तीन संतान होने से ग्रामपंचायत चुनाव नहीं लड पायेंगे
उच्च न्यायालय (High Court) ने सरकार को मांगा जवाब
अमरावती/दि.7 – तीन संतान रहने वाले उम्मीदवारों को ग्रामपंचायत चुनावी प्रक्रिया में सहभाग नहीं लेते आयेगा, इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये है. उम्मीदवार की पहली संतान की मौत होने के कारण उन्हें चुनाव लडने के लिए अपात्र नहीं ठहराया जा सकता, ऐसा निरीक्षण न्यायमूर्ति मनीष पितले ने नोंद कर याचिकाकर्ता को चुनाव लडने दें, ऐसे आदेश चुनाव निर्णय अधिकारी को दिये है.
हितेश मधुकर वाडेकर (सेलु बाजार, ता.मंगरुलपीर, जि.वाशिम) यह याचिकाकर्ता उम्मीदवार का नाम है. वाडेकर ने 15 जनवरी को होने वाले ग्रामपंचायत चुनाव के लिए 29 दिसंबर 2020 को नामांकन आवेदन दाखिल किया था, लेकिन उसके नामांकन आवेदन पर सुनील हरणे ने आक्षेप लिया था कि, वाडेकर को तीन संतान होने के कारण उसका नामांकन आवेदन रद्द किया जाए. इस आक्षेप को मान्य कर चुनाव अधिकारी ने वाडेकर का नामांकन आवेदन रद्द कर दिया. चुनाव अधिकारी ने दिये आदेश के विरुध्द वाडेकर ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की. वाडेकर ने याचिका में बताया कि, उसके पहिले लडके का 16 में 2017 को जन्म हुआ और 7 अगस्त 2017 को उसका निधन हो गया. इसलिए वाडेकर ने नामांकन आवेदन दाखिल करते वक्त दो संतान होने का उल्लेख किया था. एड.संतोष चांडे ने उच्च न्यायालय को बताया कि सेक्शन 14 (1) (जे 1) इस धारा में (हयात/जीवित) यह शब्द होने के कारण नामांकन आवेदन दाखिल करते वक्त वाडेकर के दो संतान जीवित थे. इसलिए वे चुनावी मैदान से बाद नहीं हो सकते. न्या.पितले ने प्रथमदर्शी यह मुद्दा मान्य कर याचिकाकर्ता का नामांकन आवेदन फिलहाल के लिए स्वीकार कर चुनाव चिन्ह दिया जाए, ऐसा आदेश दिया है. बचाव पक्ष की ओर से एड.संतोष चांडे ने कोर्ट में पैरवी की.
याचिकाकर्ता को चुनाव लडने दो-उच्च न्यायालय
याचिकाकर्ता उम्मीदवार को ग्रामपंचायत चुनाव लडने दिया जाए, ऐसा आदेश नागपुर खंडपीठ ने चुनाव निर्णय अधिकारी को दिया है. श्रीराम हरदास राठोड (रा.गारखेड, तहसील सिंदखेड राजा, जि.बुलडाणा), ऐसा याचिकाकर्ता उम्मीदवार का नाम है. राठोड ने 20 दिसंबर 2020 को गारखेड ग्रामपंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवारी आवेदन दाखिल किया था. चुनाव निर्णय अधिकारी ने मामुली बात को लेकर उसका नामांकन आवेदन नामंजूर किया. शौचालय का प्रमाणपत्र नहीं जोडे जाने के कारण चुनाव नहीं लडते आयेगा, ऐसा चुनाव अधिकारी ने बताया. दरमियान, उम्मीदवार ने अपने शपथपत्र में शौचालय स्वघोषणापत्र की मुल प्रत आवेदन के साथ जोडी थी, परंतु चुनाव निर्णय अधिकारी ने यह मुद्दा ध्यान में न लेते हुए ही नामांकन अर्ज रद्द कर दिया. इसलिए राठोड ने चुनाव निर्णय अधिकारी के इस आदेश के विरुध्द हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. न्यायमूर्ति मनीष पितले ने दोनों ओर की दलीले सुनकर याचिकाकर्ता को चुनाव लडने दिया जाए, ऐसे आदेश दिये. उम्मीवार की ओर से एड.राजू कडू ने कामकाज संभाला.