अमरावती

गोवा के दिव्यांग विभाग आयुक्त पहुंचे वझ्झर आश्रम

दिव्यांग अनाथों हेतु शंकर बाबा के कामों से हुए आयुक्त पावस्कर प्रभावित

अमरावती/दि.27 – गोवा सरकार के दिव्यांग विभाग के आयुक्त गुरुप्रसाद पावस्कर ने गत रोज परतवाडा के निकट वझ्झर स्थित स्व. अंबादासपंत वैद्य अनाथ व दिव्यांग बालगृह को भेंट दी और इस आश्रम के संचालक शंकरबाबा पापलकर द्बारा अनाथों व दिव्यांगों के लिए किए जाने वाले कामों से वे बेहद प्रभावित भी हुए. साथ ही उन्होंने वझ्झर मॉडल को बेहद प्रेरणादायी बताते हुए इसे पूरे देश में लागू करने की जरुरत प्रतिपादित की.
उल्लेखनीय है कि, विगत माह गोवा सरकार द्बारा दिव्यांग पुनर्वसन को लेकर तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें शंकरबाबा पापलकर में शामिल होकर महाराष्ट्र राज्य का प्रतिनिधित्व किया था. साथ ही देश भर में दिव्यांगों से संबंधित समस्याओं की गंभीरता को सभी के समक्ष रखते हुए वझ्झर मॉडल की जानकारी को उपस्थितों के सामने प्रस्तूत किया था. साथ ही उन्होंने सभी उपस्थितों को वझ्झर मॉडल समझने के लिए वझ्झर भी आमंत्रित किया था. जिसके चलते शंकरबाबा पापलकर द्बारा किए जाते कामों का प्रत्यक्ष मुआयना करने हेतु गोवा के दिव्यांग विभाग आयोग गुरुप्रसाद पावसकर रविवार 26 फरवरी की सुबह 10 बजे वझ्झर आश्रम पहुंचे. जहां पर चलने वाले सेवा कार्यों को देखकर आयुक्त पावसकर की आंखें भी नम हो गई.
* विद्यार्थियों से संवाद साधते समय छलक गई आंखे
वझ्झर आश्रम में रहने वाले बच्चों के भोजन व निवास की व्यवस्था के साथ ही उनके स्वास्थ्य से संबंधित देखभाल और उनकी दिनचर्या से संबंधित विस्तुत जानकारी आयुक्त गुरुप्रसाद पावसकर ने शंकरबाबा पापलकर सहित वझ्झर आश्रम के शिक्षकों से हासिल की. साथ ही आश्रम में रहने वाले बच्चों के साथ भी बडी आत्मियता के साथ संवाद साधा. इस समय आयुक्त पावसकर का स्वागत करने हेतु नेत्रहीन गांधारी ने सुमधुर स्वागत गीत प्रस्तूत किया. वहीं कई अनाथ व दिव्यांग बच्चों ने उनका भावपूर्ण स्वागत किया. यह सब देखकर आयुक्त पावसकर की आंखे छलक गई.
* शंकरबाबा को पुस्तिका भेंट
गोवा में हुए तीन दिवसीय शिविर के दौरान उपस्थित किए गए मुद्दों और उन पर हुए विचार विमर्श व मिलने की जानकारी रहने वाली परिपूर्ण पुस्तिका आयुक्त पावसकर द्बारा शंकरबाबा पापलकर को भेंट दी गई. इस समय आयुक्त पावसकर ने बताया कि, गोवा एक छोटा राज्य है. जहां पर रहने वाले 1 लाख दिव्यांगों हेतु किस तरह से बेहतरीन काम किया जा सकता है. इसे लेकर वझ्झर मॉडल को उदाहरण के तौर पर सामने रखते हुए अध्ययन किया जाएगा.

* क्या है वझ्झर मॉडल?
123 अनाथ व दिव्यांग बच्चों के पालन-पोषण व आजीवन पुनर्वसन की सुविधा वझ्झर मॉडल के तहत की गई है. बालगृहों में रहने वाले अनाथों व दिव्यांगों के लिए 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरान्त सरकार की ओर से कोई संरक्षक कानून ही नहीं बनाया गया है. ऐसे में वझ्झर मॉडल अपने आप में एक बेहतरीन उदाहरण है.
– वझ्झर आश्रम में रहने वाले सभी दिव्यांग अनाथों को शंकरबाबा पापलकर ने पिता के तौर पर अपना नाम दिया है. साथ ही अपनी 23 मानस कन्याओं की धूमधाम के साथ शादी करवाते हुए इस बालगृह में रहने वाले 12 बच्चों को उनकी पढाई-लिखाई पूरी होने के उपरान्त सरकारी नौकरी दिलाई गई है.
– वझ्झर आश्रम में रहने वाले सभी बच्चों को जनधन योजना व लाभ दिलाया गया है. साथ ही सभी के निवासी दाखिले बनाते हुए उन्हें मतदान का अधिकार भी दिलवाया गया है.
– आश्रम में रहने वाली 9 लडकियों के आजीवन निवास हेतु उन्हें घरकुल योजना का लाभ दिलाया गया है.
– आश्रम परिसर में पर्यावरण संवर्धन हेतु 15 हजार वृक्ष लगाए गए है.

 

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