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आदिवासी मजदूरों के पैसे दिलाएं सरकार

यशोमती ठाकुर की विधानसभा में मांग

* होली जैसा पर्व खराब नहीं होना चाहिए
अमरावती/ दि. 27 –तिवसा की विधायक और कांग्रेस नेता यशोमती ठाकुर ने मेलघाट के आदिवासी मजदूरों के रोगायो अंतर्गत तीन चार माह से पैसे नहीं मिलने का विषय विधानसभा में उपस्थित किया. उन्होंने सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मेलघाट के लोगों के लिए रंगों का त्यौहार होली बडा महत्वपूर्ण है. उसके पहले उनकी मेहनत के पैसे मिलने चाहिए. नेर पिंगलाई में भी मजदूरों के पैसे बकाया है. बैंक उनके केवायसी मंजूर नहीं कर रही है. ठाकुर ने कहा कि आदिवासियों की होली बिगडने पर सरकार जिम्मेदार रहेगी.
एड. ठाकुर ने विधानसभा में अन्य विषय भी उपस्थित किए. जिसमें किसानों को 450 करोड की क्षतिपूर्ति अब तक नहीं मिलने और सरकार द्बारा अमरावती के किसानों के बारे में अनदेखा करने का आरोप किया. यशोमती ठाकुर ने फसल बीमा के 382 करोड रूपए अब तक नहीं मिले हैं. बीमे की राशि से 1.35 लाख किसान अब तक वंचित रहने का दावा कर यशोमती ठाकुर ने महायुति सरकार पर किसानों से भद्दा मजाक का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि तिवसा नगर पंचायत जलापूर्ति के बारे में गत एक माह से फाइल सीएम शिंदे के पास पडी है. मुख्यमंत्री को शीघ्र कार्रवाई कर जनता के महत्वपूर्ण समस्या का हल करना चाहिए.
उन्होंने भातकुली और मेलघाट के चिखलदरा व धारणी तहसीलों में जलसंकट के लिए भी शासन प्रशासन को आडे हाथ लिया. विधायक महोदया ने कहा कि जलजीवन मिशन योजना अंतर्गत मंजूरी होने के बाद भी अब तक काम शुरू नहीं हुए है. जिससे उपरोक्त तहसीलों के गांवों में भयंकर जलसंकट उपस्थित हो गया है. अभी तो ग्रीष्मकाल की शुरूआत हैं. आगे मामला और गंभीर होगा.
यशोमती ने नई बालू नीति को गलत बताया और कहा कि रेत की तस्करी करने रैकेट और टोलियां जुट गई है. बडे प्रमाण में कालाबाजार हो रहा है. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का क्या लिंक है, यह देखना चाहिए. प्रदेश के गरीबों को मकान बनाने रेत उपलब्ध नहीं हो रही है.
यशोमती ठाकुर ने चिखलदरा के अत्यंत महत्वपूर्ण स्कायवॉक प्रकल्प के अधूरे रहने के साथ ही तिवसा, नांदगांव पेठ, दर्यापुर, मेलघाट, सावरखेड के कई प्रकल्प अपूर्ण रहने का मुद्दा उठाया.

* वन जमीन पर अतिक्रमण
पोहरा की वन जमीन पर अतिक्रमण किए जाने का आरोप ठाकुर ने सदन में लगाया. हालांकि उन्होंने नाम नहीं लिया. किंतु यह जरूर कहा कि भगवान के नाम पर राजकारण कर वन जमीन का अतिक्रमण किया जा रहा है.

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