अमरावतीमहाराष्ट्र

नारी के सम्मान से ईश्वर की कृपा

जगद्गुरु शिवाचार्य महास्वामी का प्रतिपादन

* श्री शंकर मंदिर देवस्थान की प्राणप्रतिष्ठा व कलशरोहण समारोह
अमरावती /दि.17- भारत सनातन धर्म का देश में महिलाओं को सम्मान का स्थान है. देवाधिदेव महादेव ने माता पार्वती को अपने शरीर में आधा स्थान दिया है. महिलाओं को घर और समाज में सम्मान का स्थान मिलना चाहिए. यदि आप महिलाओं का सम्मान करोंगे, तो आपको महादेव और माता पार्वती की कृपा मिलेगी. विवाहित पुरुषों ने पत्नी को अर्धांगिणी मांगकर सम्मान किया. तो उन्हें शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलेगा, ऐसा प्रतिपादन उज्जैयनीे पीठ के श्री श्री श्री 1008 सद्धर्म सिंहासनाधिश्वर जगद्गुरु सिद्धलिंग राजदेशी ने किया. स्थानीय रहाटगांव के निकट श्री शंकर मंदिर संस्थान के प्राणप्रतिष्ठा व कलशरोहण समारोह की धर्मसभा में उन्होंने आशीर्वचन दिया.
शनिवार और रविवार को यह समारोह हुआ. रविवार को दूसरे दिन उज्जैयनी पीठ के जगद्गुरु शिवाचार्य महास्वामी ने आशीर्वचन किया. इस अवसर पर धर्मसभा के मंच पर ष. ब्र. 108 मुरुडसिद्ध शिवाचार्य दिगांबर स्वामी, कारंजा लाड, बुलढाणा के खारखेर्डा मठ के 108 सद्गुरु सिद्ध चैतन्य शिवाचार्य महाराज, नेरपिंगलाई के ष. ब्र. 108 शिवशंकर शिवाचार्य महाराज, मांजर सुभा के ष. ब्र. वेदांताचार्य शिवभूषण सद्गुरु डॉ. विरुपाक्ष शिवाचार्य महाराज उपस्थित थे. इसक ेअलावा संस्थान के अध्यक्ष पूर्व सांसद अनंत गुढे, पूर्व महापौर विलास इंगोले, पूर्व पार्षद राजेंद्र महल्ले, सुरेखा लुंगारे, भारत मेंढसे, पूर्व पालकमंत्री जगदीश गुप्ता उपस्थित थे. अपने आशीर्वचन में जगद्गुरु शिवाचार्य महास्वामी ने कहा कि, शास्त्र कहता है कि, आदर्श दम्पति एक दूसरे का सम्मान करते है. आदर्श दम्पति परमात्मा का आशीर्वाद रहता है. इस कारण प्रत्येक विवाहित पुरुषों ने पत्नी को और विवाह करने के इच्छुक पुरुषों ने अपनी भावी पत्नी को सम्मान देना चाहिए. धर्मपत्नी को भोग वस्तु न समझे. महिला केवल बच्चों को जन्म देने वाला यंत्र नहीं है, सेवा देने वाली दासी नहीं है. यह भी समझना चाहिए. महिला यह घर की मालकीन है. उसे बरोबरी का स्थान देना चाहिए. पुरुषों की तरह उसे भी सम्मान देना चाहिए. जिस परिवार में और समाज में महिलाओं को सम्मान रहता है, वह परिसर आदर्शवत रहता है. पत्नी का सम्मान करने वालों को भगवान शिव व माता पार्वती का भरपूर आशीर्वाद मिलता है, ऐसा उन्होंने कहा. भगवान श्री महादेव ने माता पार्वती को अर्ध शरीर स्थान दिया है. ब्रह्मदेव ने माता सरस्वती को जिभा पर स्थान दिया है. भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को हृदय में स्थान दिया है. विश्व में महिलाओं का गौरव हुआ. इस अवसर पर उन्हें स्वामी विवेकानंद का वाक्य कहते हुए बताया कि, विदेश में शरीर को अधिक महत्व दिया जाता है. लेकिन भारत मे देह नहीं, बल्कि देव को महत्व दिया जाता है. इस कारण प्रत्येक गांव में मंदिर है और अंत न रहने वाला सनातन है. इस धर्म का पालन प्रत्येक ने करना चाहिए. धर्म का रक्षण और महिलाओं का सम्मान करने पर सभी का कल्याण होगा, ऐसा उज्जैयनी पीठ के जगद्गुरु शिवाचार्य महास्वामी ने कहा. कार्यक्रम में संस्थान के पदाधिकारी व वीरशैव लिंगायत समाज के मनोजर आप्पा कापसे, रमेश आप्पा जुननकर, भारत आप्पा मेंढसे, उदय आप्पा चाकोते, प्रा. रविकांत कोल्हे, पूर्व महापौर विलास इंगोले, किशोर आप्पा गिलोलकर, नीलेश ढाके, प्रकाश संगेकर, विजय ओडे, कविता गुढे, अभिमन्यू डोईजड, इसासरे आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन विलास काले ने किया तथा डॉ. पूर्णा दिवसे का भक्ति संगीत का कार्यक्रम हुआ. प्राणप्रतिष्ठा समारोह के लिए डॉ. शिवयोगी शास्त्री होलीमठ, श्री योगीनाथ शास्त्री, श्री अश्विन स्वामी, श्री केदार स्वामी, शिवकुमार स्वामी विडेमठ ने पौराहित्य किया.

* सैकडों वर्षों की परंपरा
सिद्धेश्वर मंदिर की परंपरा सैकडों वर्ष की है. पूर्व सांसद अनंत गुढे के नेतृत्व में परिसर का निर्माण हुआ है. इस कारण सिद्धेश्वर महादेव भगवान प्रसन्न हुए है. उनका आशीर्वाद है. यह परिसर भगवान का रहने की बात उन्होंने कही है. इस अवसर पर उन्होंने कलश का महत्व बताया. कलस के कारण मंदिर को पूर्ण रुप मिलता है, ऐसे भी जगद्गुरु शिवाचार्य महास्वामी ने कहा.

* कार्यक्रम में भारी भीड
श्री शंकर मंदिर संस्थान के कार्यक्रम के दूसरे दिन धर्मसभा में जगद्गुरु शिवाचार्य महास्वामी का आशीर्वचन सुनने के लिए भारी भीड उमड पडी थी. अमरावती सहित विदर्भ व विदर्भ के बाहर के वीरशैव लिंगायत समाजबंधु बडी संख्या में उपस्थित थे. आशीर्वचन के बाद महाप्रसाद की व्यवस्था की गई थी.

* पानी और बेलपत्र के पूजन का महत्व
देवाधिदेव भगवान महादेव की महत्ता काफी है. भगवान महादेव को श्रृंगार नहीं चाहिए. उन्हें केवल जल और बेलपत्र अर्पण करने पर वे खुश होते है. अन्य पूजा करते समय संकल्प लेना पडता है. इच्छा बतानी पडती है. लेकिन भगवान महादेव को कोई भी इच्छा बतानी नहीं पडती. कुछ न कहते हुए भी सबकुछ देने वाले भगवान महादेव है. भक्तों की इच्छा पहचानने वाले और पूर्ण करने वाले महादेव भक्तों को प्रिय है, ऐसा जगद्गुरु शिवाचार्य महास्वामी ने कहा.

 

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