अमरावती/दि.19– सरकारी शालाओं में अच्छी शिक्षा नहीं मिलती, ऐसी चर्चा करने की बजाय नागरिकों ने ही शाला में सुधार करते हुए खर्च करना चाहिए. इस नीति के तहत राज्य सरकार ने गत रोज दत्तक शाला योजना घोषित की. किसी शाला पर तय कालावधी के भीतर 50 लाख से 3 करोड रुपए तक खर्च करने वाले व्यक्ति अथवा संस्था का नाम उक्त शाला को दिया जाएगा. इस आशय का सरकारी अध्यादेश राज्य मंत्रिमंडल की मान्यता पश्चात शालेय शिक्षा विभाग ने गत रोज जारी किया है. जिसके अनुसार सरकारी व स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की सभी माध्यमों वाली शालाओं के लिए दत्तक शाला योजना चलाई जाएगी.
इस योजना के तहत दानवीर व्यक्ति, कार्पोरेट कार्यालय एवं स्वयंसेवी संस्थाओं द्बारा किसी भी शाला को 5 अथवा 10 साल के लिए दत्तक लिया जा सकेगा. परंतु वे संबंधित शाला को नगद रकम दान में नहीं दे सकेंगे. बल्कि इमारत निर्माण, शैक्षणिक साहित्य तथा आवश्यक वस्तु व सेवा के स्वरुप में अपनी मदद प्रदान कर सकेंगे. कार्पोरेट कार्यालयों द्बारा अपने सीएसआर फंड से दान दिया जा सकेगा. दत्तक शाला के लिए सर्वसाधारण पालकत्व तथा नामकरण आधारित विशिष्ट पालकत्व ऐसे दो तरीकों से दान किया जा सकेगा. निश्चित किया गया मूल्य देने वाले दानदाताओं का नाम संबंधित शाला को दिया जाएगा. साथ ही शाला दत्तक प्रस्ताव पर निर्णय लेने हेतु राज्य स्तर पर शिक्षा आयुक्त तथा क्षेत्रिय स्तर पर मनपा आयुक्त, जिलाधिकारी व मुख्य कार्यकारी अधिकारी के नेतृत्व में समन्वय समिति स्थापित की जाएगी.
* किस क्षेत्र के लिए कितना होगा खर्च
क्षेत्र 5 वर्ष 10 वर्ष
‘अ’ व ‘ब’ वर्ग मनपा 2 करोड 3 करोड
‘क’ वर्ग मनपा 1 करोड 2 करोड
‘ड’ वर्ग मनपा 50 लाख 1 करोड
नप व जिप 50 लाख 1 करोड