अमरावती

सरकारी दूध संकलन हुआ बंद

निजी डेअरियों में मिल रहा अधिक दाम

* गर्मी में दूध का उत्पादन भी घटा
अमरावती/दि.20- इस समय सरकारी दूध डेअरी में लाये जानेवाले दूध को केवल 25 रूपये प्रति लीटर के दाम दिये जाते है. जिसकी तुलना में मदर डेअरी सहित निजी दूध डेअरियों में दूध को करीब डेढ गुना अधिक दाम मिल रहे है. जिसके चलते दूध उत्पादकोें द्वारा सरकारी डेअरी में दूध देने की बजाय मदर डेअरी सहित निजी दूध डेअरियों में दूध पहुंचाया जा रहा है. ऐसे में विगत 17 मार्च से अमरावती जिले में सरकारी दूध संकलन व वितरण का कार्य बंद है. वहीं दूसरी ओर इन दिनों गरमी का असर बढ जाने के चलते दूध का उत्पादन भी कम हो गया है.
बता दें कि, इससे पहले जिले में सरकारी दूध डेअरी के पास 5 हजार लीटर तक दूध का संकलन हुआ करता था. किंतु सरकारी डेअरी में दूध का दाम अब भी 25 रूपये प्रति लीटर है. दूध की तुलना में मदर डेअरी द्वारा 32 रूपये व निजी दूध डेअरीयों द्वारा 40 रूपये तक का भाव दिया जाता है. ऐसे में दूध उत्पादक अब सरकारी डेअरी में दूध लाकर देने के इच्छूक नहीं है, चूंकि सरकारी दूध डेअरी में लगी मशीन की क्षमता 5 हजार लीटर की है और दूध का संकलन लगभग नहीं के बराबर है. ऐसे में सरकारी दूध संकलन का काम विगत 17 मार्च से बंद कर दिया गया है. ऐसी जानकारी जिला दुग्धविकास अधिकारी गिरीश सोनोने द्वारा दी गई है. साथ ही उन्होंने बताया कि, इन दिनों गर्मी का असर बढ जाने के चलते दूध का उत्पादन काफी हद तक घट गया है. चूंकि इस समय मवेशियों को हरा चारा भी नहीं मिल रहा है. इससे भी दूध उत्पादन का प्रमाण प्रभावित हुआ है. उल्लेखनीय है कि, गर्मी के दिनों में जानवर चारा कम खाते है और पानी अधिक पीते है. जिससे उनकी रवंथ प्रक्रिया कम होती है. साथ ही गर्मी की वजह से जानवरों के शरीर में क्षार का प्रमाण कम होकर उनके स्वास्थ्य पर भी परिणाम पडता है. जिसका परिणाम दूध के उत्पादन पर होता है. ऐसे में जानवरों को योग्य पोषण आहार व शुध्द पानी सहित रहने के लिए ठंडी छांववाली जगह की व्यवस्था करना बेहद महत्वपूर्ण होता है.

* कोई सहकारी संस्था शुरू नहीं
जिले में किसी समय दर्जनों की संख्या में दूध उत्पादकों की सहकारी संस्थाएं कार्यरत हुआ करती थी, जिनके जरिये बडे पैमाने पर दूध संकलित करते हुए सरकारी दूध डेअरी तक लाया जाता था. जिसका बोतलों व पॉलीथीन पैकेट में भरकर वितरण किया जाता था. साथ ही किसी समय अमरावती से टैंकरों में भरकर दूध को मुंबई भेजा जाता था, लेकिन गुजरते वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे एक-एक कर सभी सहकारी संस्थाएं दम तोडती चली गई और आज जिले में एक भी सहकारी संस्था कार्यरत नहीं है. ऐसे में इस जरिये होनेवाला दूध का संकलन भी पूरी तरह से ठप पडा है. वहीं दूसरी ओर शहर सहित जिले में जगह-जगह पर छोटी-बडी निजी दूध डेअरिया खुल गई है. साथ ही मदर डेअरी जैसे उपक्रम द्वारा बडे पैमाने पर शहर में दूध संकलन व वितरण का कार्य किया जा रहा है.

इन दिनों दूध का संकलन बेहद कम हो गया है. वहीं सरकारी दूध डेअरी में लगी मशीन की क्षमता पांच हजार लीटर की है. जिसे कम दूध के लिए चलाना किसी भी लिहाज से मुफीद नहीं. ऐसे में विगत 17 मार्च से दूध का सरकारी संकलन व वितरण बंद कर दिया गया है. हालांकि इस समय मदर डेअरी द्वारा रोजाना 28 हजार लीटर दूध का संकलन हो रहा है और मदर डेअरीवालों का ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क भी बेहतरीन है.
– गिरीश सोनोने
जिला दुग्धविकास अधिकारी

* दुध का उत्पादन हुआ आधा
गर्मी के बढते प्रभाव की वजह से इन दिनों दूध का उत्पादन भी घटकर आधा रहा गया है. गर्मी के मौसम दौरान मवेशियों द्वारा बेहद कम दूध दिया जाता है और इस दौरान दूध की मांग काफी अधिक रहती है. जिसे दूध के दामों में भी अच्छी-खासी तेजी रहती है. इन दिनों जहां सरकारी दूध डेअरी में दूध का संकलन व वितरण बंद है, वहीं दूसरी ओर मदर डेअरी में रोजाना 80 हजार लीटर दूध संकलीत हो रहा है. जबकि बारिश व ठंडी के मौसम में मदर डेअरी द्वारा करीब 40 हजार लीटर दूध रोजाना संकलित किया जाता है.

 

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