अमरावतीमहाराष्ट्र

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने गोट बैंक उपक्रम करागर

एड. यशोमति ठाकुर का प्रतिपादन

अमरावती/मुंबई – माविम की ओर से आरंभ किया गया गोट बैंक उपक्रम जरूरतमंद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए करागर साबित होगा. भेड़-बकरियों के पालन से होनेवाली कमाई से उपजीविका में सहयोग और जीवनस्तर सुधारने में मदद होगी. इस आशय का प्रतिपादन महिला व बालविकास मंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने व्यक्त किया. इस दौरान चंद्रपुर जिले की महिलाओं द्वारा बांस से बनायी गई राखियों का उद्घाटन किया गया. उन्होंने बताया कि अकोला और अमरावती जिले में प्रायोगिक तौर पर शुरू किए जा रहे गोट बैंक उपक्रम के लिए सराकार की ओर से महिला आर्थिक विकास महामंडल (माविम) और कारखेडा कृषि उत्पादक कंपनी, अकोला के मध्य समझौता (एम.ओ.यु.) किया गया है. वीडियो कांन्फरेंस के जरिए लाभार्थी महिलाओं के साथ संवाद साधा गया. इस समय राज्यमंत्री बच्चू कडू, एड. ठाकूर, माविम अध्यक्ष ज्योती ठाकरे, महिला व बालविकास विभाग सचिव आय. ए. कुंदन, माविम की प्रबंधकीय संचालक श्रद्धा जोशी, कारखेडा कृषि उत्पादक कंपनी के संचालक नरेश देशमुख उपस्थित मौजूद थे. एड. ठाकुर ने कहा कि जरूरतमंद महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए माविम बेहतरीन कार्य कर रही है. कोरोना महामारी का संकट काफी बड़ा है. ग्रामीण महिलाओं को हमेशा किसी ना किसी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. यह महिलाएं स्वयंम के पैरों पर खड़ी रहने पर परिवार का जीवनस्तर भी बढ़ेगा. इसी उद्देश्य से महिलाओं के लिए विशेष उपजीविका प्रकल्प चलाया जा रहा है. माविम अंतर्गत लोकसंचालित साधन केंद्र (सीएमआरसी) के अलावा सामूहिक उपयोगिता केंद्रे (सीएफसी) के लिए काम कर रही है. गोट बैंक उपक्रम अंतर्गत माविम के महिला बचत समूूूूह सदस्य महिलाओं से नाममात्र प्रक्रिया शुल्क लेकर प्रत्येक एक बकरी वितरित की जाएगी. उक्त बकरी के पहले चार पिल्लों के गोट बैंक को वापस कराए जाएंगे. इसके बाद पूरी बकरी संबंधित मालिक को दी जाएगी. इसी तरह गोट बैंक में बकरियों की संख्या को बढ़ाया जाएगा. यह उपक्रम अकोला व अमरावती में सफल होने के बाद पूरे महाराष्ट्र में चलाया जाएगा. चंद्रपुर जिले के चिचपल्ली स्थित बांस संशोधन प्रशिक्षण केंद्र के सहयोग से बांस से कलात्मक वस्तुए बनाने का माविम बचत समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए चिमूर, मूल के अलावा चंद्रपुर तहसील के ६ सीएफसी स्थापित की गई है. जिनके जरीए बांस से घडी, सोफा, बांस की डायरी, फोटो फ्रेम आदि कलात्मक हस्तकौशल्य की वस्तुएं बनायी जा रही है. यह वस्तुए बनाते समय वेस्टेज कचरे का उपयोग किया जाता है. प्लास्टिक मुक्ति से बढावा देने के लिए पर्यापूरक राखियां भी बनायी जा रही है. चीनी उत्पादनों को लेकर बढ रहे रोष को देखते हुए स्वदेशी राखियों का प्रतिसाद बढ गया है. इसलिए ग्रामीण रोजगार को बढावा देने के लिए मविम की ओर से नवीनतम उत्पादनों को शुरु करने का आहवान किया है. महिला व बालविकासमंत्री एड. ठाकुर ने कहा कि, गोट बैंक यह उपक्रम ग्रामीण महिलाओं के जीवन में परिर्वतन लाएगा. अकोला, अमरावती के बाद राज्य के प्रत्येक जिले में एक गोट बैंक स्थापित की जाएगी. इसके अलावा बांस से बनी पर्यावरणपूरक राखियों को महिलाओं का बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है. आने वाले दौर में इसके उत्पादन में बढोत्तरी की जाएगी. इस समय श्रद्धा जोशी ने गोट बैंक उपक्रम और राखी निर्मिती प्रकल्प की जानकारी दी. कार्यक्रम के दरम्यिान अकोला जिले के बकरी प्रकल्प गिने चुने लाभार्थियों के अलावा चंद्रपुर जिले की राखी तैयार करने वाली महिलाओं से ऑनलाईन संवाद किया गया.

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