना मृतकों पर अंत्यविधि के लिए गैस दाहिनी नहीं बल्कि लकडियों का इस्तेमाल बढ चुका है.

गैस दाहिनी का बर्नल गया उपर

हिंदू स्मशान भूमि की गैस दाहिनी का बर्नल उपर जाने से व नादूरुस्त हुआ है. आठ दिनों से कोरोना मृतकों के अंत्यविधि लकडियों पर ही किये जा रहे है. सुबह 7 से 9 बजे के बीच अंत्यविधि निपटाए जा रहे है. गैस दाहिनी में तकनिकी बिगाड आने से उसका इस्तेमाल करना फिलहाल संभव नहीं है. गैस दाहिनी की दूरुस्ती के लिए दो दिन पहले कारागिर आकर गए. दो दिन में गैस दाहिनी पूर्ववत होगी, ऐसा प्रबंधक एकनाथ इंगले ने बताया है.

  • गैस दाहिनी दुरुस्ती के लिए नागपुर से कारागिर आकर गए है. तकनीकी बिगाड रहने से कम से कम दो दिन लगेंगे. कोरोना मृतकों के अंत्यविधि के लिए स्वतंत्र चबुतरे का इस्तेमाल हो रहा है.
    – आर.बी.अटल, अध्यक्ष, हिंदू स्मशानभूमि संस्था

कोरोना मृतकों के लिए तीन चबुतरे

हिंदू स्मशान भूमि की गैस दाहिनी बंद रहने से कोरोना मृतकों पर अंत्यविधि करने के लिए 13, 14 व 15 नंबर के स्वतंत्र चबुतरे का इस्तेमाल हो रहा है. कोरोना नियमावलि का पालन कर मृतकों पर अंत्यसंस्कार निपटाया जा रहा है. इस तरह का दावा स्मशान भूमि संस्थान के विश्वतों ने किया है. हर रोज दो से चार कोरोना के मृतकों पर अंत्यसंस्कार किये जा रहे है.

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