गोगा बाबा के जयकारे से गूंज उठी अंबा नगरी
बाबा की छड शोभायात्रा में उमडा भाविकों का जनसागर
* वाल्मिकी समाज ने हर्षोल्लास के साथ मनाया गोगा नवमी पर्व
अमरावती/दि.28-शहर में हर साल की तरह इस साल भी भाद्रपद माह की कृष्णपक्ष की नवमी तिथि के दिन गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल भी यह पर्व वाल्मिकी समाज द्बारा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. गोगा नवमी के पर्व का हिन्दू धर्म में खास महत्व है. वाल्मिकी समाज की मान्यताओं के अनुसार गोगा देव की पूजा श्रावण माह की पूर्णिमा से होती है. जो भादव मास की कृष्पपक्ष की नवमी तिथि तक मनाया जाता है. यह पर्व खासतौर पर वाल्मिकी समाज द्बारा मनाया जाता है. मंगलवार को हजारों की संख्या में भाविक गोगादेवजी की पूजा करने स्थानीय नेहरू मैदान पहुंचे और विधि विधान के साथ गोगादेवजी की पूजा अर्चना की.
इस अवसर पर गोगा बाबा की छड शोभायात्रा निकाली गई. बाबा की छड यात्रा में हजारों की संख्या में जनसैलाब उमडा. जिसमें शहर सहित जिले भर से वाल्मिकी समाज के अलावा सभी समाज के नागरिकों तथा बच्चो ने सहभाग लिया. इस अवसर पर जमकर आतिशबाजी और रोशनाई की गई थी. बाबा की छड यात्रा में महिला पुरूष, युवक-युवतियां बच्चे तथा बुजुर्ग पारंपरिक वस्त्र धारण किए शामिल हुए थे. शहर के बेलपुरा परिसर से बडे बाबा योगा गायन सामता बेलपुरा (नाथ घराना बडे बाबा) स्व. संतोष भगतजी छोटा बेलपुरा, लाखन भगतजी चव्हाण बेलपुरा, श्यामा भगतजी चावरे कंवर नगर, मोहन भगतजी गोवर बेलपुरा के अलावा औरंगपुर से अमर भगतजी चावरे, मसानगंज परिसर से संजु भगतजी तंबोले.
लक्ष्मीनगर परिसर से विजय भगतजी कलोसे, दीना भगतजी सारवान, नवसारी से जग्गूजी भगतजी डेंडवाल इनके निवासस्थान से पूजा- अर्चना कर विधि विधान के साथ बाबा की छडी रवाना हुई. बेलपुरा से निकली छड यात्रा में रामायण रचियता वाल्मिकी के तैलचित्र के सामने प्रभु श्रीराम की प्रतिमा स्थापित की गई थी. छड यात्रा में बाबा गौरखनाथ का तैलचित्र विविध रथों पर स्थापित किया गया था. इसके पीछे अश्वारूढ रथ तथा ठीक इसके पीछे परंपरागत वेशभूषा दो उंट के जोेडे भी शामिल थे. छड यात्रा में भक्त अपने सीने पर बाबा की छड को उठाकर चल रहे थे. यह पर्व श्रावण मास के 30 दिन तथा भादवा के 9 दिन यानी लगभग 40 दिनों तक गोगादेवजी महाराज की स्थापना कर पूजा- अर्चना की जाती है. कोई 40 दिन तक तो कोई 9 दिन तक कडा उपवास रखते है.
बाबा की छड यात्रा शहर के विविध मार्गो से होती हुई स्थानीय नेहरू मैदान पहुंची और यहां समाज के गणमान्यों की मौजूदगी में महिलाएं-पुरूष बच्चों ने बाबा की छडी का पूजन किया. पूजन के पश्चात कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई. इस अवसर पर समाज के चौधरी (प्रमुख) देवाजी शिरसिया, वाल्मिकी समाज जिलाध्यक्ष तथा समाज बावनी पंचायत प्रमुख संजय हडाले, कार्याध्यक्ष किशोर पिवाल, समाज के जमादार शंकर चावरे, विनोद खोडे, राजेश चावरे, सुभाष चावरे, विजय सेवता, संतोष चावरे, मनोज गोहर, नीलेश कन्नोजिया, राजेश चावरे, श्याम बोयत, लालचंद मिलादे, फकीरा सारसर, रवि संगेले, दीक्षांत हडाले, कुंदन सारवन सहित हजारों की संख्या में पुरूष- महिलाए, युवक-युवतियां, बच्चे, बुर्जुग बाबा की छडी यात्रा में शामिल हुए.
* नेहरू मैदान पर की गई पूजा अर्चना
मंगलवार की देर रात बाबा की छड यात्रा नगर भ्रमण कर स्थानीय नेहरू मैदान पर पहुंची. जहां विधि विधान के साथ पूजा- अर्चना की गई. पूजा में विशेष रूप से हल्दी, रोली, चावल, धूप, दीप, पुष्प और मिष्ठान्न का उपयोग किया गया. पूजा स्थल पर जल का छिडकाव कर स्वास्तिक का चिन्ह बनाया गया. सर्वप्रथम गोगाजी की प्रतिमा स्थापित की गई और प्रतिमा को जल अर्पित किया गया. इसके बाद हल्दी, रोली व चावल से तिलक कर पुष्प अर्पित किए गये. धूप- दीप जलाकर गोगाजी की आरती की गई और भोग लगाया गया. विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हुए गोगाजी की स्तुति की गई. विशेष रूप से गोगाजी को खीर, चुरमा और गुलगुले का भोग अर्पित किया गया और उसके पश्चात सभी भाविकों को प्रसाद वितरित किया गया. गोगा जी की कथा का वाचन किया गया. बाबा की छडी यात्रा में उनके घोडे को मसूर की दाल का भोग लगाया गया.
* हजारों सालों से चली आ रही है परंपरा
गोगा नवमी के दिन निकाले जानेवाली यात्रा को हम बाबा की छडी के नाम से पुकारते है. 40 दिनों तक कडा उपवास रखा जाता है. भादवा की नवमी को गोगा नवमी के रूप में मनाकर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर आयोजन का समापन किया जाता है. बाबा की छडी यात्रा में हर साल जिले भर के वाल्मिकी समाज बंधुओं के अलावा अन्य समाज के हिन्दू धर्मावलंबीे भी सहभाग लेते है.
-संजय हडाले,
वाल्मिकी समाज जिलाध्यक्ष तथा समाज बावनी पंचायत
अमरावती