समस्या से जूझ रही घुईखेड शमशान भूमि
अंतिम यात्रा के लिए आने वाले लोगों को हो रही परेशानी
चांदूर रेल्वे/दि.9-एक और जहां शासन स्तर पर शमशान भूमियों के सौंदर्यीकरण करने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं तहसील के सबसे बडे गांव घुईखेड की श्मशान भूमि आज भी समस्या से जूझ रही है. शवयात्रा के साथ यहां आने वाले नागरिकों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था के साथ साथ ही बैठने के लिए बेंच तक नहीं है. वही यहां पर पेड़ न लगाए जाने के कारण छाया नहीं रहती. जिसके चलते यहां आने वाले नागरिकों को धूप में खड़े रहना पड़ता है. शमशान भूमि को वॉल कंपाउंड न होने के कारण यहां पर आवारा पशु घुमते रहते है.
कई साल पहले बेंबला प्रकल्प अंतर्गत गांव का पुनर्वसन किया गया था, तब से यहां की शमशान भूमि इसी प्रकल्प के अंतर्गत आने वाली जमीन पर है. जिस कारण स्थानीय ग्राम पंचायत यहां पर विकास काम नहीं कर सकती, 2019-20 में सरपंच रहे विनय गोटाफोडे ने शमशान भूमि के विकास काम के लिए जिला अधिकारी,कार्यकारी अभियंता बेंबला प्रकल्प,तथा अधीक्षक अभियंता से कई बार पत्र व्यवहार किया था. इतनाही नहीं तो स्थानीय ग्राम पंचायत आज भी शासन स्तर पर संबंधित विभाग से कई बार पत्राचार कर रही है, इसकी इस विषय पर ध्यान केंद्रीत नहीं किया गया. इसी गांव से दो बार जिला परिषद सदस्य, दो बार पंचायत समिति सभापति, उपसभापति को जनता ने चुनकर दिये. लेकिन इतने प्रभावशाली नेता भी पिछले कई सालों से इस मामले में स्थानीय शमशान भूमि में विकास काम नहीं करवा सके,जिसका खामियाजा स्थानीय नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है. यहां की शमशान भूमि बेंबला प्रकल्प अंतर्गत आने वाली जगह पर है. इसीलिए यहां पर स्थानीय ग्राम पंचायत कोई विकास काम नहीं कर सकती. लेकिन यहां पर विकास काम करने के लिए संबंधित विभाग से कई बार पत्र व्यवहार किया गया.
-बिरे, सचिव ग्राम पंचायत घुईखेड
वर्ष 2019-20 में सरपंच रहते हुए इस संदर्भ में जिलाधिकारी, कार्यकारी अभियंता बेंबला प्रकल्प, तथा अधीक्षक अभियंता के साथ कईबार पत्र व्यवहार कर चुका हूं. जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकला.
– विनय गोटाफोड़े, पूर्व सरपंच