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खुश खबर! अमरावतीवासियों की उम्मीदो व भावनाओं को अगले माह लगेंगे पंख

अमरावती विमानतल को संत गुलाबराव महाराज का नाम

* सीएम फडणवीस ने कैबिनेट बैठक में निर्णय को दी मंजूरी
* 9 अप्रैल को सीएम के हाथों विमानतल का शुभारंभ
* पहली कमर्शियल उडान होगी रवाना, जिला प्रशासन जुटा तैयारियों में
* अलायन्स एयर की 72 सीटर विमानों की नियमित मुंबई उडाने चलेंगी
अमरावती / दि. 6- अमरावती शहर के निकट बेलोरा परिसर में पूरी तरह से बनकर तैयार अमरावती विमानतल को ज्ञानेशकन्या व प्रज्ञाचक्षू कहे जाते संत गुलाबराव महाराज का नाम दिए जाने के निर्णय को मंजूरी गत रोज ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा इस संदर्भ में आयोजित बैठक में दी गई. इसके साथ ही अब यह जानकारी भी सामने आई है कि, मुख्यमत्री देवेन्द्र फडणवीस के हस्ते आगामी 9 अप्रैल को अमरावती विमानतल का अधिकारिक रुप से शुभारंभ करते हुए 9 अप्रैल को यहां से पहली कमर्शियल फ्लाइट मुंबई हेतु रहेगी. ऐसे में प्रशासन स्तर पर एयरपोर्ट के ऑपरेटिव होने के समारोह की तैयारी शुरू हो गई है. साथ ही पता चला है कि, अब अमरावती एअरपोर्ट से अलायंस एअर के एटीआर-72 यानी 72 सीटर विमानों की सेवा नियमित रुप से मुंबई के लिए शुरु हो जाएगी. इसके साथ ही आगे चलकर इस हवाई सेवा को और अधिक विस्तार दिया जाएगा.
बता दें कि अमरावती मंडल ने बुधवार को ही समाचार दिया था कि सप्ताह भर में डीजीसीए का आवश्यक लाइसेंस बेलोरा विमानतल को मिलने जा रहा है. इस बारे में आवश्यक औपचारिकताएं, कागजात डीजीसीए को दे दिए गये हैं. उसी प्रकार अधिकारी स्वाति पांडे और पायलट दल के सदस्यों ने उडान का परीक्षण भी दो रोज पहले संपन्न कर दिया.
* निदेशक और प्रबंधक नियुक्त
उल्लेखनीय है कि विमानतल के लिए आवश्यक एटीजी टर्मिनल, 1850 मीटर का रनवे, कंपाउंड वॉल, तकनीकी ब्लॉक, इलेक्ट्रीक सबस्टेशन, फायर स्टेशन आदि तैयार हो गये हैं. इतना ही नहीं तो एयरपोर्ट निदेशक, टर्मिनल प्रबंधक, एयर साइड प्रबंधक, सिविल और इलेक्ट्रीकल इंजीनियर सहित करीब 35-40 अधिकारी- कर्मी नियुक्त हो चुके हैं. उसी प्रकार महाराष्ट्र सुरक्षा बल का 54 लोगों का दस्ता भी तैनात हो गया है. इसके अलावा अन्य स्टॉफ वहां मुस्तैद हो जाने से अब विमानतल के संपूर्ण ऑपरेटिव होने की तैयारी पूर्ण हो गई है.
* अलायन्स एयर से उडो मुंबई
अधिकृत सूत्रों ने बताया कि फिलहाल केवल प्रदेश की राजधानी मुंबई के लिए उडानें रहेगी. अधिकारियों ने बताया कि बेलोरा से अलायन्स एयर के एटीआर 72 विमानाेंं से मुंबई नियमित फ्लाइट का अनुबंध एक वर्ष पूर्व हो चुका है. यह सेवा डीजीसीए का लाइसेंस मिलते ही शुरू की जायेगी. इस प्रकार की जानकारी अधिकृत सूत्रों ने अमरावती मंडल को दी. उन्होंने बताया कि समय के साथ अन्य शहरों से भी अमरावती एयरपोर्ट के माध्यम से जुडेगा.
* स्वाति पांडे ने किया व्यक्तिगत रुप से निरीक्षण
बेलोरा विमानतल के पूर्ण संचालन की दिशा में उस समय महत्वपूर्ण कदम बढा, जब वीसीएमडी श्रीमती स्वाति पांडे गत मंगलवार को मुंबई से अंशांकन उडान देखने आयी. इसे सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया. विमानतल के पूर्ण संचालन की दिशा में यह महत्वपूर्ण मिल का पत्थर है. पीएपीआई अर्थात पापी प्रणाली विमानन सुरक्षा में आवश्यक उपकरण है. महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी की उपाध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक श्रीमती पांडे यहां पधारी. उन्होंने 7 सदस्यों के दल के साथ ईआर टर्बोप्रॉप विमान पर फ्लाइट निरीक्षण किया. विमान कप्तान अनूप कचरु और विमानन विशेषज्ञों द्वारा संचालन किया गया था. अमरावती हवाई अड्डे से उडान संचालन के लिए कुशल, सुरक्षित और विश्वसनीय सेवा प्रदान करने की स्थिति में विमानतल आ गया है. बेलोरा से शीघ्र कमर्शियल उडानें शुरु होने से पहले कुछ अंतिम सुरक्षा उन्मुख जांच की जा रही है. एलायंस एयर क्षेत्रीय कनेक्टीविटी योजना के तहत मुंबई-अमरावती-मुंबई रुट पर एटीआर-72 के साथ निर्धारित परिचालन शुरु करेगी. यह भी बता दें कि, बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने भी बेलोरा विमानतल का अवलोकन किया. उन्होंने अप्रैल में यहां से मुंबई के लिए नियमित उडानें शुरु होने का विश्वास व्यक्त किया था. सीएम देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में बेलोरा विमानतल परिचालन शुरु करने की बात भी सांसद बोंडे ने कही थी.

* अमरावती गदगद, समारोह में उमडेंगे लोग
अमरावती के लोगों को गत दो दशकों से बेलोरा एयरपोर्ट के ऑपरेटिव होने का बेताबी से इंतजार था. एक के बाद एक राजनेता इसे लेकर दावे करते रहे. अब अमरावती का उडानों का सपना साकार होने जा रहा है. सामान्य नागरिक अलायन्स एयर के एटीआर विमानों से मुंबई की उडान लेंगे. सूत्रों ने दावा किया कि विमानतल के ऑपरेटिव होने के समारोह में लोग उमडेंगे.

फाइनली आ गई डेट !
शहर और क्षेत्र के उद्यमी बेलोरा विमानतल के ऑपरेटिव होने के समाचार से प्रसन्न हो गये हैं. इन उद्यमियों का कहना है कि फाइनली डेट आ गई. सभी को 9 अप्रैल का इंतजार है. कई लोगों ने तो अलायन्स एयर की वेबसाइट भी खंगाल ली. ताकि टिकट बुक कर सके.


* कौन थे ज्ञानेशकन्या संत गुलाबराव महाराज
महाराष्ट्र को संतो की भूमि कहा जाता है और महाराष्ट्र की संत परंपरा के तहत अमरावती जिले की चांदुर बाजार तहसील अंतर्गत माधान गांव के संत गुलाबराव महाराज का नाम भी प्रमुखता के साथ लिया जाता है. महज 9 माह की आयु में अपने आंखों की रोशनी खो देनेवाले और पूरा जीवन नेत्रहीन रहनेवाले संत गुलाबराव महाराज की प्रज्ञा इतनी अधिक प्रखर थी कि, उन्हें प्रज्ञाचक्षू यानी अपनी प्रज्ञा के दम पर सबकुछ देख सकने में सक्षम रहनेवाला व्यक्ति कहा जाता था. साथ ही संत गुलाबराव महाराज ने संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज को अपने पिता का स्थान देते हुए खुद को उनकी लाडली बेटी निरुपित किया था. जिसके चलते संत गुलाबराव महाराज को ज्ञानेशकन्या भी कहा जाता है. क्योंकि, उन्होंने संत ज्ञानेश्वर से शुरु हुई संत परंपरा को एक सुयोग्य सुपूत्री की तरह आगे बढाया और उन्हें पूरी ज्ञानेश्वरी कंठस्थ भी थी.
संतश्रेष्ठ तुकाराम महाराज को अपना गुरु माननेवाले संत गुलाबराव महाराज को वर्ष 1901 में आलंदी दर्शन के समय संत ज्ञानेश्वर का साक्षात्कार हुआ था. जब संत गुलाबराव महाराज लगातार चार दिन ध्यानमग्न बैठे थे. संत ज्ञानेश्वर द्वारा प्रत्यक्ष दर्शन दिए जाने के चलते संत गुलाबराव महाराज ने उनके रुप का वर्णन अकोला के एक कलाकार के समक्ष किया था और महाराज के निर्देश पर ही उस कलाकार ने संत ज्ञानेश्वर का फेटा धारण किया हुआ छायाचित्र बनाया था और आज भी संत ज्ञानेश्वर का वही एकमात्र चित्र उपलब्ध है.
संत गुलाबराव महाराज की प्रज्ञाचक्षु जागृत रहने के चलते वे हिंदी, अंग्रेजी, जपानी, जर्मन, बंगाली, तेलगु, कन्नड आदी भाषा के साहित्य को पढ और समझ सकते थे. साथ ही उनकी प्रतिभा इतनी अधिक प्रगल्भ थी कि, किस किताब के किस पन्ने पर क्या लिया हुआ है, यह भी संत गुलाबराव महाराज बता दिया करते थे.
महज 22 वर्ष की उम्र में कात्यायनी व्रत की दीक्षा लेते हुए संत गुलाबराव महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के पत्नीत्व का अधिकार मिलने हेतु 33 दिनों का व्रत किया था और तब से ही उन्होंने स्त्रीवेष धारण करते हुए मंगलसूत्र, कुंकू, वेणी व चूडियों जैसे स्त्री श्रृंगार को धारण करना शुरु किया था. महज 34 वर्ष का लौकिक आयुष्य रहनेवाले संत गुलाबराव महाराज ने अपने अल्प जीवन में 134 ग्रंथ लिखे. जिनकी पृष्ठ संख्या 6 हजार के आसपास है. अपने इन ग्रंथो में महाराज ने डार्विन व स्पेन्सर के सिद्धांतो पर भाष्य करने के साथ ही ज्ञानयोग, भक्तियोग, वेदांत, उपनिषदे, मानसशास्त्र, आयुर्वेद, ब्र:म्हसुत्रे आदी विषयों पर भी शास्त्रशुद्ध लेखन किया तथा कई शास्त्रार्थो में अनेकों पंडितों व विद्वानों को भी पराजित किया. ऐसे महान संत का नाम अमरावती के विमानतल को दिया जा रहा है.

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