* गाठ का निर्माण होगा कम
अमरावती /दि. 20– गारंटी भाव से सीसीआई कपास खरीदी करता रहने से अधिकांश किसान अपना कपास निजी बाजार में लेकर ही नहीं गए. इस कारण निजी जिनिंग प्रेसिंग फैक्टरी उद्योग संकट में आ गया है. जिले के अधिकांश प्रक्रिया उद्योग बंद पडे है. कुछ लोगों को सीसीआई का आधार मिलने से वे जीवित है. जिले की 18 जिनिंग प्रेसिंग सीसीआई के कारण कार्यरत है.
अमरावती को कपास के बडे बाजारपेठ के रुप में जाना जाता है. लंबे धागों का कपास का उत्पादन इस क्षेत्र में अधिक है और उसकी मांग भी काफी है. इस कारण जिनिंग प्रेसिंग का व्यवसाय बडा है. हर वर्ष जिले से 2 लाख गाठो की निर्मिती होती है. निजी क्षेत्र से कपास का व्यवहार भी करोडो रुपए तक होता है. इस बार सीसीआई ने गारंटी भाव से खरीदी शुरु की है. निजी बाजार की आवक काफी कम हो गई है. हर दिन 90 से 100 क्विंटल की आवक निजी बाजार की है. इसमें जिनिंग प्रेसिंग उद्योग चलाना कठिन और घाटे का रहने से छोटे उद्योग बंद पडे है. जबकि सीसीआई के एक केंद्र पर हर दिन दो से तीन हजार क्विंटल आवक है. सीसीआई खरीदी किए कपास पर प्रक्रिया कर गाठ बांधने और उसकी बिक्री करने का काम भी करती है. गलाई से आनेवाली रुई से अधिक लाभ सीसीआई प्राप्त करने लगा है. एक क्विंटल कपास 38 किलो रुई मिलती है. लेकिन उनके पास खुद की जिनिंग प्रेसिंग नहीं है. इस कारण उन्होंने निजी और सरकारी संस्था के उद्योग का इस्तेमाल शुरु किया है. जिले की 18 जिनिंग प्रेसिंग फैक्टरी सीसीआई द्वारा ली गई हो फिर शहर की 8 में से कोई भी फैक्टरी न लेने से वह संभावित नुकसान के कारण बंद पड गई है. जिनिंग प्रेसिंग उद्योग चलाने के लिए कच्चे कपास की आवक भारी मात्रा में आवश्यक है. एक गाठ तैयार करने के लिए करीबन 5 क्विंटल कपास की आवश्यकता है. इसी तरह निजी जिनिंग प्रेसिंग फैक्टरी के पास आवक ही नहीं है. इसके अलावा बिजली का खर्च काफी है. हर माह 5 लाख रुपए तक बिजली बिल आने की जानकारी लकी जिनिंग प्रेसिंग फैक्टरी के संचालक शेख इब्राहिम मंसूरी ने दी.
* तहसीलनिहाय सीसीआई ने ली फैक्टरी
अमरावती 2, दर्यापुर 8, चांदुर बाजार 1, भातकुली 2, मोर्शी 2, वरुड 2, धामणगाव रेल्वे 1.