अमरावती

जिराफे बांधव ने तैयार की खुबसूरत गौरी, गणपति की मनमोहक मूर्तियां

गोपाल नगर परिसर में वर्ष भर जारी रहता है प्रतिमा बनाने का काम

6 माह पहले ही गौरी, महालक्ष्मी की बुकिंग                                                         मूर्तियों की इंग्लैंड, अमेरिका समेत अन्य देशों में भी मांग
अमरावती- दि. 24 गणेशोत्सव के लिए केवल एक सप्ताह रह गया है. अमरावती शहर समेत पूरे जिलेभर में गणेशोत्सव की तैयारी युध्द स्तर पर शुरु हो गई है. शहर के गोपाल नगर परिसर में रहने वाले जिराफे बांधव व्दारा निर्माण की गई सुंदर गणपति मूर्ति समेत गौर, महालक्ष्मी की मूर्तियों की इंग्लैंड, अमेरिका जैसे देशों में भी मांग है. गोपाल नगर के कारखाने में वर्षभर मूर्तियां निर्माण करने का कार्य शुुरु रहता है.
जिराफे ने पुणे में जेडी आर्ट एण्ड डिजाइन का वर्ष 1993 में प्रशिक्षण लिया. इसके बाद अमरावती शहर में मूर्ति निर्माण करने के उद्योग को नया स्वरुप देने वाले अतुल जिराफे फिलहाल अपने परिवार के साथ व्यवसाय का नेतृत्व कर रहे है. उनके पिता नंदकुमार जिराफे अमरावती शहर के प्रसिध्द मूर्तिकार के रुप में सभी के परिचित है. अमरावती शहर के सभी पुराने गणेशोत्सव मंडल में पहले नंदकुमार जिराफे व्दारा तैयार की गई मूर्ति की ही स्थापना की जाती थी, मगर अब जिराफे बांधव ने बडी मूर्तियां निर्माण करना बंद कर दी है. केवल मिट्टी की मूर्ति निर्माण करने पर जिराफे बांधव जोर देते है.
मेरी कला क्षेत्र में शिक्षा पूरी होने के बाद मूर्ति निर्माण करने के लिए एक नई दृष्टि हमारे व्यवसाय को मिली. 20 वर्षों से बहुत ही खुबसूरत और सभी को पसंद आये, ऐसी ही मूर्ति हम तैयार करने लगे, ऐसा अतुल जिराफे ने बताया. मूर्ति हकीकत में कैसी तैयार करना चाहिए, यह कला मुझमे है. इसलिए हमें कर्मचारियों पर काफी निर्भर नहीं रहना पडता. गणपति की मूर्ति हो या गौरी, महालक्ष्मी मूर्ति सुंदर निर्माण होती है, यह देखने में काफी आकर्षक दिखाई देते है, ऐसी मूर्ति हम तैयार करते है, ऐसा जिराफे ने बताया. मिट्टी के मूर्ति पर ही अधिक जोर है. इससे पहले हम प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियां बनाते थे. अब पिछले 6-7 वर्षों से हमने प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्ति बनान छोड दिये है. केवल मिट्टी की मूर्ति ही बनायी जाती है. बडे आकार की मूर्तियां भी हमने निर्माण करना बंद कर दिया है. केवल मिट्टी की घरेलू गणपति की मूर्तियां निर्माण की जाती है, ऐसा अतुल जिराफे ने बताया. महाराष्ट्रभर गौरी महालक्ष्मी की मांग है. मैं खूद महालक्ष्मी की मूर्ति के मुखौटे के मास्टरपीस तैयार करता हूं, जिसके कारण हमारे यहां बहुत ही आकर्षक सुंदर दिखने वाले गौरी, महालक्ष्मी के मुखौटे तैयार किये जाते हैै. पूरे महाराष्ट्रभर में हमारे यहां तैयार की जाने वाली गौर-महालक्ष्मी की मूर्ति की मांग है. छह माह पूर्व ही गौर-महालक्ष्मी मूर्ति की बुकिंग हो जाने के कारण पूरे वर्ष भर हमारे यहां गौर-महालक्ष्मी की मूर्तियां तैयार की जाती है.
अतुल जिराफे ने आगे बताया कि, पुणे और औरंगाबाद में भी हमारी शाखा जिराफे बंधू नाम से है. उस जगह से महाराष्ट्रभर के विभिन्न जिलों में गणपति की मूर्तियां भेजी जाती है. गणपति और गौरी की मूर्तियां केवल अमरावती में ही तैयार की जाती है और यहां से ही अकोला, औरंगाबाद और पुणे मूर्तियां भेजी जाती हेै. मूर्तियों की अमेरिका और इंग्लैंड में मांग है. हमारे व्दारा तैयार की जाने वाली गणपति की मूर्तियां विदेशों में भी काफी पसंद की जाती हैं. ऐसा भी साक्षात्कार में अतुल जिराफे ने बताया.

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