अमरावती

दिव्यांग रहकर भी शानदार कला साधना

भावना गुजरे ने एक हाथ से साकार की आकर्षक गणेश प्रतिमा

* तीन पीढियों से गुजरे परिवार साकार कर रहा मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं
अमरावती/दि.20– कहा जाता है कि, यदि ईश्वर हमारे शरीर में कोई कमी रखता है, तो उसकी एवज में कोई प्रबल गुण भी देता है. इस बात को स्थानीय मंगलधाम कालोनी में रहने वाली भावना अंकुश गुजरे नामक युवती ने सही अर्थो में चरितार्थ किया है. एक हाथ से दिव्यांग रहने वाली भावना गुजरे ने अपने एक ही हाथ से श्री गणेश की एक से बढकर एक आकर्षक प्रतिमाएं साकार की है. विशेष उल्लेखनीय है कि, भावना गुजरे द्बारा मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियों के निर्माण पर ही ज्यादा जोर दिया जाता है और वे पीओपी की मूर्तियां बिल्कुल भी नहीं बनाती. इस संदर्भ में उनका स्पष्ट मानना है कि, प्रकृति के जतन व संवर्धन में अपना ही कुछ सहयोग हो, इस उद्देश्य के चलते ही वे मिट्टी से बनी मूर्तियों को बनाती है.
उल्लेखनीय है कि, शहर के मंगलधाम कालोनी में रहने वाले गुजरे परिवार द्बारा विगत तीन पीढियों से मिट्टी के गणेश मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है और इस विरासत को अगली पीढी द्बारा आगे बढाया जा रहा है. पैदायशी तौर पर एक हाथ से दिव्यांग रहने वाली भावना की मुलाकात चित्रकला महाविद्यालय में पढाई करते समय अंकुश गुजरे से हुई थी और आगे चलकर इन दोनों ने एक-दूसरे को जीवनसाथी के तौर पर स्वीकार किया. भावना ने एटीडी व बीए करने के साथ ही मुंबई से डीपीएड करने के बाद शिवाजी चित्रकला महाविद्यालय में तासिका तत्व पर सहायक अधिव्याख्याता के रुप में काम करना शुरु किया. वहीं उनके पति अंकुश गुजरे इस समय कृषि सहायक के तौर पर कार्यरत है और इन दोनों द्बारा अपने परिवार की विरासत को आगे बढाते हुए प्रतिवर्ष पर्यावरणपूरक मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाएं साकार की जाती है. जिसमें भावना गुजरे द्बारा अपने एक हाथ से ही मूर्तियों पर ऐसा कलाविष्कार किया जाता है. जिसके चलते मूर्तियां एकदम सजीव एवं आकर्षक बन जाती है.
* एक साल में 275 मूर्तियां
एक सुंदर व आकर्षक मूर्ति बनाने हेतु कई घंटों की मेहनत करनी पडती है. यह एक तरह से साधना ही होती है. उक्ताशय की जानकारी देते हुए भावना गुजरे ने बताया कि, बीते एक वर्ष के दौरान उन्होंने मिट्टी से 275 गणेश प्रतिमाएं साकार की.
* मेरी पढाई कमर्शियल ऑट्स में हुई है. पश्चात अंकुश के साथ मूर्ति बनाने का काम करना शुरु किया. उस समय यह मेरे लिए पूरी तरह से नया क्षेत्र था. लेकिन अब इस कला को भी मैने साध्य कर लिया है. प्रत्येक व्यक्ति ने निसर्ग संवर्धन को ध्यान में रखते हुए अपने घर पर मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा ही स्थापित करनी चाहिए.
– भावना अंकुश गुजरे,
मूर्तिकार

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