अमरावती

शासन शिक्षको पर नही जता रही भरोसा

ऑनलाईन अध्यापन की साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्णय का विमाशि का विरोध

  • आदेश रद्द न करने पर काम पर बहिष्कार डालने का विमाशि की चेतावनी

अमरावती प्रतिनिधि/दि.६ – कोराना महामारी के कारण राज्य की सभी शाला बंद है, ऐसा होने पर भी शाला प्रत्यक्ष रूप से शुरू होने के संबंध में अनिश्चितता है. ऐसी स्थिति में ‘मेरा विद्यार्थी, मेरी शाला’ इस आत्मीयता से अपनी शाला का विद्यार्थी शिक्षा के प्रवाह में टिका रहे इसलिए शिक्षक वर्ग अनेक एप का प्रयोग करके ऑनलाईन व प्रत्यक्षरूप से घर में भेट देकर ऑफलाईन शिक्षा विद्यार्थियों तक पहुंचाने का काम प्रामणिक तौर पर कर रहे है. इस काम का निरीक्षण, नियंत्रण, नियंत्रण व मूल्यमापन करनेवाली प्रशासकीय यंत्रणा अस्तित्व में होने पर शिक्षको का अध्ययन, अध्यापन की साप्ताहिक रिपोर्ट लिंक द्वारा ऑनलाइन भरने के संबंध में शासन का निर्देश है. इसके विरोध में शिक्षको में तीव्र नाराजी है. यह शिक्षको सहित इस यंत्रणा पर अविश्वास है. जिसके कारण यह आदेश रद्द किया जाए, ऐसी मांग विदर्भ माध्यािमक शिक्षा संघ ने शासन से की है.

पहले ही शिक्षको पर शालेय पोषण आहार योजना का अनाज वितरण, बी.एल.ओ. के काम तथा अनेक कामों का बोझ है. लॉकडाऊन शुरू होने से लेकर शिक्षको को कोविड-१९ के कारण आपत्ति व्यवस्थापन में कोरोना सहायता कक्ष, आयसोलेशन कक्ष तथा विविध सर्वेक्षण के काम में उलझ गये है. इसके विरोध में शिक्षक संगठनों ने आक्रमक होकर विरोध करने के कारण शासन ने १७ अगस्त २०२० को परिपत्रक निकालकर कोविड-१९ के काम से शिक्षको को कार्यमुक्त करे, ऐसा आदेश निकाला. किंतु शिक्षा विभााग इस आदेश का अमल करके इस काम से शिक्षको को मुक्त करने में असफल रहे. शिक्षको की सहनशीलता का फायदा उठाकर स्वास्थ्य विभाग ने ११ सितंबर को परिपत्रक निकाला व ‘मेरा परिावार, मेरी जिम्मेदारी’ अभियान अंतर्गत अनेक शिक्षको की सेवा अधिग्रहित कर उन्हें कोविड-१९ सर्वे के काम में लगाए. शिक्षा विभाग ने १७ अगस्त के परिपत्रकनुसार यह काम बंद किए ही नहीं. किंतु साप्ताहिक रिपोर्ट ऑनलाईन प्रस्तुत करने का और एक काम बढ़ाकर शिक्षकों पर अन्याय किया.

ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी शिक्षा से वंचित न रहे इसलिए शिक्षको की ओर से ‘शाला बंद, शिक्षा शुरू’ यह उपक्रम चलाया जा रहा है. आदिवासी बहुल जिले में इंटरनेट व डिजिटल उपकरण की पूरी सुविधा न होने के कारण शिक्षक विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से घर में भेट देकर शिक्षा संक्रमण के कार्य कर रहे है. आश्रम शाला के शिक्षक तथा गांव-गांव में भेटकर ऑफलाइन अध्यापन द्वारा गोरगरीब विद्यार्थियों को विद्यादान का काम कर रहे है. उनकी इस काम की दखल न लेकर संचालक महाराष्ट्र राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषद पुणे ने २४ सितंबर को शिक्षको ने अध्ययन अध्यापण की साप्ताहिक रिपोर्ट लिंक द्वारा ऑनलाईन भरकर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. राज्य को अनेक क्षेत्रों में इंटरनेट की पूरी तरह सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण शिक्षको को इस काम में अडचने आ रही है. उसी प्रकार इस काम का निरीक्षण, नियंत्रण व मूल्यमापन करनेवाली मुख्याध्यापक से लेकर शिक्षाधिकारी तक प्रशासकीय यंत्रणा अस्तित्व में होने पर १ ली से १२वी तक सभी माध्यमो ेंके शिक्षको को इस काम में अडचने आ रही है. उसी प्रकार इस काम का निरीक्षण, नियंत्रण व मूल्यमापन करनेवाली मुख्याध्यापक से लेकर तथा शिक्षाधिकारी तक प्रशासकीय यंत्रणा अस्तित्व में होने पर १ ली से १२ वी तक के सभी माध्यमों के शिक्षको को ऐसे आदेश देना यानी उनके काम पर तथा अपने निरीक्षण तथा नियंत्रण करनेवाली यंत्रणा पर अविश्वास है. जिसके कारण शिक्षक वर्ग में शासन इस आदेश के विरोध में कमाल का असंतोष दिखाई देता है.

पहले अस्तित्व में रहनेवाली प्रचलित यंत्रणा को अनदेखा कर शिक्षको ने ऑनलाइन साप्ताहिक रिपोर्ट भेजने की सख्ती करनेवाली दिनांक २४ सितंबर को इस पत्रद्वारा निर्गमित किया गया आदेश गलत होने के कारण तत्काल रद्द किया जाए. अन्यथा विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ इस काम पर बहिष्कार डालने का शिक्षको को आवाहन करेंगे. इसकी जिम्मेदारी शासन पर रहेगी, ऐसा निवेदन विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष एस.जी. बरडे, सुधाकर अडबाले व प्रकाश कालबांडे ने मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे, शिक्षा मंत्री वर्षाताई गायकवाड , शिक्षा राज्यमंत्री बच्चूभाऊ कडू व प्रधान सचिव शिक्षा विभाग वंदना कृष्णा ने भेजा है.

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