मोती उगाने सोना-चांदी रखा गिरवी

बुआई के समय कर्ज नहीं मिलने से किसानों के सामने आर्थिक संकट

* सराफा बाजार में बढे गिरवी व गहना बेचने के व्यवहार
अमरावती /दि.16– कर्जमाफी की उम्मीद रखते हुए किसानों ने बैंकों का कर्ज अदा ही नहीं किया. जिसके चलते किसानों के बकाएदार हो जाने की वजह से बैंकों ने उन्हें अब नया कर्ज देने से इंकार कर दिया. ऐसी स्थिति में खरीफ की तैयारी, मशागत तथा खाद व बीज की खरीदी हेतु किसानों को पैसों का इंतजाम करने के लिए साहूकारों के यहां चक्कर काटने पड रहे है. वहीं कुछ लोग सराफा में अपने सोने के आभूषणों को गिरवी रखते हुए या सीधे बेच देते हुए पैसों का इंतजाम कर रहे. बैंको की ओर से कर्ज नहीं मिलने के चलते किसानों पर यह नौबत आन पडी है.
बता दें कि, गत वर्ष औसत से अधिक बारिश ने फसलों का काफी नुकसान किया. जिसके चलते औसत आय में कमी हो जाने की वजह से किसान आर्थिक संकट में फंस गया और जैसे-तैसे इस बार के खरीफ सीजन की तैयारी कर रहा है. इन दिनों खेति-किसानी पूरी तरह से बेभरोसे वाला काम हो चला है, तथा प्राकृतिक आपदाओं की वजह से किसान आर्थिक दिक्कत में फंसे दिखाई दे रहे है. आर्थिक दिक्कतों से बाहर निकलने हेतु अस्थाई उपाय के तौर पर कुछ लोग गोल्ड लोन के साथ-साथ तारण व मोड जैसे उपायों का सहारा ले रहे है.

* मोड के दाम क्या है?
अखंड सोने के दाम में 200 से 300 रुपए की कमी करते हुए सोने की मोड ली जाती है. वहीं जोड यानि दाग वाले गहने रहने पर इसके लिए दो फीसद कम रकम दी जाती है.
* गोल्ड लोन के लिए बैंकों का सहारा
सोने को सीधे बेच देने की बजाए उसे बैंक में गिरवी रखकर कर्ज लेने के मामले भी काफी हद तक बढे है. इसके तहत राष्ट्रीयकृत बैंकों सहित अन्य निजी अथवा सहकारी बैंकों में सोना गिरवी रखकर उस पर कर्ज लेने की ओर किसानों का रुझान अधिक होता है.

* निजी साहूकारों से भी उम्मीदे
आर्थिक दिक्कत में रहनेवाले किसानों को बैंक से कर्ज नहीं मिलने के चलते उन्हें निजी साहूकारों से उम्मीदे रखनी पडती है. लाईसेंसधारक कई साहूकार निजी साहूकारी करते है. ऐसे समय दिक्कत में रहनेवाले किसानों द्वारा साहूकारों से तारण कर्ज लिया जाता है.

 

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