* जिला मराठी पत्रकार संघ का मीट द प्रेस कार्यक्रम
* गायन का जुनून में नौकरी छोडने से लेकर मुंबई में बसने तक का सफर
अमरावती/दि. 21-गजल नवाज के नाम से जाने जाते और लोकप्रिय गायक भीमराव पांचाले ने कहा कि, आज सही रचनाधर्मिता का र्हास हो रहा है. पहले के रचनाकार सही पंक्ति के लिए महीनों प्रतीक्षा करते. स्वयं मराठी गजलगो सुरेश भट ने यह बात उन्हें बताई थी. पांचाले ने कहा कि आज दौर बदल गया है. समाज माध्यमों पर लाइक्स प्राप्त करने की होड और हडबडी ने रचनाओं का स्तर प्रभावित किया है. स्तर में गिरावट आने की शिकायत पांचाले ने की. पांचाले शुक्रवार शाम मराठी पत्रकार संघ के भवन में मीट द प्रेस कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने इस समय एक घंटे से अधिक बडा सहज संवाद मीडिया से किया. अपने गजल गायिकी के जुनून में स्टेट बैंक की नौकरी से वीआरएस लेने और अब मुंबई बस जाने तक के सफर को गजल नवाज ने बयां किया. उनका स्वागत अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने सुंदर पुष्पगुच्छ देकर किया. देश विदेश में गजल गायन की महफिलों में रंग जमाने वाले 74 वर्षीय पांचालेे ने सहज अंदाज में अपना जीवन सफर बतलाया. पांचाले गत 52 वर्षो से गजलों की प्रस्तुति देकर इस क्षेत्र में छाये हुए हैं.
छोटे से गांव के निवासी
पांचाले ने बताया कि वे बमुश्किल 500- 600 की बस्ती वाले गांव में जन्मे. वहां मनोरंजन के सीमित साधन थे. उनके पिता को गजलों का शौक था. उसी प्रकार भक्ति भावना भी बडी थी. राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के अभंग गाते. यह छंद भीमराव भी लडकपन से ही गुनगुनाने लगे थे. गांव में कीर्तन भजन के कार्यक्रम होते तो वहां भीमराव भी भजन गाने लगे. जिससे उनकी संगीत में रूचि बढती गई. पांचाले ने बताया कि उन्होंने अमरावती शिक्षा के लिए आने के बाद नेहरू मेैदान की शाला में चलनेवाली शास्त्रीय संगीत की क्लासेस में प्रशिक्षण लिया. वे भाग्यशाली रहे कि गजल गायन का उनका आगाज अभिजात कविता के रचनाकारों की रचनाओं से हुआ.
गजलों की प्रस्तुति ने बनाया बडा
22 वर्ष की आयु में अमरावती और अकोला तथा आसपास के नगरों में पांचाले की गजल महफिले सजने लगी. लोगों को उनका गायन और अंदाज पसंद आ गया. जिससे उनकी महफिलों की संख्या बढती चली गई. वे विदर्भ और फिर राज्य में मराठी गजल के बडे गायक, प्रस्तोता बन गये. उनकी स्टेट बैंक में नौकरी थी. गजल कार्यक्रमों के कारण उन्हें यहां वहां जाना पडता था. जिससे बैंक के कामकाज पर असर पडा.
गजल ने तय किया जीवन सफर
पांचाले ने कहा कि उनका जीवन में क्या करना है, यह गजल ने तय किया. उन्होंने पत्नी स्मिता पांचाले से बात कर बैंक की नौकरी से स्वेच्छा निवृत्ति ली और अपने आपको गजल को समर्पित कर दिया. उन्होंने किराणा,घराना और अन्य की शास्त्रीय गायन कला का औपचारिक प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. पांचाले ने कहा कि सभी प्रकार के संगीत का जनक लोकसंगीत है. उन्होंने लोक संगीत से ही अपना करियर शुरू किया था. बैंक के काम से पहले अकोला में 6 वर्षो तक अध्यापन भी आपनेे किया.
* भट की गजलों से वाहवाही
गजल नवाज के रूप में जाने जाते पांचाले ने कहा कि गालिब से लेकर दुष्यंतकुमार तक सूर्यभानु गुप्त सभी की गजलें उन्होंने गायी. सुरेश भट की मराठी गजलों को प्रस्तुत करने में उन्हें न केवल आंनद अपितु सुकून की अनुभूति होती. तथापि सुरेश भट को मराठी साहित्य मंचों पर यथोचित मान सम्मान प्राप्त नहीं होने का रंज गजल नवाज ने बोलकर बतलाया.
मराठी भाषा में प्रतिभा की कमी नहीं
गजल गायक पांचाले ने कहा कि मराठी भाषा में प्रतिभा की कमी नहीं है. स्तरीय लेखन से लेकर अभिनय और अन्य कलाओं में भी मराठी कलाकार अपनी छाप छोड चुके हैं. तथापि उन्होंने प्रश्नों के उत्तर में माना कि मराठी भाषिक भी हिन्दी फिल्मों, गजलों को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने प्रश्न के उत्तर में कहा कि कला का क्षेत्र ऐसा है. जहां कोई भी अपनी प्रतिभा और परिश्रम के बूते स्थान बना सकता है. यह क्षेत्र किसी की जागीर नहीं है. पांचाले ने अपने उत्तरों को विस्तृत किया और अनेक अवसरों पर गजल की पंक्तियां उधृत कर बात रखी.
150 गजल कार्यशालाएं ली
गजल सम्राट के बजाय स्वयं को गजल नवाज कहलाना पसंद करने की बात भी उन्होंने कही और कहा कि गजल को आत्मसात करने के पश्चात उन्होंने गजल लेखन और गायन पर समस्त राज्य में 150 से अधिक कार्यशालाएं आयोजित की. जिसका सुपरिणाम भी अच्छा रहा है. अनेक मराठी रचनाकार गजल प्रकार को शुध्द स्वरूप में अपना रहे है. उन्होंने कहा कि मराठी में गजल का शुध्द स्वरूप का जतन किया है. गजल का भविष्य आपने बेहतर बताया.
प्यार से शुरू हुआ सिलसिला सभी विषय अपना गया
भीमराव पांचाले अमेरिका सहित अनेक देशों में गजल महफिले सजा चुके हैं. आपने फरमाया कि गजल निश्चित ही प्यार के इजहार से प्रारंभ हुई थी. उसी प्रकार उर्दू को भारत भूमि पर जन्मी जुबान बताते हुए पांचाले ने कहा कि गजल विधा ने समय के साथ सभी प्रकार के विषय आत्मसात किए. आज अनेक भाषाओं में गजलें रची जा रही है. उनमें समाज के प्रबोधन से लेकर खामियों सहित अनेक विषय भी मुखरित हो रहे हैं. काफी प्रयोग किए गये हैं. भरपूर गजलें तमाम विषयों पर की जा रही है. जीवनाला दान द्यावे लागते, श्वास संपते पर्यंत जगावे लगाते. उसी प्रकार दु:ख माझे लहान झाले. जैसे उदाहरण आपने दिए. कई नये रचनाकारों के नामों आबिद शेख, गजानन वाघमारे का उध्दरण भी उन्होंने दिया.
* जब मजदूरों ने दिए 500- 500 के नोट
भीमराव पांचालें ने बताया कि न केवल भारतवर्ष अपितु देश- विदेश में भी उनके सैकडों कार्यक्रम हो चुके हैं. लगभग सभी जगह दर्शकों से,श्रोताओं से रिस्पॉन्स मिलता रहा. किंतु मालेगांव के कार्यक्रम में उन पर मजदूर वर्ग के लोगों ने 500-500 के नोट न्यौछावर कर दिए थे. यह उनके जीवन का चिरस्मरणीय प्रसंग रहा.
* पत्रकार सम्मेलन में पांचाले नाइट
अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने मीट द प्रेस कार्यक्रम में अल्प समय की सूचना के बावजूद अपना कीमती समय देने के लिए पांचाले का धन्यवाद किया. उन्होंने बताया कि शीघ्र शुरू हो रहे नववर्ष 2025 में बडा पत्रकार सम्मेलन आयोजित करने जा रहे हैं. इस सम्मेलन में पांचाले की गजलों का कार्यक्रम रखने की घोषणा अग्रवाल ने की. उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह सीपी नवीनचंद्र रेड्डी की मीट द प्रेस रखी गई थी. पत्रकार संघ ने मीट द प्रेस कार्यक्रम का संयोजक पद डॉ. लोभस घडेकर को सौंपा है. उनका आज के आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा. पत्रकार संघ के सभासद बडी संख्या में और चाव से उपस्थित रहे.