अमरावती/ दि. 11- अनाथो के नाथ कहे जाते शंकरबाबा पापलकर ने राज्य के बजट में दिव्यांगों हेतु मदद राशि न बढाए जाने पर निराशा जताई हैं. पापलकर का कहना है कि प्रत्येक दिव्यांग को सरकार ने कम से कम 5 हजार रूपए प्रतिमाह देना चाहिए. पापलकर वज्जर में अंबादास पंत वैद्य निराधार बालगृह के संचालक हैं. फिलहाल सरकार प्रत्येक दिव्यांग को प्रतिमाह 1200 रूपए देती है. पापलकर का कहना है कि महंगाई को देखते हुए सरकार की यह मदद राशि बहुत कम है. समाज के दानदाताओं के दान पर उनके केन्द्र का संचालन हो रहा है. अल्प राशि के कारण केन्द्र चालक को बडी दिक्कत होती है. इसलिए मदद राशि बढाने की मांग उन्होंने की.
* बजट बढिया, अमरावती की भेंट का स्वागत
अमरावती मंडल से आज दोपहर फोन पर बातचीत में शंकर बाबा ने हनुमान अखाडे को अभिमत विद्यापीठ का दर्जा देने को सोने पर सुहागा निरुपित कर बजट को बढिया बताया. बल्कि उन्होंने कहा कि, गत 50 वर्षो में यह सबसे अच्छा बजट है. मराठी भाषा विद्यापीठ और शासकीय मेडिकल कॉलेज की घोषणा भी स्वागत योग्य हैं.
*दिव्यांग मंत्रायल, फंड नहीं
शंकर बाबा ने कहा कि महाराष्ट्र में दिव्यांगों के लिए काफी कुछ किया जा रहा है. 15-16 विधायक ऐसे है जो नियमित दिव्यांगों की खातिर मदद करते रहते हैं. महाराष्ट्र में दिव्यांग मंत्रालय भी है. बावजूद इसके दिव्यांगों हेतु फंड नहीं दिया गया.
* काफी पत्र व्यवहार किया
पापलकर ने बताया कि दिव्यांगों के लिए अनुदान बढाने के वास्ते उन्होंने राज्य शासन से पत्र व्यवहार किया. किंतु किसी भी पत्र का उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है. राज्य में दिव्यांगों को वर्ष में दो बार प्रतिमाह 1200 रुपए के हिसाब से सहायता राशि दी जाती है, जो इस दौर में नाकाफी है. 1200 रुपए में रहना, खाना, मेडिकल, कपडा, अन्य चीजें कैसे हो पाएगी. यह प्रश्न उठाते हुए पापलकर ने कहा कि यह रकम कम से कम 5 हजार रुपए होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि प्रदेश में लाखों दिव्यांग बांधव हैं. जिसमें से 1 लाख दिव्यांग लावारिस हैं.
* पुनर्वास का भी बनाएं कानून
वज्जर में करीब 100 दिव्यांग लावारिस का वर्षो से पिता बनकर भरण-पोषण करनेवाले शंकर बाबा ने पुनर्वास कानून बनाए जाने की मांग का पुनरुच्चार किया. उन्होंने कहा कि, ऐसा कानून बन जाए तो बहुत बडी समस्या का हल हो जाएगा. पापलकर के अनुसार सरकार विविध क्षेत्र में लाखो रुपए प्रतिमाह वेतन आदि देती है. दिव्यांगों के लिए प्रतिमाह 5 हजार रुपए सहायता पर गंभीरता से विचार होना चाहिए.