अमरावती

राज्य की १०१ शालाओं में मान्यता के बिना ही लिया अनुदान

केंद्र सरकार के जांच अभियान में उजागर हुई संस्था चालकों की जालसाजी

अमरावती  प्रतिनिधि/दि.१६ – समूचे देश भर की शालाओं की अपडेटेड जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध करने का अभियान केंद्र सरकार द्बारा शुरु किया गया है. इस अभियान के पहले चरण में ही महाराष्ट्र के १०१ शैक्षणिक संस्था चालकों द्बारा किया जा रहा फर्जीवाडा पकड में आया है. राज्य के १०१ शालाओं ने मान्यता नहीं रहने के बावजूद भी अपने यहां सरकारी योजनाएं क्रियान्वित होती दिखाते हुए लाखों रुपयों का अनुदान सरकारी तिजोरी से लिया है. बता दें कि, विगत १ वर्ष से ‘यू-डायस प्लस‘ नामक ऑनलाइन प्रणाली में हर एक स्कूल की जानकारी भरने का निर्देश दिया गया था. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब केंद्र सरकार ने शालाओं द्बारा दी गई जानकारी की जांच पडताल करनी शुरु की है.
इसकी वजह से महाराष्ट्र की कई शालाओं की असलियत सामने आयी है. इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने १० सितंबर को महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षा परिषद को पत्र भेजकर इन सभी शालाओं की आवश्यक जांच पडताल करने का निर्देश दिया है. इस पडताल में कई सनसनीखेज मामले सामने आये है. जिनमें पता चला है कि, ११ शालाओं को मान्यता नहीं रहने के बावजूद वहां पर २० से अधिक शिक्षकों के पद भरे गये है. ९० शालाओं ने मान्यता नहीं रहने के बाद भी ४०० से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश देकर उनके शैक्षणिक भविष्य को अंधेरे में ढकेल दिया गया. वहीं ६० शालाओं ने अपने नाम में ही हेराफेरी करते हुए अनुदान लेने का प्रयास किया. इसमें भी जहां एक ओर एक भी विद्यार्थी नहीं रहने पर शिक्षक भरती दर्शायी गई. वहीं दूसरी ओर ६८ शालाओं में विद्यार्थी रहने के बावजूद एक भी शिक्षक नहीं रहने की बात केंद्र सरकार द्बारा महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद के ध्यान में लाकर दी गई है. इसमें भी सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि, महाराष्ट्र के करीब ६८१ सरकारी शालाओं एवं तथा ९९ अनुदानित शालाओं में एक भी विद्यार्थी नहीं है. बावजूद इसके यह शालाएं वर्ष २०१९-२० के शैक्षणिक क्षेत्र में कैसे शुरु थी यह अपने आप में एक बडा सवाल है. केंद्र सरकार द्बारा फटकार मिलने के बाद महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद में जबरदस्त हडकंप है और सोमवार को परिषद के उपसंचालक गजानन पाटील ने शिक्षाधिकारी को इस संदर्भ में पत्र भेजकर तुरंत रिपोर्ट पेश करने का आदेश जारी किया.  ज्ञात रहे कि, यू-डायर प्लस के आंकडों के जरिये ही राज्य में कितनी शालाओं को गणवेश, किताबे व पोषण आहार सहित अन्य योजनाओं की निधि देना है, यह तय किया जाता है. किंतु शालाओं के आंकडों में ही काफी गडबडियां रहने के चलते समग्र शिक्षा के केंद्र की ६० प्रतिशत व राज्य की ४० प्रतिशत निधि के प्रयोग पर ही सवालियां निशाना लगता दिखाई दे रहा है.

  • शालाओं की जालसाजी ‘यू-डायस‘ की वजह से उजागर

– ११ शालाओं को मान्यता नहीं रहने के बावजूद २० से अधिक शिक्षक भरती
– ६० शालाओं के नामों में बदलाव करने से संभ्रम
– ९० शालाओं को मान्यता नहीं रहने के बावजूद ४०० से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश
– ६८१ सरकारी व ९९ गैर सरकारी शालाओं में एक भी विद्यार्थी नहीं
– ६८ शालाओं में एक भी शिक्षक नहीं

  • ऐसे हुआ मामला उजागर

राज्य में प्रत्येक शाला की जानकारी यू-डायस प्लस प्रणाली में ऑनलाइन बनना अनिवार्य किया गया है और यह जानकारी भरने का काम सभी शालाओं द्बारा भी किया गया है. इसके बाद जिलास्तरीय प्रशासन द्बारा संकलित जानकारी को राज्यस्तर पर भेजा गया. जहां से यह जानकारी केंद्र सरकार तक पहुंची और अब केंद्र सरकार द्बारा प्रत्येक शाला की यू-डायस में दर्ज जानकारी को खंगालना शुरु किया गया है.जिसमें कई शालाओं द्बारा दी गई जानकारी में जमीन-आसमान का फर्क दिखाई देने से यह पूरा मामला उजागर हुआ है.

  •  इन शालाओं में मान्यता नहीं रहने के बावजूद भी हुई शिक्षक भरती

१) केयर फाउंडेशन स्कूल, पुणे
२) रेन्बो प्रायमरी इंग्लिश स्कूल, ठाणे
३) एमएस क्रियेटीव स्कूल, ठाणे
४) द कैम्पॅनियन्स स्कूल, ठाणे
५) अलमान इंग्लिश स्कूल, मुंबई
६) कैन ब्रीज इंटरनैशनल स्कूल, पुणे
७) बेल्व्हीडेअर स्प्रिंग, मुंबई
८) सेन्ट झेव्हीअर प्रायमरी स्कूल, पुणे
९) आरएलपी हायस्कूल, ठाणे
१०) श्री गीता विद्यालय, मुंबई
११) विद्याभारती इंग्लिश स्कूल, पालघर

Related Articles

Back to top button