परतवाडा/मेलघाट/दी.२१ – राज्य के आदिवासी बालको को समाज की मुख्यधारा से जोडने के लिये सरकार हर वर्ष करोडो रुपये की निधी खर्च करती है.चिखलदरा तहसील के अतिदुर्गम गावं जारीदा की आश्रमशाला मे लडकीयो के लिये योग्य सुविधाये न होने से उन्हे पीने के पानी के लिये भी दर-दर भटकना पड रहा है.कोरोनाकाल मे बंद पडे आश्रम स्कूलो को शासन द्वारा शुरू तो किया गया है,लेकिन आवश्यक सुविधाये न होने से युवतीयो को काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है.यहा पढ रही छात्राओ के अभिभावक कोई भी सुविधा न होने का आरोप लगाते है.कम से कम विध्यार्थीयो को पेयजल और नियमित भोजन प्राप्त होने की अपेक्षा की जाती है.यहां पर शासन ने लाखो रुपये खर्च कर कुयें का निर्माण किया किंतु इसमे बुंद मात्र पानी भी नही है.आश्रमशाला के छात्रो को पेयजल के लिये आसपास मे भटकना पडता है.यह क्षेत्र अतिदुर्गम होने से रिछ,बाघ आदी जंगली जानवरो का विचरन खुलेआम होता है.2010 मे इसी आश्रमशाला मे भालू ने हमला कर पांच छात्रो की जान ले ली थी.यदी ऐसे मे कोई अनुचित घटना हो गई तो उसकेलिये कौन जवाबदार होंगा.इस आशय का सवाल पालको की ओर से किया जा रहा है.
आश्रमशाला के मुख्याध्यापक एस.एस.गाडगे बताते है की कुयें मे पानी है किंतु बिजली आपुर्ती न होने से छात्रो को पानी लाने बहार जाना पड रहा है. पालक सखाराम धिकार कहते है की कोरोनाकाल के बाद शाला खुली है.बच्चे दूषित जल पी रहे है.इससे रोगराई का खतरा है.योग्य व्यवस्था की जाये.अन्य पालक शंकर धिकार कहते है की विध्यार्थीयो के पेयजल की व्यवस्था स्कूल के भीतर ही होनी चाहीये.
अभी कोरोना के नये वेरीएन्ट ओमीक्रोन का खतरा बढ रहा है.आदिवासी अंचल के दुर्गम भाग मे छात्रो की जिंदगी से कोई खिलवाड न हो इस हेतू समुचित प्रबंध किये जाने की मांग अभिभावक द्वारा की जे रही है.