अमरावती

जीरो मेंटेनन्स गोबर गैस अब हो रहा कालबाह्य

पशुधन की संख्या घटने से गैस हेतु गोबर मिलना भी हुआ मुश्किल

अमरावती/दि.3- इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के कामों हेतु बडे पैमाने पर ट्रैक्टर व यंत्रों का प्रयोग होने लगा है. साथ ही चारे व पानी की बढती दरों की वजह से किसानोें के लिए जानवरों का पालन-पोषण करना काफी मुश्किल हो गया है. ऐसे में किसी समय ग्रामीण क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण घटक रहनेवाला गोबर गैस प्लांट आज के आधुनिक यूग में कालबाह्य होने के मार्ग पर दिखाई दे रहे है.
उल्लेखनीय है कि, पहले ग्रामीण क्षेत्रोें में बडे पैमाने पर खेती-किसानी के कामों तथा दूध संबंधीत जरूरतों के लिए मवेशी पाले जाते थे. जिनसे बडे पैमाने पर गोबर मिला करता था. जिसका उपयोग करते हुए भोजन पकाने हेतु गैस प्राप्त करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश घरों में गोबर गैस प्लांट लगाये गये थे. चूंकि इन गोबर गैस प्लांट का जीरो मेंटेनन्स हुआ करता था. अत: धीरे-धीरे गोबर गैस का प्रयोग बढने लगा. लेकिन आगे चलकर चारे-पानी की किल्लत और यांत्रिकीकरण की वजह से मवेशियों को पालने का प्रमाण काफी हद तक घट गया. ऐसे में गोबर गैस प्लांट के लिए आवश्यक रहनेवाले गोबर की उपलब्धता भी कम हो गई और धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों से गोबर गैस प्लांट कालबाह्य होने लगे और इसके स्थान पर अब ग्रामीण क्षेत्रों में गैस सिलेंडर व इलेक्ट्रॉनिक सिगडी के प्रयोग का प्रमाण बढ गया है.
ज्ञात रहे कि, गोबर गैस प्लांट को चलाने के लिए गोबर के साथ-साथ बडे पैमाने पर पानी की भी जरूरत पडती है. किंतु इन दिनों भूगर्भिय जल के अत्याधुनिक दोहन तथा जंगलों की अवैध कटाई की वजह से बारिश और पानी का प्रमाण काफी घट गया है. जिससे जिले के सभी ग्रामीण क्षेत्र जलकिल्लत की समस्या से जूझ रहे है. ऐसे में गोबर गैस प्लांट चलाने के लिए गोबर के साथ-साथ पानी भी उपलब्ध नहीं है और गोबर गैस प्लांट अब लगभग पूरी तरह से कालबाह्य व कबाड हो चुके है.

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