गुरुदेव के जयकारों के साथ आचार्य श्री ससंघ की भव्य अगवानी
42 जैन मुनि-आर्यिकायों का एक साथ हुआ मंगल आगमन
* गणाचार्यश्री विराग सागरजी महाराज के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
* राजकमल चौक पर जयघोष के साथ स्वागत
अमरावती/दि.16– अंबानगरी की पावन धरा पर आज प्रात: दिगंबर जैन समाज ने भारत गौरव, राष्ट्र संत, प.पू. वात्सल्य रत्नाकर गणाचार्यश्री 108 विराग सागरजी महा मुनिराज ससंघ 42 पिंच्छि का मंगल प्रवेश हुआ हुआ. राजकमल चौक पर सकल दिगंबर जैन समाज द्बारा उनका भव्य स्वागत किया गया. इससे शहर में उत्साह का वातावरण बना है.
यह संघ गत शाम जेल रोड स्थित अंध विद्यालय में दाखिल हो गया था. आज बडे सबेरे 6 बजे जेल रोड से संघ सीपी ऑफिस मार्ग से मालटेकडी, बस डेपो, स्टेशन चौक से राजकमल चौक में पहुंचा. हजारों की संख्या में जैन बांधओं ने गुरूदेव का जयकारा कर और ढोल ताशे बजाकर स्वागत किया. संघ मेें 13 मुनि है. 4 लांगोडधारी मुनि है. 25 माताजी है.
श्री आस गिरी यह यह जैनों का तीर्थक्षेत्र मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में है. इस स्थान से राष्ट्र संत विराग सागर महाराज के साथ 42 मुनियों और माताजी के संघ का विहार शुरू हुआ है. हिंगणघाट के बाद वर्धा के बाद अब विशाल ससंघ का मंगल विहार हो चुका है.
ससंघ सर्व प्रथम नगर स्थित श्री चंद्रनाथ स्वामी दिगंबर जैन मंदिर में पधारकर भगवान के दर्शन लिए. उसके बाद आचार्य श्री ससंघ का नगरवासी द्वारा पुजन, चित्रनावरण, दिप प्रज्वलन आदि मांगलिक क्रियाएं संपन्न हुई. तथा भक्तों ने अमरावती व सिद्ध क्षेत्र मुक्तागिरी में पधारने हेतु पुज्य गुरुवर के श्री चरणों में श्रीफल समर्पित किया. बता दें कि, इस विशाल ससंघ में लगभग 42 पिंच्छि है. जिसमें आचार्य श्री विराग सागर जी महामुनीराज, मुनिश्री विशेष सागर जी महाराज के साथ मुनिश्री, आर्यिका एवं क्षुल्लक जी का समावेश है. ऐसी बात रखते हुए गुरुदेव ने उपस्थित सभी भक्तों आशीर्वाद प्रदान किया. पूज्य गुरुदेव श्रमणाचार्य विमर्श सागर जी महाराज की संघर्ष दीक्षार्थी ब्रह्मचारिणी विशु दीदी आदि समस्त बहनों को दोनों हाथों से मोक्ष मार्ग पर बढ़ते हुए मंगल आशीष प्रदान किया.