किसी भी अनजान को मोबाईल देना पड सकता है महंगा
ठगबाजों द्वारा अपनाया जा रहा ऑनलाईन जालसाजी के लिए नया फंडा
अमरावती/दि.20- इन दिनों ओटीपी यानी वन टाईम पासवर्ड के बिना किसी भी तरह का ऑनलाईन व्यवहार पूरा नहीं होता. ऐसे में साईबर अपराधियों द्वारा ठगबाजी की वारदात को अंजाम देने हेतु लोगों से उनके मोबाईल पर आनेवाला ओटीपी क्रमांक प्राप्त करने के लिए नये-नये तरीके अपनाये जा रहे है. ऐसे में किसी भी अनजान व्यक्ति को अपने मोबाईल पर आया हुआ ओटीपी क्रमांक नहीं बताना चाहिए. साथ ही किसी भी अनजान व्यक्ति के पास अपना मोबाईल भी नहीं देना चाहिए, क्योेंकि ऐसा करना काफी भारी और महंगा साबित हो सकता है. अत: सभी लोगोें ने बेहद सतर्क रहना चाहिए. इस आशय का आवाहन शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह तथा साईबर पुलिस स्टेशन द्वारा किया गया है.
बता दें कि, इन दिनों एटीएम कार्ड व क्रेडीट कार्ड ब्लॉक होने, बैंक अकाउंट, एटीएम अकाउंट, गूगल पे व फोन पे अकाउंट तथा मोबाईल नंबर की केवायसी अपडेट करने और केवायसी नहीं कराने पर संबंधित अकाउंट, मोबाईल नंबर अथवा कार्ड बंद होने का भय दिखाते हुए ऑनलाईन ठगबाजों द्वारा मोबाईल पर लिंक भेजकर डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड व बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी जाती है तथा किसी ऍप को डाउनलोड करने हेतु कहा जाता है. साथ ही मोबाईल पर क्यूआर कोड भेजकर उसे स्कैन करने हेतु कहा जाता है. जिसके बाद बैंक अकाउंट की पूरी जानकारी आरोपी के पास चली जाती है और उसके जरिये साईबर अपराधियों द्वारा ऑनलाईन तरीके से बैंक अकाउंट की पूरी रकम उडा ली जाती है. साथ ही कई बार लिंक डाउनलोड करने पर मालवेयर अथवा वायरस के जरिये मोबाईल व कंप्यूटर पर पूरी तरह से कब्जा करते हुए उसमें से पूरी संवेदनशिल जानकारी चोरों द्वारा चुरा ली जाती है. जिसके आधार पर आर्थिक जालसाजी, डेटा की चोरी तथा बदनामी सहित अन्य अपराध घटित हो सकते है. इसके साथ ही कई बार राह चलता कोई अनजान व्यक्ति खुद को मुसिबत में बताकर कॉल करने के लिए यदि मोबाईल मांगता है, तो एकदम से उसके हाथ में अपना मोबाईल नहीं देना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने पर वह व्यक्ति महज कुछ पलों के भीतर मोबाईल में दर्ज पूरी जानकारी को किसी अन्य के पास भेज सकता है. साथ ही मोबाईल पर आये ओटीपी को हासिल करते हुए जालसाजी कर सकता है. अत: किसी भी व्यक्ति के पास अपना मोबाईल नहीं दिया जाना चाहिए.
उपरोक्त जानकारी देने के साथ ही शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने बताया कि, किसी भी बैंक अथवा सरकारी अधिकारी कार्यालय द्वारा फोन करते हुए ओटीपी क्रमांक नहीं मांगा जाता है. ऐसे में किसी को भी यह गोपनीय जानकारी नहीं दी जानी चाहिए और कोई भी अनजान लिंक अथवा ऍप भी डाउनलोड नहीं करना चाहिए. साथ ही यदि जालसाजी होने की बात समझ में आती है, तो तुरंत ही नजदिकी पुलिस थाने अथवा साईबर पुलिस स्टेशन पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज करायी जानी चाहिए.
ग्राहकसेवा केंद्र के नाम पर युवक को ठगा
ग्राहकसेवा केंद्र खोलकर देने का झांसा देते हुए अज्ञात सायबर अपराधी ने युवक को 1 लाख रुपए से ठगे जाने का मामला सामने आया है. युवक की शिकायत पर सायबर पुलिस ने अपराध दर्ज किया है.
मिली जानकारी के अनुसार वलगांव के टेकडीपुरा में रहने वाले युवक सागर मोरे को 1 मार्च की दोपहर में एक अनजान मोबाइल नंबर से फोन आया. मोबाइल धारक ने युवक को बताया कि वह पे पाँईंट इंडिया कंपनी से बोल रहा है. इसके बाद अनजान मोबाइल धारक ने युवक को झांसे में लेकर ग्राहक सेवा केंद्र खोलकर देने के नाम पर प्रोसेसिंग शुल्क, एग्रीमेंट शुल्क भरने के लिए कहते हुए 1 लाख 56 हजार 400 रुपए भरवा लिये. इसके बाद जब ग्राहकसेवा केंद्र के बारे में युवक व्दारा पूछने पर अनजान मोबाइल धारक ने अपना मोबाइल बंद कर दिया. युवक व्दारा बार बार फोन लगाने पर भी संपर्क नहीं होने पर ठगे जाने के एहसास होने पर युवक ने सायबर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई. सायबर पुलिस ने धारा 419, 420, उपधारा 66 (डी) के तहत अपराध दर्ज किया है. मामले की जांच सायबर पुलिस थाने की निरीक्षक सीमा दातालकर कर रही है.