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जिराफे की मूर्तिकला प्रसिद्ध, कई शहरों में भेजी गई प्रतिमाएं

दुर्गा उत्सव, परंपरा और कला

अमरावती/दि. 3 – दुर्गोत्सव का प्रारंभ आज घटस्थापना के साथ हो गया. जिसमें विविध मंडलों ने भक्तिभाव से माता रानी का पूजन कर उसकी स्थापना बडे उत्साह एवं श्रद्धा से की. अमरावती के प्रसिद्ध मूर्तिकार जिराफे ेद्वारा बनाई गई दुर्गादेवी की प्रतिमाएं प्रदेश और देश के कई शहरों में भेजी गई. यह जानकारी जिराफे ने दी. उन्होंने बताया कि, कई स्थानों से ऑर्डर रहने पर भी समय की कमी के कारण ऑर्डर स्थानांतरित की गई. बता दे कि, अतुल जिराफे द्वारा परंपरागत मूर्तिकला का व्यवसाय अपनाया गया है. गणपति, महालक्ष्मी की उनकी मूर्तियां देश-विदेश में डिमांड में रहती है.
* पांच दशकों से व्यवसाय
मूर्तियां बनाने का जिराफे बंधुओं का यह व्यवसाय पांच दशकों से चल रहा है. वे इस प्रकार सिद्धहस्त शिल्पी है कि, मूर्तियों में जान डाल देते है. इसी लिए मूर्तियां सभी ओर पसंद की जा रही है. अनेक भागों से व्यक्तिगत और सार्वजनिक मंडलों के अनुरोध प्राप्त होने की बात अतुल जिराफे ने बताई.
* कई जिलो में भेजी मूर्तियां
बुधवार और गुरुवार को गोपालनगर स्थित जिराफे के प्रतिष्ठान पर दुर्गादेवी की मूर्तियां लेने अनेक मंडलों के पदाधिकारी पहुंचे थे. जिसमें पास-पडोस के परतवाडा, आर्वी के साथ-साथ सुदूर, नांदेड, गडचिरोली, जलगांव से भी मंडल के पदाधिकारी और लोग मूर्तियां लेकर गए. मंगरुल पीर, आर्वी, मूर्तिजापुर और अमरावती शहर में सभी भागों में जिराफे द्वारा निर्मित मूर्तियां स्थापित की गई है. उन्होंने बताया कि, मूर्तियां बनाने का कार्य पूरे वर्ष चलता है. अब दिवाली के लिए लक्ष्मी जी की प्रतिमाएं बनना शुरु है. लक्ष्मीं जी की मूर्तियां भी कई जिलों में भेजी जाती है.

 

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