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‘श्री बुधभूषणम्’ ग्रंथ की पुनर्लिखित प्रति का हुआ भव्य-दिव्य प्रकाशन

छत्रपति संभाजी महाराज लिखीत ग्रंथ का अमरावती में हुआ पुनर्लेखन

* 124 किलो का हस्तलिखित दस्तावेज का किया गया संभाजी जयंती पर लोकार्पण
अमरावती/दि.14- पिछले 350 वर्षों से धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज का व्यक्तिमत्व पूरी दुनिया के लिए आकर्षण और कौतुहल का विषय रहा है. ऐसे में छत्रपति संभाजी महाराज द्वारा किये गये कार्यों जानकारी दुनिया में हर एक व्यक्ति तक पहुंचे, इस उद्देश्य को सामने रखते हुए अजय लेंडे नामक स्थानीय शिवप्रेमी लेखक ने करीब 250 वर्ष पूर्व छत्रपति संभाजी महाराज द्वारा लिखीत श्री बुधभूषणम्’ नामक संस्कृत ग्रंथ का पुनर्लेखन किया है और इस पुनर्लिखित ग्रंथ का प्रकाशन आज शनिवार 14 मई को सुबह 9 बजे स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में समारोहपूर्वक किया गया.
इस ग्रंथ के प्रकाशन व लोकार्पण हेतु धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती का औचित्य साधते हुए आज 14 मई को सुबह संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में आयोजीत समारोह में खुद छत्रपति संभाजी महाराज द्वारा लिखीत श्री बुधभूषणम ग्रंथ की पुनर्लिखित प्रतिलिपी का भव्य-दिव्य विमोचन किया गया. इस अवसर पर पुणे निवासी ख्यातनाम इतिहास संशोधक प्रा. शरद गोरे ने अपने समय के उत्कृष्ट कवि व साहित्यकार रहनेवाले छत्रपति संभाजी महाराज के विषय में अभ्यासपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किये. मराठा सेवा संघ के संस्थापक अध्यक्ष एड. पुरूषोत्तम खेडकर की अध्यक्षता में आयोजीत इस कार्यक्रम में स्वागताध्यक्ष के तौर पर श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख तथा प्रमुख अतिथी के तौर पर राज्यमंत्री बच्चु कडू, विधायक सुलभा खोडके व प्रताप अडसड, संभाग के शिक्षक विधायक किरण सरनाईक, वर्धा के विधायक डॉ. पंकज भोयर, राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके, संभाजी ब्रिगेड के प्रदेशाध्यक्ष मनोज आखरे तथा ख्यातनाम इतिहास विशेषज्ञ डॉ. अशोक राणा मंचासीन थे.
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इस ग्रंथ विमोचन समारोह में प्रमुख अतिथी के तौर पर उपस्थित राज्यमंत्री बच्चु कडू ने इस ग्रंथ के लिए 1 लाख रूपये की सम्मान निधी देने की घोषणा करने के साथ ही कहा कि, वे पूरे महाराष्ट्र में इस ग्रंथ का प्रदर्शन करने हेतु ग्रंथदर्शन यात्रा का आयोजन करेंगे. साथ ही एक पूरा दिन इस ग्रंथ के साथ पदयात्रा भी करेंगे. इसके अलावा राज्यमंत्री बच्चु कडू ने इस ग्रंथ की संकल्पना को साकार करनेवाले अजय लेंडे तथा चार वर्षों तक अथक परिश्रम करते हुए इस ग्रंथ का हस्तलेखन करनेवाले दर्यापुर तहसील निवासी सचिन पवार का अभिनंदन किया.
इस ग्रंथ के विमोचन अवसर पर छत्रपति संभाजी महाराज सार्वजनिक उत्सव समिती की ओर से अरविंद गावंडे, प्रा. भैय्यासाहब मेटकर, प्रा. नरेश पाटील, प्रदीप अंधारे, प्रा. राजेश देशमुख, प्रा. जयंत इंगोले, प्रा. अमोल बारब्दे, अश्विन चौधरी, प्रा. बालासाहब गावंडे, प्रा. प्रकाश तायडे, किशोर लेंडे, प्रा. गजानन चौबे, प्रा. योगेश वडतकर, डॉ. अभय गावंडे, डॉ. प्रफुल्ल गुडधे, प्रा. अनिल देशमुख, बालासाहब मार्डीकर, मंगेश विधले, सुनील वानखडे, प्रा. शशांक देशमुख, गजानन काले, प्रा. विजय काले, दिनेश ठाकरे, विजय लेंडे, समीर लेंडे, शुभम देशमुख, भाउराव पानसे, प्रशांत डवरे, अनिल टाले, प्रा. सतीश माहोरे, प्रा. प्रशांत पडोले, अमोल म्हस्के, शरद काले, आनंद जवंजाल, मनोज देशमुख, प्रवीण पावडे, अरविंद भुगुल, प्रा. अभय ढोबले, श्रीकांत राजुरकर, बाबाराव राउत, प्रकाश तायडे, ऋतुराज राउत, प्रा. विनय राउत, मनीष पडोले, सतेश केचे, नमित हुत्के, प्रशांत देशमुख, सचिन मोहोड, हेमंत गावंडे, अरविंद घाटे व सुभाष झाडे सहित अनेकोें गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.

* चार वर्ष के अथक परिश्रम से तैयार हुआ पुनर्लिखित ग्रंथ
बता दें कि, ग्रंथ लेखक अजय लेंडे द्वारा इस ग्रंथ का पुनर्लेखन करने हेतु चार वर्षों तक अथक प्रयास किये गये. जिसके पश्चात ‘श्री बुधभूषणम्’ का पुनर्लेखित हस्तलिखित ग्रंथ तैयार हो पाया. इस ग्रंंथ में हस्तलेखन दर्यापुर तहसील के सचिन पवार ने 489 पेन खर्च करते हुए किया है. इस ग्रंथ की चौडाई तीन फीट व लंबाई पांच फीट है. साथ ही यह ग्रंथ में 156 पन्ने है और इस ग्रंथ का कुल वजन 124 किलो है. इसके साथ ही 78 मीटर कैन्वास व 18 लीटर सोल्युशन का प्रयोग करते हुए इस ग्रंथ की बाईंडिंग की गई है और इस ग्रंथ के लिए दिल्ली से विशेष तौर पर शिवकालीन कागज तैयार करते हुए मंगवाया गया. जिसके बाद इस ग्रंथ की निर्मिती हुई है, जिसका विमोचन के उपरांत अवलोकन करते हुए सभी ने सराहना की और इस महान कार्य के लिए अजय लेंडे व सचिन पवार का उनके द्वारा किये गये परिश्रम हेतु अभिनंदन किया.

 

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प्रतिनिधि/ दि.14

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