14 को आदिवासी गोंड गोवारी समाज का नागपुर शीतसत्र पर भव्य मोर्चा
पत्रवार्ता में दी गई आंदोलन की जानकारी
अमरावती /दि.12– आज से 29 वर्ष पहले 23 नवंबर 1994 को आदिवासी गोवारी जनजाति के लोगों ने शीतसत्र दौरान नागपुर विधान भवन पर मोर्चा निकाला था. मोर्चा शांतिपूर्ण रहने के बाद भी सरकार की अडियल नीतियों के चलते उपजे हालात की वजह से पुलिस ने मोर्चे पर लाठीचार्ज और गोलीबारी की थी. जिसकी वजह से मची भगदड में 114 गोवारी समाजबंधुओं की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे. इस घटना के 29 वर्ष बाद भी गोवारी समाज की विभिन्न प्रलंबित मांगे आज भी जस की तस है. ऐसे में अपने संविधानिक अधिकारों को लेकर आगामी गुरुवार 14 दिसंबर को आदिवासी गोंड गोवारी जनजाति संवैधानिक अधिकार संघर्ष कृति समिति द्वारा फिलहाल नागपुर में चल रहे विधान मंडल के शीतसत्र पर भव्य मोर्चा ले जाया जाएगा.
इस आशय की जानकारी संघर्ष कृति समिति द्वारा यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में दी गई. इस पत्रवार्ता में बताया गया कि, सन 1955 में काकासाहब कालेलकर पिछडा वर्गीय आयोग ने अनुसूचित जनजाति के लिए गोवारी जनजाति की शिफारिश गोंड जनजाति की उपजमात के तौर पर की थी और तभी से ही गोंड गोवारी जनजाति शब्द प्रचलित हुआ. परंतु इसके बावजूद भी सरकार द्वारा गोंड गोवारी जनजाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाणपत्र व जाति वैधता प्रमाणपत्र सहित आरक्षण जैसे सभी लाभ से वंचित रखा गया है. जिसे प्राप्त करने हेतु आदिवासी गोंड गोवारी समाजबंधुओं द्वारा विगत लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है और इसी संघर्ष के तहत आगामी 14 दिसंबर को नागपुर के पटवर्धन मैदान (यशवंत स्टेडियम) से नागपुर विधान भवन तक आदिवासी गोंड गोवारी समाजबंधुओं का भव्य मोर्चा निकाला गया था.
इस पत्रकार परिषद में संघर्ष कृति समिति के मनोहर सहारे, रामदास व्यवहारे, मोहन राउत, अरुणा चचाने, कृष्णा चौधरी, सई सहारे, सविता नेवारे, पुंडलिक चायलोट, नीलकंठ सोनवने व रावसाहब नेवारे आदि उपस्थित थे.