जीआर और अधिसूचना से व्यापारी संकुलों के किराए पर बढा संभ्रम

अमरावती/ दि. 25-मनपा द्बारा बीओटी के तत्व पर निर्मित व्यापारी संकुलों की लीज को खत्म हुए 6-7 वर्ष बीत चुके है. परंतु शासन निर्णय यानी जीआर और अधिसूचना के बीच विरोधाभास की वजह से अब तक इन संकुलों की दुकानों की नया किराया निश्चित नहीं हुआ है. जिससे दुकानदारों के और लाखों रूपए के किराए की वसूली अभी तक नहीं हुई. वहीं दूसरी ओर संपत्ति कर भरने में देरी होने पर संपत्ति धारकों को जुर्माना लगानेवाला महानगरपालिका का प्रशासन और सरकार ने व्यापारियों को ढील दी है, ऐसी चर्चा है.
महानगरपालिका के व्यापारी संकुलों के दुकानदारों को कितना किराया लगाए. यह मुद्दा बीते कुछ वर्षो से प्रलंबित पडा हुआ है. मनपा के तत्कालीन आयुक्त हेमंत पवार ने यह कार्रवाई करने के बाद यह मामला न्यायालय में भी पहुंचा था. उसके बाद व्यापारियों ने मंत्रालय में लॉबिंग करने क वजह से मनपा प्रशासन पर बंधन आया. जिससे यह कार्रवाई ठंडे बस्ते पड गई. व्यापारियों को 20-30 वर्ष पहले पुराने करार के अनुसार केवल 1 रूपये चौरस फीट के दर से किराया निर्धारित किया गया था.
राजकमल चौक, जवाहर गेट, बडनेरा नई बस्ती आदि मुख्य बाजार पेठ में रहनेवाले इन व्यापारी संकुलों की ओर से महानगर पालिका को बहुत ही कम आय मिलती है. अब वह आय भी कुछ वर्षो से प्रलंबित है. इस मामले में सरकार स्तर से भी अलग- अलग निर्णय आने की वजह से प्रशासन के समक्ष संभ्रम की स्थिति निर्माण हो गई है. एक जीआर के अनुसार वर्तमान स्थिति में रहनेवाले दर के दो गुना से अधिक किराया भी वसूला नहीं जा सकता. इसका मतलब वर्तमान में केवल एक रूपए चौरस फुट दर रहने से वह दो रूपए से ज्यादा नहीं लिया जा सकता. इसके उलट राज्य सरकार की ही जीआर के अनुसार बाजार मूल्यों की तुलना में कम दर भी होने नहीं चाहिए.
मनपा के हित में प्रयास शुरू
समय- समय पर सरकार की ओर से प्राप्त होने वाले दिशा निर्देश व्यापारियों की बारी और मनपा के हित को ध्यान में रखकर हल निकालने का प्रयास शुरू है. इसी संदर्भ में जल्द ही समिति की बैठक में किराए की दर निश्चित होगी.
सचिन कलंत्रे,
मनपा आयुक्त