अमरावतीमहाराष्ट्र

रूरल इन्स्टीट्यूट के प्रांगण में भव्य पोला उत्सव

आज भी किसानों के कारण जीवित है पोला पर्व की परंपरा

* दिलीप बाबू इंगोले का प्रतिपादन
अमरावती/दि.3- हमारा देश कृषि प्रधान देश है. सभी लोग इससे परिचित है. किंतु हमारी पौराणिक धरोहर को भूलने के लिए आधुनिकता हमें मजबूर कर रही है. लेकिन आज भी कई लोग इस आधुनिकता के वेश को परिधान करते हुए पुरानी परंपराओं का जतन कर खेती व्यवसाय कर रहे है. किसानों द्बारा आज भी खेती व्यवसाय जीवित रखने से शहर में पोला पर्व हमें देखने को मिल रहा है. किसानों के कारण आज भी पोला पर्व की परंपरा कायम है, ऐसा प्रतिपादन श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के कोषाध्यक्ष दिलीपबाबू इंगोले ने व्यक्त किया.
दिलीप बाबू इंगोले स्थानीय रूरल इन्स्टीटयूट के भव्य प्रांगण में शिवाजी संस्थान द्बारा संचालित जनता कृषि तकनीकी विद्यालय में आयोजित पोला उत्सव और बैलजोडी स्पर्धा के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान बोल रहे थे. कार्यक्रम में शिवाजी शिक्षण संस्था सदस्य सुभाष बनसोड, स्वीकृत सदस्य नरेशचंद्र पाटिल, प्राचार्य अमोल महल्ले, कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. समीर लांडे, उद्यान महाविद्यालय के प्राचार्य चंद्रशेखर देशमुख, अमोल इंगोले, जनता कृषि तकनीकी विद्यालय के प्राचार्य राजेश खाडे, पर्यवेक्षक पशु संवर्धन व दुग्ध विभाग के पूर्व प्रमुख प्रा. डॉ. नंदकिशोर मानकर.
चित्रकला महाविद्यालय के पूर्व सहायक प्राध्यापक प्रमोद गावंडे, शिवाजी कृषि महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक एनओ खंडारे, प्रा. पूनम वाघ प्रमुख रूप से उपस्थित थे. सर्वप्रथम सभी मान्यवरों के हस्ते डॉ. पंजाबराव देशमुख की प्रतिमा का पूजन किया गया और उसके पश्चात सभी मान्यवरों ने उपस्थित सात बैलजोडियोें का पूजन किया और उनके साथ आए किसानों का टोपी, दुपट्टा व श्रीफल देकर स्वागत किया. पूजन के पश्चात सभी बैलजोडियों को पूरणपोली का नैवद्य लगाया गया. बारिश के चलते सीमित कार्यक्रम अंतर्गत उपस्थित परीक्षकों ने सभी बैलजोडियों का निरीक्षण किया और सात में से पांच जोडियों का विविध पुरस्कारो के लिए चयन किया.
स्पर्धा में शामिल इन बैलजोडियों को सजावट के लिए 20, शारीरिक गुणधर्म के लिए 20 तथा अन्य 10 इस प्रकार से कुल 50 अंकों में से अंक दिए गये. सार्वधिक 44 अंक प्राप्त कर गौरव कालमेघ की बैलजोडी ने प्रथम पुरस्कार हासिल किया. इस बैलजोडी को स्व. रामराव मोहोड की स्मृति में धनराज मोहोड की ओर से ट्रॉफी, बैलजोडी के लिए सजावट का सामान तथा जनता कृषि तकनीकी विद्यालय के प्राचार्य डॉ. पी.वी. यावलीकर की ओर से 1001 रूपए, स्व. एन.जे. बापू देशमुख की स्मृति में विजय देशमुख की ओर से 1001 रूपए तथा स्व. मधुकर अर्डक की स्मृति में डॉ. नीलिमा ठाकरे की ओर से 501 रूपए का पुरस्कार प्रदान किया गया.
उसी प्रकार रविनगर निवासी अनिकेत मोहोड की बैलजोडी को 40 अंक दिए गये. जिसमें इस बैलजोडी ने द्बितीय पुरस्कार प्राप्त किया. इस जोडी को स्व. दौलतराव व स्व. शंकरराव उंबरकर की स्मृति में गायत्री कृषि केन्द्र संचालक राजाभाउ उंबरकर की ओर से ट्रॉफी, बैल का साज तथा अरविंद ठाकरे की ओर से 1001 रूपए, स्व. सुरेंद्र भुंबर व स्व. विनोद भुंबर की स्मृति में सौरभ भुंबर की ओर से 1001 रूपए तथा स्व. संजय देशमुख की स्मृति में बबन देशमुख की ओर से 501 रूपए दिए गये.
वहीं 37 अंक प्राप्त कर शिवाजी कृषि महाविद्यालय की बैलजोडी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. जिसमें शिवाजी कृषि महाविद्यालय को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया. कृषि विद्या शाखा रूरल कॉलेज के प्राचार्य के हस्ते 1111 रूपए, स्व. प्रभाकरराव दांडगे की स्मृति में प्रा. शैलेश की ओर से 501 रूपए का पुरस्कार महाविद्यालय के प्राचार्य द्बारा स्वीकारा गया.
राधानगर निवासी दशरथ यादव की बैलजोडी ने 32 अंक प्राप्त कर चौथा स्थान प्राप्त किया. दशरथ यादव की बैलजोडी को शिवाजी शिक्षण संस्था द्बारा बैलों की साज सज्जा के लिए वस्तुए तथा प्रशांत चांदुरकर की स्मृति में मॉर्निंग क्रिकेट क्लब द्बारा 1101 रूपए प्रदान किए गये. पांचवा व अंतिम पुरस्कार तकनीकी महाविद्यालय ने 27 अंक के साथ हासिल किया. विद्यालय की ओर से इस बैलजोडी को सजावट का सामान तथा मॉर्निग क्रिकेट क्लब की ओर से 1101 रूपए का ईनाम दिया गया. कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रा. राजेश खांडे ने रखी तथा संचालन व आभार कृषि पर्यवेक्षक सुनील विल्हेकर ने माना. इस अवसर पर बडी संख्या में आयोजन समिति के सदस्य नागरिक उपस्थित थे. उपस्थित नागरिकों ने भी बैलजोडियों की पूजा अर्चना कर पूरणपोली का नैवेद्य लगाया.

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