अमरावती/दि.16- अखिल विश्व को मानवता का संदेश देेने वाले वैराग्य मूर्ति संत गाडगेबाबा ने गृह त्याग करने के पश्चात सन 1905 में सेवाकार्य की शुरुआत ऋणमोचन यात्रा से की. प्रमुख रुप से यात्रा में आने वाले भाविक भक्त नदी पार कर मुदगेश्वर के दर्शन लेते समय पैर फिसलकर गिरते थे. उस समय गाडगेबाबा ने सर्वप्रथम इस स्थान पर घाट बनवाया. सन 1907 में श्री डेबूजी उर्फ श्री गाडगे महाराज लक्ष्मीनारायण संस्था की स्थापना कर यात्रा में आने वाले दीनदुर्बल, अनाथ, अपंग, निराश्रितों को पेट भर भोजन मिले, इसके लिए सदावर्त शुरु किया. गाड़गेबाबा द्वारा शुरु किये गए अन्नदान व वस्त्रदान का महायज्ञ गत 118 वर्षों से अविरत जारी है.
इस वर्ष भी संस्था के विश्वस्त बापूसाहेब देशमुख के मार्गदर्शन में मानवता की सेवा के रुप में दानशूरों के सहयोग से दृष्टिहीन, दिव्यांग, जरुरतमंद माता-पिता को उबदार ब्लैंकेट, धोती, कपड़े, महिलाओं को साड़ियां, नववारी आदि का वितरण मान्यवरों के हाथों किया गया. वहीं उपस्थित सभी को मिष्ठान्न का भोजन देकर 6 से 7 हजार जरुरतमंदों की सही मायने मे दिवाली मनाते हुए यह समारोह ऋणमोचन में किया गया. इस अवसर पर विधायक बलवंत वानखडे, विधायक रवि राणा, प्रशांत देशमुख, सागर देशमुख, वसंतराव देशमुख, दीपक कासट, कुणाल देशमुख, पंचक्रोशी के बाबा के भक्तगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे.