अमरावतीमहाराष्ट्र

कपास की खराब ग्रेडिंग से जिनिंग उद्योग संकट में

70 फीसद उद्योग बंद, बेमौसम बारिश से गिला हुआ कपास

* इल्ली का भी प्रादूर्भाव
अमरावती/दि.24– राज्य के ‘कॉटन बेल्ट’ के नाम से जिले की पहचान अब समाप्त होती जा रही है. खरीफ में कपास पर सोयाबीन के मात करने से क्षेत्र दिनोंदिन कम होता जा रहा है. ऐसे में इस बार बेमौसम बारिश के कारण दो दफा कपास गिला हो गया है. इसके अलावा बोेंडइल्ली के प्रकोप से कपास की ग्रेडिंग भी कम हो गई. इस कारण भाव में गिरावट आ गई. इसका सीधा असर जिनिंग उद्योग पर पडा है. उत्पादन कम होने से वर्तमान में जिले के 70 प्रतिशत जिनिंग उद्योग बंद हो गये है.

वर्तमान में कपास की ग्रेडिंग के मुताबिक 6 हजार से 7 हजार रुपए प्रतिक्विंटल भाव दिये जा रहे है. केंद्र शासन ने इस बार 7020 रुपए तक गारंटी भाव घोषित किये. लेकिन कपास की शासन खरीदी बंद है. ऐसे में बेमौसम बारिश से कपास गिला होने और बोंडइल्ली से कपास का ग्रेडिंग खराब होने से भाव में गिरावट आयी है. दो वर्ष पूर्व कपास के भाव अच्छे मिलने से किसानों को मूल्य वृद्धि की अपेक्षा थी. इस कारण उन्होंने घर में ही कपास रखा है. कुछ किसानों ने आर्थिक संकट के चलते कपास की विक्री की है. इस बार मानसून में देरी होने से बुआई भी देरी से हुई और पश्चात अगस्त माह में 21 से 25 दिन बारिश न होने से कपास पर इसका असर हुआ. ऐसे में बोंडइल्ली का प्रादूर्भाव बढने से कपास उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हुआ है. कपास की ग्रेडिंग खराब होने से जिनिंग की सेंसर मशीन बंद पड रही है. उत्पादन कम निकल रहा है. इस कारण जिले के 70 प्रतिशत जिनिंग उद्योग बंद हो गये है. अमरावती, दर्यापुर, अंजनगांव और वरुड क्षेत्र में अधिकतम जिनिंग उद्योग है. उन उद्योगों को कपास की गे्रडिंग का असर हुआ है.

* कपास की खराब ग्रेडिंग से जिनिंग का प्रोडक्शन कम
कपास की ग्रेडिंग कम रहने का सीधा असर प्रोडक्शन पर हो रहा है. जिनिंग का प्रोडक्शन कम रहते क्वॉलिटी कम रहने से मिल मालिकों द्वारा मांग कम हो रही है. इस कारण कुछ मात्रा में भाव गिरे है. बडे जिनिंग यूनिट इस कारण बंद हो रहे है अथवा एक शिफ्ट में काम चलता दिखाई दे रहा है.

* ग्रेडिंग का असर उद्योग पर
कपास की ग्रेडिंग खराब रहने से किसान, जिनिंग व मिल ऐसी चेन डिस्टर्ब हो गई है. वर्तमान में जिले के 70 प्रतिशत जिनिंग उद्योग बंद है. सेंसर की चालू जिनिंग मशीन बंद पड रही है. पूर्ण क्षमता से उद्योग शुरु नहीं है.
– अनिल पनपालिया,
कोअर कमिटी मेंबर,
विदर्भ कॉटन एसो.

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