* केंद्रीय कैबिनेट में दो बडे सुधारों के बिल पास.
नई दिल्ली/दि.16 – केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दो बडे सुधारों से जुडे विधेयकों को मंजूरी दे दी. पहला बडा सुधार लडकियों के विवाह की उम्र से जुडा है. कैबिनेट ने लडकों और लडकियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान यानी 21 वर्ष करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है. यह कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लडकियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी. वहीं, चुनाव सुधारों से जुडे विधेयक को भी मंजूरी दे दी गई है. इस विधेयक के संसद से पास होने पर वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोडने के साथ ही नए वोटरों को रजिस्ट्रेशन के ज्यादा मौके मिलेंगे. माना जा रहा है कि ये दोनों विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किए जायेंगे. यह दोनों ही सुधार अपने आप में क्रांतिकारी माने जा रहे हैं. लडकियों और लडकों के विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में लालकिले से अपने संबोधन के दौरान की थी. वहीं, चुनाव सुधारों का मुद्दा चुनाव आयोग काफी समय से उठता आ रहा है.
लडकियों के विवाह की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्कफोर्स का गठन किया गया था. जिसने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में नीति आयोग को सुपूर्द की थी. टास्कफोर्स ने युवतियों की विवाह की उम्र बढाकर 21 वर्ष करने का पूरा रोल आउट प्लान सौंपा था और इसे समान रुप से पूरे देश में सभी वर्गों पर लागू करने की मजबूत सिफारिश की है. मोदी सरकार के कार्यकाल में विवाह के संबंध यह दूसरा बडा सुधार है जो समान रुप से सभी धर्मो के लिए लागू होगा. इससे पहले एनआएआई मैरिज को 30 दिन के भीतर पंजीकृत कराने का बडा कदम उठाया गया.
आधार से जोडने की व्यवस्था वैकल्पिक होगी
चुनाव आयोग ने मतदान पहचान पत्र को आधार से जोडने की सिफारिश की थी ताकि मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाया जा सके. फर्जी मतदाताओं या एक से अधिक जगह मतदाता सूची में दर्ज वोटरों को हटाने में भी मदद मिलेगी. चुनाव आयोग माइग्रेंट वर्करों को उनकी रिहायश के शहरों में वोट देने की मंशा रखता है और इसके लिए यह कदम साकार हो सकेगा. वन नेशन वन डेटा की दिशा में भी यह बडा कदम होगा. जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन करते हुए 1 जनवरी के बाद 18 वर्ष के होने वाले युवाओं को साल में चार बार मतदान सूची में नाम दर्ज करने की अनुमति देने का प्रावधान भी इस विधेयक में होगा.
दिसंबर 2020 में टास्क फोर्स ने दी थी रिपोर्ट
10 सदस्यों की टास्क फोर्स ने देशभर के प्रबुध्द अध्येताओं, कानूनी विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों के नेताओं से परामर्श किया. वेबिनार के जरिए देश में सीधे महिला प्रतिनिधियों से बातचीत कर रिपोर्ट को दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सरकार के सुपूर्द कर दिया गया.
1978 में हुआ था विवाह कानून में संशोधन
टास्क फोर्स ने शादी की उम्र समान 21 साल रखने को लेकर 4 कानूनों में संशोधनों की सिफारिश की है. युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी परिवर्तन 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी.