घरेलू बायोगैस प्रकल्प हेतु 22 हजार तक अनुदान
अमरावती/दि.24– केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के किसानों व नागरिकों हेतु बायोगैस अनुदान योजना चलाई जाती है. जिसके तहत प्रत्येक राज्य के लिए कोटा नियुक्त किया गया है. साथ ही इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रत्येक लाभार्थी को बायोगैस प्रकल्प हेतु 22 हजार रुपए तक अनुदान दिया जाता है. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जैविक खाद के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करने के साथ ही रसोई तैयार करने हेतु बायोगैस जैसे इंधन को उपलब्ध करवाते हुए महिलाओं के जीवनस्तर को सुधारने हेतु केंद्र सरकार द्वारा बायोगैस के लिए अनुदान योजना चलाई जा रही है.
* क्या हैं सेंद्रीय खाद व्यवस्थापन योजना ग्रामीण क्षेत्र के किसानों व नागरिकों को बायोगैस प्रकल्प स्थापित करने हेतु विविध योजनाओं के जरिए अनुदान दिया जाता है. साथ ही मनरेगा के जरिए भी बायोगैस योजना शुरु की गई है. ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए इस योजना का अच्छा खासा लाभ होता है.
* बायोगैस के फायदे
बायोगैस एक ज्वलनशील गैस रहने के चलते उसका इंधन के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है. जिसकी वजह से बायोगैस एक तरह से अपारंपारिक उर्जा का स्त्रोत है.
* अनुदान भी मिलेगा
बायोगैस के छोटे प्लाँट हेतु 9 हजार से 70 हजार रुपए तक अनुदान दिया जाता है. साथ ही प्रति संयंत्र सर्वसाधारण गुट के लिए 9 हजार रुपए व एससी-एसटी संवर्ग के लिए 11 हजार रुपए का अनुदान मिलता है.
* कैसे मिलता है अनुदान?
इस योजना के लाभ हेतु जिला परिषद के कृषि विभाग के पास आवेदन किये जाने पर मंजूर हुए प्रस्ताव को सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है.
* बायोगैस के लाभ हेतु ऑनलाइन आवेदन
बायोगैस अनुदान योजना हेतु ऑनलाइन आवेदन करने के लिए अधिकृत वेबसाइड पर जाकर पंजीयन कराना होता है. जहां पूरी जानकारी उपलब्ध कराते हुए आवेदन किया जा सकता है. इस योजना के लिए लाभार्थियों को अपना आधार कार्ड, मोबाइल नंबर व बैंक पासबुक देना होता है. लगभग यहीं पद्धति गोबर गैस प्लाँट के लिए भी अपनाई जाती है.
* लाभ लेने के इच्छूक कम
जहां एक ओर केंद्र सरकार द्वारा अपारंपारिक उर्जा के स्त्रोतों सहित जैविक खाद की उपलब्धता को बढाने के लिए गोबर गैस व बायोगैस जैसे प्रकल्पों हेतु अनुदान दिया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को ऐसे प्रकल्पों हेतु आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के किसानों व आम नागरिकों ने ऐसे प्रकल्पों के लिए काफी हद तक उदासिनता देखी जा रही है. यहीं वजह है कि, इस योजना का लाभ लेने के इच्छुकों की संख्या काफी हद तक कम दिखाई देती है.