3600 करोड की निविदाओं को लेकर सरकार को हाईकोर्ट की नोटीस
अमरावती/दि.13 – राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार द्बारा बडी कंपनियों के लिए सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य विभाग के 441 छात्रावास में भोजन आपूर्ति करने हेतु 3600 करोड रुपए की निविदा निकाले जाने के मामले में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गत रोज राज्य सरकार के नाम नोटीस जारी की है. साथ ही राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने हेतु 4 सप्ताह की कालावधि भी दी है. भीम शक्ति संगठन के विदर्भ प्रदेश अध्यक्ष पंकज मेश्राम ने पिछडा वर्गीय संस्थाओं पर अन्याय होने के संदर्भ में यह याचिका दाखिल की है.
पंकज मेश्राम द्बारा नागपुर खंडपीठ में दाखिल याचिका के मुताबिक सामाजिक न्याय विभाग अंतर्गत राज्य में पिछडा वर्गीय विद्यार्थियों हेतु कुल 441 सरकारी छात्रावास तथा अनुसूचित जाति व नवबौद्ध छात्र-छात्राओं हेतु 100 सरकारी निवासी शालाए है. सरकारी निवासी शालाओं व छात्रावासों में प्रवेशित विद्यार्थियों को भोजन आपूर्ति करने हेतु इससे पहले विभागीय स्तर पर निविदा प्रकाशित करते हुए प्रादेशिक उपायुक्त की समिति के जरिए एक ठेकेदार को 4 छात्रावासों व शालाओं की जवाबदारी दी जाती थी. जिसके चलते हजारों पिछडा वर्गीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध हुआ करता था. लेकिन 24 जून 2022 के सरकारी आदेश को नई सरकार ने एक माह की समयावृद्धि दी. वहीं अब पूरे राज्य के लिए एक ही ठेका जारी करते हुए 50 करोड रुपए के सालाना आर्थिक व्यवहार, 3 वर्ष के दौरान 15 जिलों में 100 स्थानों पर 10 करोड रुपए के भोजन आपूर्ति का अनुभव, 25 लाख रुपए की सुरक्षा राशि तथा 750 पंजीकृत व पीएफ भारत कामगार ऐसी शर्ते लगाई गई है. प्रतिवर्ष 1,200 करोड के हिसाब से 3 वर्ष की कालावधि हेतु भोजन आपूर्ति का 3600 करोड रुपयों का ठेका बडे ठेकेदार को मिलने हेतु यह व्यवस्था किए जाने का आरोप इस याचिका में लगाया गया है. साथ ही कहा गया है कि, इसकी आड लेकर पिछडा वर्गीय बेरोजगार संस्थाओं को निविदा प्रक्रिया से बाहर रखने का षडयंत्र रचा जा रहा है.
न्या. ए. एस. चांदुरकर व न्या. एम. डल्ब्यू. चांदवानी की खंडपीठ के समक्ष 5 अप्रैल 2023 को यह याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर सुनवाई पश्चात बुधवार 12 अप्रैल को राज्य सरकार के नाम नोटीस जारी की गई और राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने हेतु कहा गया है. याचिकाकर्ता पंकज मेश्राम की ओर से एड. सोनिया गजभिये तथा राज्य सरकार की ओर से एड. ए. एम. देशपांडे ने अदालत में युक्तिवाद किया है.