अमरावती

गोंडवाना सांस्कृतिक संग्रहालय की ओर सरकार की अनदेखी

२० वर्षों से काम को लगा बे्रक, काम शुरु करने की मांग

अमरावती / दि.२९- गोंडी संस्कृति का प्रचार-प्रसार और संवर्धन हो, इसके लिए गोंडवाना सांस्कृतिक संग्रहालय २००२ में नागपुर में मंजूर हुआ, किंतु २० वर्ष बीतने के बाद भी काम रूका है. लेकिन अब गोंडवाना सांस्कृतिक संग्रहालय का रूका हुआ काम जल्द से जल्द पूरा करने की मांग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से ट्रायबल फोरम ने की है. बतादें कि, पुणे की आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था को ५० साल पूरे होने पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस संस्था को स्वायत्त संस्था के रूप में मंजूरी देकर एक उपकेंद्र नागपुर में स्थापित करने का निर्णय लिया था. इस उपकेंद्र को गोंडवाना सांस्कृतिक संग्रहालय यह नाम दिया गया है. विदर्भ में गोंडीयन समाज बड़ी संख्या में है. इतिहास में गोंडीयन संस्कृति व गोंड राजा को अनन्यसाधारण महत्व है. उल्लेखनिय है कि, नागपुर नगरी गोंडराजे बख्तबुलंदशहा ने बसायी है. आदिवासी समाज के जीवन, कला, भाषा, संस्कृति का जतन व संवर्धन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दर्जे का संग्रहालय बनाने के लिए सरकार ने कदम उठाए है. इसके लिए केंद्र सरकार ने अब तक दो चरण में २१ करोड़ रुपए मंजूर किए है. निधि उपलब्ध होने पर भी गोंडवाना संग्रहालय के काम को गति नहीं मिली.
जगह व निधि उपलब्ध
गोंडवाना संग्रहालय के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष २०१४ में १० करोड़ व २०१५ में ११ करोड़ ऐसा कुल २१ करोड रुपए मंजूर किए है. इस निधि अंतर्गत निर्माण कार्य पर खर्च किया जानेवाला था. जगह के अभाव में संग्रहालय का काम रूका था, लेकिन २०१४ में सुराबर्डी की १२ एकड जगह संग्रहालय को हस्तांतरित की गई है. जगह और पैसा उपलब्ध होने के बाद भी संग्रहालय का काम शुरु नहीं हुआ.

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