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मोर्शी में अप्परवर्धा प्रकल्पग्रस्त किसान गोपाल दाहीवले ने लगाई फांसी

तहसील कार्यालय के सामने अनशन मंडप में ही फांसी लगाकर की आत्महत्या

* सुसाइड नोट में सरकार को बताया आत्महत्या के लिए जिम्मेदार
* कार्यकर्ताओं से आंदोलन जारी रखने की जताई अंतिम इच्छा
* खबर के फैलते ही मोर्शी में जबर्दस्त तनाव की लहर
* आंदोलन स्थल पर उमडा नागरिकों का हुजूम
* संतप्त प्रकल्पग्रस्तों ने शुरु किया जक्काजाम आंदोलन
* अम.-वरुड मार्ग पर यातायात रहा कई घंटों तक बाधित
* जानकारी मिलते ही एसपी विशाल आनंद भी मोर्शी पहुंचे
अमरावती/मोर्शी/दि.27 – विगत लंबे समय से अपनी विभिन्न प्रलंबित मांगों को लेकर अप्परवर्धा बांध प्रकल्पग्रस्त कृति समिति द्वारा मोर्शी के तहसील कार्यालय के समक्ष किये जा रहे आंदोलन के दौरान बीती रात अनशन मंडप में गोपाल बाजीराव दाहीवले (48) नामक प्रकल्पग्रस्त किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. साथ ही आत्मघाती कदम उठाने से पहले लिखे गये सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कार्यकर्ताओं से आंदोलन को आगे भी जारी रखने का आवाहन किया. इसके अलावा गोपाल दाहीवले ने प्रकल्पग्रस्तों की मांगे पूर्ण होने तक अपने शव को अपने घर नहीं ले जाने की अंतिम इच्छा जताते हुए यह भी लिखा है कि, जलसमाधी आंदोलन के समय की गई जोरजबरदस्ती उन्हें तानाशाही की तरह महसूस हुई. जिससे आहत होकर वे आत्महत्या का कदम उठा रहे है.
यह खबर आज सुबह पूरे परिसर में आग की तरह फैली तथा देखते ही देखते आंदोलन स्थल पर मोर्शी शहर सहित आसपडोस के ग्रामीण इलाकों के लोगों का जमावडा लगना शुरु हो गया. वहीं गोपाल दाहीवले नामक प्रकल्पग्रस्त द्वारा उठाये गये आत्मघाती कदम से संतप्त होकर अन्य प्रकल्पग्रस्तों ने मोर्शी उपजिला अस्पताल के समक्ष ठिया लगाते हुए चक्काजाम आंदोलन करना शुरु किया. जिससे अमरावती-वरुड मार्ग पर यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ और इस परिसर में कई घंटों तक ट्रैफिक जाम लगा रहा. वहीं इस घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विशाल सिंगुरी तुरंत अपने दल-बल सहित मोर्शी पहुंचे तथा उन्होंने मोर्शी पुलिस थाने में बैठकर हालात का जायजा लेते हुए प्रकल्पग्रस्तों के प्रतिनिधि मंडल को समझाने-बुझाने का भी प्रयास किया. ताकि कानून व व्यवस्था की स्थिति को बिगडने से बचाया जा सके.
बता दें कि, अप्परवर्धा बांध प्रकल्पग्रस्त कृति समिति द्वारा अपनी विभिन्न प्रलंबित मांगों को लेकर विगत 253 दिनों से आत्मक्लेश आंदोलन किया जा रहा है. इसके तहत अलग-अलग तरह के आंदोलन करते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने का किसानों द्वारा प्रयास किया जा रहा है. परंतु इसमें सफलता नहीं मिलने पर कुछ आंदोलनकारियों ने मुंबई स्थित मंत्रालय की उपरी मंजिल पर लगी सुरक्षा जाली पर छलांग लगाकर आंदोलन किया था. उस समय सीएम शिंदे ने 15 दिन के भीतर प्रकल्पग्रस्त किसानों की मांगे पूरा करने का आश्वासन दिया था. परंतु 5 माह का समय बीत जाने के बावजूद भी सरकार इस पर कोई समाधान नहीं निकाल पायी. ऐसे में यह आंदोलन अब भी बदस्तूर जारी है. जिसके तहत मोर्शी तहसीलदार कार्यालय के समक्ष बनाये गये आंदोलनस्थल पर कई प्रकल्पग्रस्त किसान डटे हुए है. जिनमें वर्धा जिलांतर्गत नये पुनर्वसन टाकरखेडा (पुराना पिंपडागांव) में रहने वाले गोपाल बाजीराव दाहीवले नामक 48 वर्षीय किसान का भी समावेश था. जिसकी जमीन को अप्पर वर्धा बांध के लिए सरकार ने संपादीत की थी और प्रकल्प में जमीन चले जाने की वजह से वे भूमिहीन हो गये. शरीर से दिव्यांग रहने वाले गोपाल दाहीवले जैसे-तैसे छोटे-मोटे काम करते हुए अपना और अपने परिवार का उदरनिर्वाह चला रहे थे तथा योग्य मुआवजा मिलने की प्रतिक्षा कर रहे थे. परंतु 50 वर्षों से चल रहे इस इंतजार में दो पीढिया खत्म हो गई. लेकिन किसानों की मांगे पूरी नहीं हुई. जिससे कई किसान अब निराशा का शिकार होने लगे है. इसी निराशा के चलते गोपाल दाहीवले ने 26 व 27 जनवरी की दरम्यानी रात मोर्शी तहसील कार्यालय के सामने बने आंदोलन मंडप में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और अपनी मौत के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया.
इस घटना के चलते पूरे मोर्शी तहसील क्षेत्र में अच्छा खासा हडकंप व्याप्त है तथा विगत 5 माह से आंदोलन जारी रहने के बावजूद भी सरकार द्वारा प्रकल्पग्रस्तों की बरसो पुरानी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिये जाने को लेकर अच्छा खासा रोष जताया जा रहा है.

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