अमरावती/दि.21– राज्य में सरकारी व निम्नसरकारी कार्यालयों में कंत्राटी पध्दत से नौकर भर्ती का सरकारी निर्णय का विरोध चारो ओर शुरू है. इसी के चलते शासकीय व निमशासकीय कार्यालयों में नौकर भरती कंत्राटी पद्धती से करने का महाराष्ट्र शासन द्वारा लिया गया निर्णय वापस लेने की मांग उर्दू टीचर्स एसोसिएशन ने की है.यह निर्णय राज्य घटना की अवमानना है, ऐसा आरोप यूटीए के विभागीय अध्यक्ष गाजी जाहेरोश ने लगाया है.
राज्य सरकार ने 6 सितंबर को एक परिपत्रक जारी कर निर्णय लिया है, जिसके अनुसार शासकीय व निमशासकीय कार्यालयो में शिपाई से लेकर अधिकारी तक की सभी पदो पर कंत्राटी पद्धती से भर्ती करने का निर्णय लिया हैं. ये नौकर भर्ती निजी कंपनिया के मार्फत की जाएंगी. सरकार ने इसके लिए 9 कंपनियों को चुना है. जिसके अनुसार यह कंपनिया 138 प्रकार की विविध पदो की भरती कंत्राटी पद्धती से करने वाली है. शासकीय व निम शासकीय नौकरियों को पूरी तरह खत्म करने का यह सरकार का षड्यंत्र है तथा सुशिक्षित बेरोजगार युवक जो सरकारी नौकरियों की आस में अभी तक राह तक रहे है. इन युवकों के लिए यह निर्णय पूरी तरह घातक है. शिक्षण क्षेत्र की सभी पदो को भी इसी तरह से आने वाले दिनों में भरा जाएगा. सरकार इस फैसले का उर्दू टीचर्स एसोसिएशन (यूटीए) ने विरोध किया है तथा सरकार से मांग की है की वह निर्णय तुरंत वापस ले और प्रचलित पद्धति से ही सरकारी नौकरी में पद भर्ती जारी रखे. उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के विभागीय अध्यक्ष गाजी जाहेरोश ने सभी शिक्षक संगठनोे को आवाहन किया है कि इस अन्यायकारक निर्णय को वापस करवाने सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक साथ आकर आंदोलन करें तथा सरकार से बात करें. यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद कर देंगे इसलिए सभी ने सामने आकर इस परिपत्रक का विरोध करना चाहिए. सरकार से यह निर्णय वापस लेने की मांग सभी को मिलकर करनी चाहिए.