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मोबाईल के स्वच्छंद प्रयोग पर नियंत्रण जरूरी
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बच्चों को ऑनलाईन क्लास के लिए डेस्कटॉप दिया जाये
अमरावती/दि.13 – इन दिनों सभी शालेय व महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के हाथ में अपना खुद का स्वतंत्र मोबाईल फोन रहना लगभग आवश्यक ही हो गया है और चूंकि इन दिनों कोविड संक्रमण के मद्देनजर ऑनलाईन क्लासेस चल रही है. ऐसे में लगभग सभी बच्चोें के पास अत्याधुनिक तकनीकी फीचर से लैस एंड्राईड मोबाईल व स्मार्ट फोन है और जिनके पास नहीं है, वे अपने पास ऐसा फोन चाहते है. लेकिन अब इसके धीरे-धीरे दुष्परिणाम भी सामने आने लगे है. जहां विगत दिनों चांदूर बाजार तहसील के ब्राह्मणवाडा थडी गांव में एक किशोरवयीन लडके ने मोबाईल की मांग पूरी नहीं करने पर अपनी दादी को मौत के घाट उतार दिया, वहीं दूसरी ओर वरूड तहसील में एंड्राईड फोन रहनेवाले एक अल्पवयीन लडके ने ऑनलाईन गेम खेलते समय अपनी रैंक बढाने हेतु अलग-अलग इक्वीपमेंट खरीदते हुए अपने दादाजी के बैंक खाते से एक-दो हजार रूपये नहीं, बल्कि 1 लाख 84 हजार रूपये किसी अज्ञात व्यक्ति के खाते में ट्रान्सफर कर दिये.
बता दें कि, शुरूआत में बेहद मजेदार लगनेवाले यह ऑनलाईन गेम आगे चलकर काफी घातक मोड पर बच्चों को पहुंचा देते है. फ्री फायर पब्जी जैसे ओपन वॉर गेम्स् में बच्चें लगातार फंसते जाते है. शुरूआत में सिस्टीम के साथ गेम खेला जाता है और अगले चरण में ऑनलाईन गेम शुरू होता है. जिसके लिए ऑनलाईन क्लास खत्म होने के बाद अपने यार-दोस्तों को ऑनलाईन बुलाकर यह खेल खेला जाता है. यहीं से ऑनलाईन शस्त्र (इक्वीपमेंट) खरीदने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है. इस समय तक युध्द का विचार दिमाग में इतना अधिक घर कर लेता है कि, बच्चे अपने माता-पिता और परिवार से देखते ही देखते दूर होने लगते है, किंतु समय रहते यह बात अभिभावकों के ध्यान में नहीं आती. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, अभिभावकों द्वारा बच्चों को ऑनलाईन क्लासेस के लिए मोबाईल की बजाय डेस्कटॉप यानी कंप्यूटर उपलब्ध कराया जाये तथा ऑनलाईन क्लास के लिए ही इंटरनेट दिया जाये.
खुद अभिभावकों द्वारा भी स्वअनुशासन का पालन करना जरूरी
इसके अलावा खुद अभिभावकों द्वारा भी मोबाईल का प्रयोग बेहद जिम्मेदारी के साथ किया जाये. छोटे बच्चे बडे सहज ढंग से अपने अभिभावकों का मोबाईल अपने हाथ में लेते है. इस समय सर्च हिस्ट्री में यह बडी आसानी से दिखाई देता है कि, मोबाईल पर अब तक क्या-क्या देखा गया है. ऐसे समय यदि अभिभावकों द्वारा अपने मोबाईल पर कोई ‘ऐसी-वैसी’ चीज देखी जा रही है, तो किशोरवयीन बच्चों की नजर बडे सहज ढंग से अनावश्यक बातोें पर पडती है. जिससे उनकी भी उंगलिया बहक सकती है.
यह सावधानी बरतना जरूरी
मोबाईल में ‘पैरेंटल मोड’ की सेटिंग होती है. जिसके माध्यम से कई ऍप के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. जिसके तहत हर एक ऍप पर पासवर्ड डाला जा सकता है, ताकि बच्चा ऑनलाईन क्लास करते समय अभिभावकों की नजरों से बचकर चोरी-छिपे ढंग से किसी अन्य सोशल मीडिया साईटस् पर नहीं जा सकता. इसके अलावा ‘इंटरनेट डेटा लिमीट ऑप्शन’ को ऑन रखा जाना चाहिए. जिसके चलते नेट खत्म होने की लिमीट के बाद भी कुछ नहीं किया जा सकता.
1. ऑनलाईन गेम्स की वजह से छोटे बच्चों में अपराधिक प्रवृत्ति के बीज बोये जा रहे है तथा मोबाईल गेम्स की लत लग जाने के चलते बच्चे उग्र व हिंसक भी हो रहे है.
2. बच्चों को यदि किसी दिन मोबाईल पर गेम खेलने के लिए नहीं मिला, तो वे चिडचिडे हो जाते है. यह उनके मोबाईल व्यसनी होने की पहली और सबसे खतरनाक निशानी है.
3. इन दिनों अधिकांश अभिभावकों की शिकायत है कि, उनके बच्चों की भूख कम हो गई है और वे बेहद कम भोजन करते है. इसके पीछे भी मोबाईल का व्यसन ही सबसे मुख्य वजह है.
4. बच्चों को सुधारने के लिए बेहद जरूरी है कि, अभिभावकों द्वारा खुद मोबाईल के प्रयोग में अनुशासन का पालन किया जाये, क्योेंकि बच्चे हमेशा अपने अभिभावकों का ही अनुसरण करते है.