* हर शुक्रवार को चलेगा कामकाज
चिखलदरा/दि.30-मेलघाट परिसर आदिवासी दुर्गम क्षेत्र रहने से चिखलदरा तहसील के आदिवासी बंधुओं को न्याय की गुहार लगाने अचलपुर जाना पडता था. जिसकी वजह से उनका काफी समय बर्बाद होने के साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा था. लेकिन अब पहली बार चिखलदरा कोर्ट शुरु होने से यहां के नागरिकों को न्याय व अधिकार के लिए होने वाली भागदौड से राहत मिली है. कोर्ट में आने वाले नागरिकों के अन्य तहसील के काम भी चिखलदरा कोर्ट में होंगे. चिखलदरा में कोर्ट शुरु होने से इस क्षेत्र में नागरिकों में समाधान व्यक्त किया जा रहा है. चिखलदरा कोर्ट का उद्घाटन मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विनय जोशी के हाथों किया गया. इस अवसर प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश सुधाकर यारलगड्डा, तहसील वकील संघ अचलपुर अध्यक्ष एड.रवींद्र गोरले, ग्राम न्यायालय चिखलदरा के न्यायाध्याीश सुकृत म्हातारमारे सहित न्यायाधीश आर. डी.चौगुले, एस. पी.भोर, एस.एन.पाटील, पी.आर. गुप्ता, आर.बी.वेहपाढे तथा एड.सुशील नांदेकर, एड.नितिन चौधरी, विजय गोडबोले, संतोष बोरेकर, दिलीप खेरडे, विजयराव गाठे, अथर इकबाल, आशिष बदरके आदि अधिवक्ता प्रमुखता से उपस्थित थे.
उद्घाटन अवसर पर न्यायूर्ति विनय जोशी ने कहा कि, न्याय आपके द्वार ग्राम न्यायालय यह संकल्पना 2008 से चलाई जा रही है. नागरिकों को जल्द से जल्द न्याय मिले, इस उद्देश्य से तथा प्रत्येक नागरिक को न्याय खर्चिक न होकर जल्द न्याय मिलने के लिए यह न्यायालय शुरु किया है. आदिवासी नागरिकों को न्यायदान सुलभता से मिलें, इसके लिए हर शुक्रवार को यह न्यायालय शुरु रहेगा. यहां पर दिवाणी व फौजदारी मामले चलेंगे. आनेवाले कुछ दिन के बाद यहां पर स्थायी न्यायालय शुरु हो, इसके लिए हमारा प्रयास रहेगा, ऐसा न्यायमूर्ति जोशी ने कहा. इस अवसर पर वकील व नागरिक, पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, अधिकारी, चिखलदरा पंचायत समिति के गटविकास अधिकारी जीवन भिलावेकर, चिखलदरा के तहसीलदार जीवन मोरणकर तथा सभी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे.
आदिवासी बंधुओं को अचलपुर कोर्ट में आना-जाना कठिन हो रहा था. उनका आर्थिक नुकसान होने के साथ-साथ समय भी बर्बाद हो रहा था. किंतु अब चिखलदरा ग्राम न्यायालय से उन्हें सुविधा होगी. तथा जल्द से जल्द न्याय मिलेगा. आदिवासी बंधुओं को न्याय दिलाने के लिए हम नि:शुल्क सेवा के लिए भी तैयार है.
-एड.सुशीलकुमार नांदेकर
न्यायदान को मिलेगी गति
चिखलदरा न्यायालय की मांग 2008 से लंबित थी. काफी प्रयासों के बाद मेलघाट की आदिवासी जनता के लिए यह ग्राम न्यायालय स्थापित किया गया है. यहां पर विशेष न्यायालय शुरु होने से अब न्यायदान को गति आएगी और आदिवासी लोगों को न्याय मिलेगा.
-एड.रवींद्र गोरले, अध्यक्ष,
अचलपुर वकील संघ