गुढी पाडवा पर्व पर सावंगा में भव्य कापूर यात्रा
संत अवधुत महाराज के दर्शन करने भक्तों की होगी भीड
चांदूर रेल्वे/दि.27-तहसील के सावंगा में गुढी पाडवा के अवसर पर भव्य यात्रा का आयोजन किया है.छत्रपति शिवाजी महाराज के समय काल के संत तुकाराम के समकाल काल में विदर्भ के अमरावती जिले के सावंगा विठोबा के जंगल में अवधुत बुवा उर्फ कृष्णाजी महाराज ने अवधुती संप्रदाय की स्थापना की. दो गोटे पर ताल पकड कर अवधुती भजन के माध्यम से जीवन का तत्वज्ञान बताया. 350 साल पूर्व अवधुती तत्वज्ञान की ज्योत जलाने वाले संत अवधुत महाराज की भव्य कापूर यात्रा 9 अप्रैल को गुढी पाडवा पर लगेगी. उनके समाधि दर्शन के लिए संपूर्ण देश के लाखों भक्तों की भीड सावंगा में उमडेंगी.
अवधुत महाराज ने भजन के माध्यम से समाज की कुरीती, प्रथा पर प्रहार किया. सरल शब्दों में भजन द्वारा समाज प्रबोधन का कार्य शुुरु रखा. उस समय अवधुत मंदिर के स्थान पर एक झोपडी थी. साढे तीन दिन तक झोपडी का दरवाजा कोई न खोलें, ऐसा कहकर अवधूत महाराज झोपडी में गए, परंतु भक्तों से रहा नहीं गया. उन्होंने दो दिन बाद झोपडी का दरवाजा खोलो तो महाराज के शरीर का पानी हुआ था. इस स्थान पर महाराज की समाधि बनाई गई, ऐसा संस्थान के अध्यक्ष पूंजाराम नेमाडे ने बताया. तबसे यहां कापूर जलाने की परंपरा है. कापूर यात्रा के नाम से यहां की यात्रा प्रसिद्ध है. महाराज के शिष्य पुनाजी ने ध्वज की प्रथा शुरु की. उस समय ध्वज छोटा था, आज यह ध्वज 72 फूट लंबा है.
* ध्वज चढाने की धार्मिक विधि
गुढी पाडवा के दिन दोपहर को हभप चरणदास कांडलकर ध्वज को पैर का स्पर्श नहीं होने देते. 72 फूट ध्वज को नया आवरण चढाया जाता है. इस भव्य दिव्य धार्मिक विधि को देखने भक्तों की भीड उमडती है.
* बस व ऑटो सेवा
चांदूर रेल्वे से 10 किमी और अमरावती से 20 किमी दूरी पर सावंगा विठोबा है. दूर से आने वाले भक्तों के लिए चांदूर रेल्वे से बस व ऑटो की सेवा उपलब्ध रहती है.