अनाथ दिव्यांगों को मासिक भत्ता दें
पद्मश्री शंकरबाबा पापलकर की राज्य सरकार से मांग
अमरावती/दि.1– जिसका कोई नहीं, उसकी सरकार ही माई-बाप है. इस कारण जिस तरह राज्य की महिलाओं, लडकियों और अन्नदाता किसानों के लिए शासन ने तिजोरी खोली. ठीक उसी तर्ज पर लावारिस मतिमंद दिव्यांगों के लिए घर पहुंच प्रतिमाह 5 हजार रुपए का प्रावधान अत्यावश्यक है. क्योंकि लावारिस दिव्यांगों का जीना मुहाल हो गया है. सरकार को बडी ही संवेदनशीलता के साथ यह बडा फैसला करना चाहिए. डॉ. शंकरबाबा पापलकर ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजीत पवार से यह गुहार लगाई है. डॉ. शंकरबाबा पापलकर ने बडी ही दुखी मन से बताया कि, सरकार ने सभी वर्गों का ध्यान रखा है, लेकिन इस क्रम में राज्य के लगभग 1 करोड दिव्यांगों को नजरअंदाज करना योग्य नहीं है. खासकर लावारिस मतिमंद दिव्यांगो को आज शासन के आधार की अत्यंत आवश्यकता है. इसके लिए घर पहुंच प्रति माह 5 हजार रुपए का प्रावधान किया जाए. इससे मतिमंद दिव्यांगों की जीने की राह आसान होगी. आज उनका कोई पालनहार नहीं रहने के कारण यह मतिमंद वयस्क दिव्गांग दर-दर की ठोंकरे खाने के लिए विवश हो रहे है. सरकार को आगे बढकर उन्हें प्रति माह आर्थिक सहायता के लिए यह प्रावधान करना चाहिए.
* कानून बनाकर न्याय दें
डॉ. शंकरबाबा ने महाराष्ट्र में देश के पहले दिव्यांग मंत्रालय को कैबिनेट दर्जा देने और योजनाओं की व्यापकता बढाने का पुरजोर अनुरोध भी राज्य सरकार से किया है. जिससे राज्य में दिव्यांगों का पुनर्वास हो सके. पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार करते समय डॉ. शंकरबाबा पापलकर ने केंद्र सरकार से 18 वर्ष से अधिक आयु वाले लावारिस दिव्यांगों को मरने तक अनाथालय में रखने का कानून बनाने की गुहार लगाई थी. उसी के अनुसार राज्य सरकार प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे. अभी भी समय है, दिव्यांगों को न्याय दें.