अमरावती

वन कर्मचारियों की बजाय ठेका कर्मियों को दिये सरकारी कॉर्टर

एम. एस. रेड्डी का मनमाना कामकाज

  • मेलघाट व्याघ्र संवर्धन प्रतिष्ठान में कई गडबडियां

अमरावती/दि.12 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत हरिसाल की वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण द्वारा आत्महत्या किये जाने के बाद मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प का क्षेत्र संचालक कार्यालय लगातार सूर्खियों में बना हुआ है और यहां की कई गडबडियां उजागर हो रही है. जिसके तहत अब पता चला है कि, मेलघाट व्याघ्र संवर्धन प्रतिष्ठान कार्यालय में ठेके पर नियुक्त सात से आठ अस्थायी कर्मचारियों को निलंबित अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एम. एस. रेड्डी ने वन विभाग के सरकारी कॉर्टर निवास के लिए दिये थे. जबकि यह कॉर्टर केवल स्थायी वन कर्मचारियों को ही दिये जाते है.
जानकारी के मुताबिक एम. एस. रेड्डी द्वारा मेलघाट व्याघ्र संवर्धन प्रतिष्ठान में विविध कामों के लिए सात से आठ ठेका कर्मचारियों की नियुक्ति की है. जिनमें अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता व लिपीक आदि का समावेश है. इसमें से अधिकांश कर्मचारी नागपुर के है और इन ठेका कर्मियों के निवास की व्यवस्था करने हेतु रेड्डी ने नियमित वन कर्मचारियों को सरकारी कॉर्टर से बाहर निकाल दिया और अपनी मर्जीवाले ठेका कर्मियों को मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प कार्यालय के पास सरकारी आवास उपलब्ध कराये. पता चला है कि, अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए एम. एस. रेड्डी द्वारा कई नियमबाह्य काम किये जाते थे. किंतु वह वरिष्ठ अधिकारी रहने की वजह से कोई उसके खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता था. साथ ही रेड्डी पर मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव का वरदहस्त रहने के चलते वह वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों पर अन्याय किया करता था. एम. एस. रेड्डी तथा विनोद शिवकुमार नामक दोनों आयएफएस अधिकारियों द्वारा वन कर्मचारियों को हमेशा मानसिक तनाव में रखने, उनके साथ अपमानास्पद व्यवहार करने और उनका आर्थिक नुकसान करने का काम किया जाता था. इस आशय की शिकायतें अब दीपाली आत्महत्या कांड के बाद बडे पैमाने पर सामने आ रही है.

ठेका कर्मियों से कराया जाता था नियमबाह्य काम

मेलघाट व्याघ्र संवर्धन प्रतिष्ठान में विविध कामों के लिए ठेका कर्मचारी कार्यरत है. किंतु जो काम केवल सरकारी कर्मचारियों से ही करवाये जाने आवश्यक रहने का नियम है, उन कामों को भी रेड्डी द्वारा ठेका कर्मियों से करवाया जाता था. जिसके तहत इन कर्मियों से निविदा प्रक्रिया, नोट शिट व सर्वेक्षण जैसे काम नियमबाह्य तरीके से कराये गये और सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर इन ठेका कर्मियों को किस आधार पर सरकारी कॉर्टर आवंटित किये गये.

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