अमरावती

हमारे कार्यकाल में शिवाजी संस्था की हुई शानदार प्रगति

पत्रवार्ता में बोले निवर्तमान अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख

अमरावती-दि.8 श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के निवर्तमान अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख द्वारा कल यहां बुलाई गई पत्रवार्ता में कहा गया कि, उनके अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान विगत पांच वर्षों में शिवाजी शिक्षा संस्था की उत्तरोत्तर प्रगती हुई है. साथ ही संस्था की आर्थिक स्थिति भी बेहद मजबूत हुई है. कोविड संक्रमण जैसी स्थिति के बावजूद उनकी कार्यकारिणी ने संस्था के मान-सम्मान और गुणवत्ता को बनाये रखा.
जिला मराठी पत्रकार भवन के वालकट कम्पाउंड स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई पत्रवार्ता में शिवाजी शिक्षा संस्था का चुनाव लढ रहे प्रगति पैनल की मुखिया व अध्यक्ष पद के दावेदार हर्षवर्धन देशमुख ने कहा कि, 5 वर्ष पूर्व उन्होंने जिस परिवर्तन के विचारों के साथ संस्था में प्रवेश किया था. उन विचारों को मुर्त रुप में साकार करते हुए संस्था को प्रगति पथ पर आगे बढाने का काम भी किया और संस्था को इन 5 वर्षों के दौरान आर्थिक रुप से सक्षम बनाया गया. कोविड संक्रमण एवं लॉकडाउन जैसे विपरित हालात के दौरान भी संस्था ने उल्लेखनीय कार्य करते हुए ऑक्सिजन प्लांट, ऑडिटोरियम, पीडीएमसी में बेड बढाने और पदभरती जैसे विषयों को सफलतापूर्वक पूर्ण करते हुए संस्था और मेडिकल कॉलेज का दर्जा बढाने का काम किया. इस दौरान संस्था द्बारा संचालित कई महाविद्यालयों को नैक द्बारा उल्लेखनीय श्रेणी प्रदान की गई हैं. साथ ही संस्था के एक नये महाविद्यालय को मान्यता भी प्राप्त हुई हैं. इसके अलावा विगत चुनाव के समय परिवर्तन पैनल के जरिए जो घोषणा पत्र जारी किया गया था. उनमें से 18 कामों को विगत 5 वर्षों के दौरान ूूपूर्ण किया गया और केवल 2 काम तकनीकी दिक्कतों के कारण प्रलंबित रह गये. वहीं इस बार के घोषणा पत्र में 24 मुद्दों का समावेश किया गया हैं. जिन्हें आगामी कार्यकाल में निश्चित रुप से अमल किया जाएगा.
इस पत्रवार्ता में उन्होंने यह भी कहा कि, संस्था में वर्ष 2017 तक एक तरह की एकाधिकार शाही चल रही थी. जिसे खत्म करने के लिए उन्होंने अपने पैनल को उस समय परिवर्तन पैनल का नाम दिया था और विगत 5 वर्ष के दौरान उनकी कार्यकारिणी में संस्था को प्रगति पथ पर आगे बढाया. अत: इस बार संस्था के निरंतर प्रगति की कामना करते हुए पैनल के नाम में परिवर्तन कर इसका नाम प्रगति पैनल रखा गया. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि, वर्ष 1967 के बाद नये सदस्यों को जोडने के बाद आजीवन सदस्यों को विश्वास में लिया गया. इस संस्था में वर्ष 1977 के दौरान 2387 आजीवन सदस्य थे. जिनकी संख्या इस समय 824 हैं. जिसमें से 774 आजीवन सदस्य अब भी सक्रिया हैं. आजीवन सदस्यों के वारिसों को सदस्यता प्रदान करने के संदर्भ में निवर्तमान कार्यकारिणी द्बारा एक समिति गठित की गई थी. जिसकी रिपोर्ट आम सभा में रखी गई थी. जिसके आधार पर संस्था के संविधान में सुधार करना अपेक्षित है. जिसे लेकर धर्मादाय आयुक्त को प्रस्ताव भेजा गया हैं. जिनका फैसला आने के बाद की आजीवन सदस्यों के वारिसों को सदस्यता के साथ-साथ नौकरी में शामिल करने का रास्ता साफ होगा.
इस पत्रवार्ता में प्रगति पैनल की ओर से उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार डॉ. रामचंद्र शेलके, एड. गजानन पुंडकर, एड. जयवंत उर्फ भैयासाहब पाटील पुसदेकर, कोषाध्यक्ष पद के उम्मीदवार दिलीपबाबू इंगोले, कार्यकारिणी सदस्य पद के उम्मीवार हेमंत कालमेघ, प्राचार्य केशवराव गावंडे, सुरेशदादा खोटरे व प्रा. सुभाषराव बनसोड उपस्थित थे.

* ठाकरे से नहीं किया था अध्यक्ष पद का वादा
विगत चुनाव में हर्षवर्धन देशमुख के साथ रहने वाले नरेशचंद्र ठाकरे ने विगत दिनों यह दावा किया था कि, उस समय उन्हें अगले चुनाव में अध्यक्ष पद देने का वादा किया गया था. जिसे अब पुरा नहीं किया जा रहा. यहीं वजह है कि, उन्होंने अपना अलग पैनल चुनावी मैदान में उतारते हुए अध्यक्ष पद पर दावा पेश किया है. इसे लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में दिलीपबाबू इंगोले ने बताया कि, वर्ष 2017 में अध्यक्ष पद के लिए नरेशचंद्र ठाकरे, हर्षवर्धन देशमुख और वे खुद यानि दिलीपबाबू इंगोले दावेदार थे. उस समय पूर्व अध्यक्ष वसंतराव धोतरे ने मध्यस्थता करते हुए हर्षवर्धन देशमुख के नाम पर मुहर लगाई थी और उस समय अगल कार्यकाल हेतु अध्यक्ष पद को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ था. अत: अपनी प्रचार सभाओं में नरेशचंद्र ठाकरे द्बारा किया जाने वाला दावा पूरी तरह से झूठा हैं.

* संस्था को हडपना चाहते हैं ठाकरे
इस समय संस्था के निवर्तमान अध्यक्ष और अगले चुनाव में एक बार फिर अध्यक्ष पद के दावेदार रहने वाले हर्षवर्धन देशमुख ने अपने प्रतिस्पर्धी नरेशचंद्र ठाकरे को लेकर आरोप लगाया कि, वे आने वाले समय में संस्था को हडपना चाहते हैं. यहीं वजह है कि, वे अपने रिश्तेदारों को संस्था का आजीवन सदस्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने विगत 5 वर्षों के दौरान अपने कई रिश्तेदारों को नौकरी पर लगाने हेतु संस्था की कार्यकारिणी का दबाव भी डाला था.

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