अमरावती

स्नातक चुनावः ’ऐसे’ उम्मीदवारों को वोट देने का क्या फायदा?

स्नातक चुनाव की मूल अवधारणा को हड़ताल !

स्नातकों की समस्याएं जैसे थे
6 साल में एक स्नातक विधायक विधानसभा क्षेत्र में कम ही देखा गया
चांदूर रेलवे/दि.10 – शुरुआती वर्षों में, गैर-राजनीतिज्ञ स्नातक विधायक बन गए. हालांकि, पिछले कुछ चुनावों से राजनीतिक दलों ने इसमें सीधे प्रवेश किया है और जिस मूल उद्देश्य के लिए स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण किया गया था, वह अब चरमराता नजर आ रहा है. पिछले कई सालों से डिग्री होने के बावजूद नौकरी नहीं मिल रही है और कई तरह की दिक्कतें भी देखने को मिल रही हैं. सभी राजनीतिक दल यह नही देख रहे हैं कि इस निर्वाचन क्षेत्र से विशेषज्ञ, विचारक, अकादमिक उम्मीदवार कैसे जाएंगे. बल्की यह देख रहे कि पार्टी विचारधारा के उम्मीदवार वहां कैसे जाएंगे. तो ऐसी विचारधारा के उम्मीदवारों को वोट देने का क्या फायदा ? यह सवाल चांदूर रेलवे तालुक के स्नातक मतदाताओंद्वारा पूछा जा रहा है. इसमें खास बात यह है कि मतदाताओं का कहना है कि, अमरावती संभाग से स्नातक विधायक धामणगांव विधानसभा क्षेत्र में 6 साल में केलस 1-2 बार ही आये है और स्नातकों की समस्या ”जैसी थी” है.
अमरावती संभाग में स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चुनाव की घोषणा की गई है. पिछले कुछ वर्षों में, स्नातक विधायक उच्च शिक्षा के मुद्दों के महत्व को उजागर करने में विफल रहे हैं. ऐसे में ऐसे उम्मीदवारों को वोट देने का क्या फायदा ? यह सवाल मतदाता पूछ रहे हैं. स्नातक चुनाव यह सुनिश्चित करने के लिए आयोजित किए जाते हैं कि, शिक्षित स्नातकों को विधायिका में उचित प्रतिनिधित्व मिले. लेकिन निर्वाचित जनप्रतिनिधि द्वारा कोई ठोस काम नहीं किए जाने से मतदाताओं में खासी मायूसी है. चुनाव से पहले दो महीने में मुंबई की चक्कर काटें, तस्वीरें लें, ज्ञापन देने का नाटक करें और स्नातक मतदाताओं को लुभाने की बेताब कोशिश करें, ऐसा सवाल उठाया गया है. आईटीआई के क्लॉक अवर बेसिस (सीएचबी) निदेशक की समस्या अब तक हल नहीं हुई है. इसके लिए सीएचबी निदेशकों ने मौजूदा विधायकों, इच्छुक उम्मीदवारों के इधर फॉलोअप किया गया; लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. आईटीआई निदेशक वेलफेअर असोसिएशन, महाराष्ट्र राज्य ने इस वर्ष निराश करने वाले उम्मीदवारों को सबक सिखाने की चेतावनी जारी की है, क्योंकि अधिकांश सीएचबी निदेशक स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाता हैं. इसके अलावा कई स्नातक शिक्षकों की भी समस्या बनी रहती है. साथ ही कई स्नातक बेरोजगार हैं और स्नातक जनप्रतिनिधियों ने रोजगार की दृष्टि से कोई ठोस काम नहीं किया है. कुल मिलाकर स्नातक जिस उद्देश्य के लिए जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं वह विफल हो रहा है और इससे इस वर्ष स्नातक मतदाता जागृत हो गए हैं. इसलिए संकेत मिल रहे हैं कि काम नहीं करने वाले प्रत्याशियों को इस चुनाव में नुकसान होगा.
आईटीआई के सीएचबी निदेशकों की समस्याओं को नज़रअंदाज़ – टी. बी. टांगले
मैं एक इंजीनियरिंग स्नातक हूं और आईटीआई में क्लॉक अवर बेसिस (सीएचबी) निदेशक के रूप में कार्यरत हूं. हमारे पास नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है और हमारे कई तसिका भाई कई साल काम करने के बाद भी हर साल बेरोजगार होते जा रहे हैं. हमने इस संबंध में स्नातक विधायक से बात की थी, लेकिन उन्होंने इसमें कोई ठोस भूमिका नहीं निभाई. तो इन स्नातक विधायकों की क्या जरूरत है ? ऐसा प्रश्न मुझे गिरा है .
– टी. बी. टांगले,
सीएचबी निदेशक.
जनप्रतिनिधि स्नातकों की समस्याओं का समाधान करने में विफल – प्रभाकर अर्जापुरे
प्रा. बी. टी. देशमुख (कांग्रेस) 1980 से 2010 तक 30 साल और 2010 से 2023 तक दो कार्यकाल डॉ. रणजीत पाटिल (भाजपा) यह दोनों स्नातक विधायकों ने अमरावती विभाग स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में स्नातकों के मुद्दों का राजनीतिकरण किया. तो स्नातक विधायक क्यों ? स्नातकों के पसंतीक्रम मत द्वारा निर्वाचित स्नातकों का नेतृत्व, शपथ के तहत सत्ता में रहकर स्नातकों की समस्याओं को हल करने में विफल रहा है. इसलिए हम स्नातक मतदाता नोटा बटन का प्रयोग करने जा रहे हैं. काम नहीं करने वाले स्नातक विधायक जनता के खजाने पर बोझ क्यों ?
– प्रभाकर अर्जापुरे,
सीमांत अंशकालिक स्नातक,
अमरावती स्नातक निर्वाचन क्षेत्र.

Related Articles

Back to top button