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मॉल में वाईन बिक्री के फैसले को वापिस ले सरकार

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने उठाई मांग

* सीएम ठाकरे के नाम जिलाधीश को सौंपा ज्ञापन
अमरावती/दि.15– हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने सुपर मार्केट व वॉक इन स्टोर सहित एक हजार स्क्वेअर फीट से बडी किराणा दुकानों में वाईन बिक्री करने का निर्णय लिया है. यह एक तरह से समाज विघातक फैसला है. वहीं अपने इस फैसले के समर्थन में सरकार में शामिल कुछ जिम्मेदार लोग अपरोक्ष प्रचार कर रहे है कि, वाईन कोई शराब नहीं, बल्कि स्वास्थ्य वर्धक पेय है. जबकि हकीकत यह है कि, वाईन एक तरह से शराब का ही प्रकार है. जिसमें मद्यार्क यानी अल्कोहोल की मात्रा होती है. यही वजह है कि, आज तक वाईन की बिक्री शराब की दूकानों से ही की जाती रही है, लेकिन अब सरकार केवल अपना राजस्व बढाने के लिए जनविरोधी फैसला ले रही है. जिसे तत्काल वापिस लेना चाहिए. इस आशय की मांग जमात-ए-इस्लामी हिंद की अमरावती शाखा द्वारा मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के नाम भेजे गये ज्ञापन में की गई है.
जमात-ए-इस्लामी हिंद के स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा इस संदर्भ में जिलाधीश पवनीत कौर के जरिये सीएम उध्दव ठाकरे के नाम सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि, हाल ही में औरंगाबाद के प्रा. डॉ. ऋषिकेश खाडिलकर ने एक अध्ययन के बाद तैयार की गई अपनी रिपोर्ट में बताया कि, विगत दस वर्षों के दौरान देश में व्यसनाधिनता 10 से 15 फीसद तक बढ गई है और नशे के नाम पर हमारा देश प्रतिवर्ष 18 हजार 500 करोड रूपयों की कार्य शक्ति को गंवा रहा है. इसके अलावा सामाजिक नुकसान की गिनती भी नहीं हो सकती है. महाराष्ट्र में पहले ही प्रतिवर्ष 30 से 32 करोड लीटर देशी दारू, 25 से 32 करोड लीटर विदेशी दारू, 60 से 70 करोड लीटर भारतीय बनावटवाली विदेशी दारू तथा 20 करोड लीटर बीयर की खपत होती है. ऐसी रिपोर्ट विगत दिनों ही सामने आयी है. जिसे देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, महाराष्ट्र में लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति क्या होगी. वहीं अब मॉल जैसे भीडभाडवाले स्थानों पर आकर्षक स्वरूप में वाईन के काउंटर खोले जाने पर इच्छा नहीं रखनेवाले लोग भी वाईन खरीदने के लिए प्रवृत्त होंगे. जिससे व्यसनाधिनता बढ सकती है और व्यसनाधिनता की वजह से लोगों के घर-परिवार बर्बाद होंगे.
इस ज्ञापन में यह भी कहा गया कि, संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्यों को समग्र शराब बंदी के निर्देश दिये गये है और राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय सीधे-सीधे संविधान के इस अनुच्छेद का उल्लंघन है. ऐसे में फुले-शाहु-आंबेडकर के विचारों पर चलनेवाले महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशिल राज्य में केवल राजस्व वसुली के नाम पर शराब बिक्री को बढाने की अनुमति देना योग्य नहीं है. वैसे भी महाविकास आघाडी के शिल्पकार एवं वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि, यदि जनभावना इस फैसले के पक्ष में नहीं है, तो सरकार द्वारा इस फैसले को वापिस ले लिया जाना चाहिए.
ज्ञापन सौंपते समय तहरीक उलेमा-ए-हिंद के जिलाध्यक्ष हाफीज नाजीमोद्दीन अंसारी हुसैनी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के शहराध्यक्ष रफीक अहमद खान, मजलिस-ए-उलेमा की सलाहकार समिती के सदस्य मौलाना नेअमतुल्लाह, प्रा. मो. अयुब, मुमताज हुसैन, सैय्यद साबीर अली, ईब्त ताहेर सिद्दीकी, मो. रफी तथा रईस अहमद आदि उपस्थित थे.

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