अमरावती

शक्कर की बजाय गुड हो रहा महंगा

घर-घर में गुड का प्रयोग बढा

  • गुड की चाय बनी प्रतिष्ठापूर्ण

  • रोग प्रतिकार शक्ति बढाने में भी उपयोगी

अमरावती/दि.26 – किसी समय शक्कर का उपयोग करनेवाले लोगों को संभ्रांत माना जाता था और गुड का प्रयोग करनेवाले गरीब समझे जाते थे. लेकिन अब स्थिति एकदम उलट हो गई है और गुड ने अमीरों के घरों में प्रवेश करते हुए अपनी प्रतिष्ठापूर्ण जगह बना ली है. स्वास्थ्य के लिए बेहद गुणकारी माने जाते गुड का प्रयोग अब सभी वर्ग के लिए अपने खान-पान में करने लगे है. ऐसे में मांग बढने की वजह से गुड अब शक्कर से भी अधिक महंगा हो गया है.
करीब 30-35 वर्ष पहले ग्रामीण क्षेत्रों में गुड का प्रमाण बडे पैमाने पर हुआ करता था और शक्कर की तुलना में गुड के दाम बेहद अत्यल्प हुआ करते थे. ऐसे में शक्कर को शान का और गुड को गरीबी का प्रतिक माना जाता था. लेकिन कालांतर में यह पता चलने लगा कि, गुड शरीर के लिए किस तरह से गुणकारी है और इसके गुणधर्मों की जानकारी मिलने के बाद अब काफी हद तक गुड का प्रयोग बढ गया है. इन दिनों शहरों में कैन्टीनों पर गुड की चाय को बेहद प्रतिष्ठापूर्ण माना जाता है और गुड के नये-नये खाद्यपदार्थ तैयार करने पर गृहिणियों का विशेष जोर रहता है.
इन दिनों गुड की तुलना में शक्कर का प्रयोग काफी हद तक कम हो गया है. वहीं गुड का उत्पादन भी बडे पैमाने पर बढा है. जिन क्षेत्रों में गन्ने का उत्पादन अधिक होता है, वहां गुड तैयार किया जाता है. पूरी दुनिया में सबसे अधिक गुड का उत्पादन अकेेले भारत देश में ही होता है. इसके बावजूद देश में इस समय गुड के दाम काफी अधिक है, क्योेंकि अचानक ही गुड की मांग में तेजी आ गयी है और दाम महंगे रहने के बावजूद लोगबाग इन दिनों गुड का प्रयोग जमकर कर रहे है.

स्वास्थ्य के लिए अच्छा है गुड

गुड में लौहतत्व का प्रमाण होता है और इसका सेवन करने के कई फायदे है. गुड से रोग प्रतिकारक शक्ति बढती है, रक्त का शुध्दीकरण होता है, हड्डिया मजबुत होती है, जोडों का दर्द कम होता है तथा पाचन शक्ति भी अच्छी रहती है. ऐसे में गुड का प्रयोग निश्चित तौर पर स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन है.
– रसिका राजनेकर
आहार विशेषज्ञ, अमरावती.

दैनिक आहार में बढा प्रयोग

पहले जहां गांव-खेडों में गुड की मांग और प्रयोग अधिक हुआ करते थे, वहीं अब शहरी क्षेत्र की दुकानों में भी गुड की मांग लगातार बढती दिखाई दे रही है और गुड का सेवन करने की वजह से होनेवाले फायदों के चलते दैनिक आहार में गुड का प्रयोग बढ रहा है. विगत चार-पांच वर्षों के दौरान शहरी क्षेत्र में रहनेवाली चाय की दुकानों पर लोगबाग अब शक्कर की बजाय गुड से बनी चाय पीना पसंद कर रहे है और गुड की चाय को अब एक स्टेटस् सिम्बल माना जाने लगा है.

शक्कर और गुड की वर्षनिहाय तुलनात्मक दरें (दाम प्रतिकिलो)

वर्ष       शक्कर      गुड
2000     16 रू.      14 रू.
2001     26 रू.      16 रू.
2017     35 रू.      40 रू.
2019     33 रू.      25 रू.
2020     36 रू.      48 रू.
2021     37 रू.      48 रू.

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